मुंबई के लोखंडवाला में प्लैनेट एम स्टोर के दरवाजे कारोबार के लिए खुल गए पर ग्राहकों को समझ ही नहीं आ रहा कि वे कौन सी डीवीडी खरीदें।
फिल्म निर्माताओं और मल्टीप्लेक्स मालिकों के बीच के विवाद के कारण देशभर के फिल्मप्रेमी सिनेमाघरों में फिल्मों का मजा नहीं उठा पा रहे हैं। इस वजह से इन दिनों 980 करोड़ रुपये का होम वीडियो का बाजार काफी गर्म हो रहा है।
ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि यह कारोबार 14 प्रतिशत की चक्रवृध्दि सालाना विकास दर के साथ वर्ष 2013 तक लगभग 1,600 करोड़ रुपये का हो जाएगा और गौरतलब है कि निर्माताओं और मल्टीप्लेक्स मालिकों की इस लड़ाई का फायदा होम वीडियो उद्योग की बड़ी कंपनियां उठा रही हैं।
सबसे पहले, यूटीवी वर्ल्डमूवीज ने शेमारू के साथ अपनी लाइब्रेरी साझा करने के लिए हां कर दी है और वह ‘हाउस ऑफ फ्लाइंग डैगर्स’, ‘अ रूम विद अ व्यू’, ‘फैंटम लवर’, ‘अ टेल ऑफ टू सिस्टर्स’ और ‘ला ाोना’ सरीखी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय फिल्मों को रिलीज करेगी।
349 रुपये की कीमत के साथ यूटीवी की ये फिल्में कोरियाई, मैंडेरिन, स्पैनिश और अंग्रेजी भाषाओं में होंगी। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक भारतीय बाजार में सालाना 6 करोड़ सीडी, डीवीडी और वीसीडी की खपत होती है, जिनमें से वैकल्पिक सामग्री जैसे कि वर्ल्ड सिनेमा की हिस्सेदारी लगभग 5 प्रतिशत है।
यूटीवी ग्लोबल ब्रॉडकास्टिंग के कार्यकारी निदेशक शांतनु आदित्य मानते हैं कि मल्टीप्लेक्सों में लोकप्रिय फिल्मों की कमी के कारण ग्राहक अंतरराष्ट्रीय सिनेमा की फिल्मों की और रुख करेंगे। उनका कहना है, ‘बतौर होम वीडियो मनोरंजन के तहत हम इस साल लगभग 60 फिल्में रिलीज करेंगे।’
कंपनी को पूरा विश्वास है कि वह इस साल 60,000 डीवीडी, सीडी और वीसीडी बेच सकेगी या कहें कि वह हर फिल्म के लिए 1,000 सीडी, डीवीडी या वीसीडी बेच रही होगी। ऑनलाइन डीवीडी रेंटल कंपनी सेवेंटीएमएम को भी कोई शिकायत नहीं है।
कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी शुभंकर सरकार का कहना है, ‘होम वीडियो बाजार और किराये पर फिल्म मुहैया कराने वाली संगठित कंपनियों ने फिल्मों की मांग में इजाफा दर्ज किया है। ग्राहकों की संख्या और प्रति ग्राहक कितनी फिल्में किराये पर ली जा रही हैं, इनमें कंपनी विकास देख रही है।’
एक और डीवीडी रेंटल पोर्टल बिगफ्लिक्स डॉट कॉम के भी आंकड़ों में इजाफा दर्ज किया जा रहा है। बिगफ्लिक्स डॉट कॉम के मुख्य परिचालन अधिकारी कमल ज्ञानचंदानी का कहना है, ‘मल्टीप्लेक्स और वितरकों की हड़ताल की शुरुआत से अब तक किराये पर डीवीडी के कारोबार में लगभग 15 प्रतिशत का साफ-साफ इजाफा देखा जा रहा है।’
प्राइस वॉटरकूपर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक होम वीडियो का कारोबार वर्ष 2008 में पे-टीवी से 15 प्रतिशत बढ़ेगा और 2012 में 25 प्रतिशत। इस इजाफे के नतीजतन अगले पांच साल में 4.1 करोड़ और ग्राहक शामिल होंगे। एनडीटीवी ल्यूमीयर के निदेशक सुनील दोशी काफी उत्साहित हैं। उनका कहना है, ‘हर चुनौती, अपने बराबर के मौके उपलब्ध कराती है।’
उनका कहना है, ‘अच्छी डीवीडी और वीसीडी की कीमतें ग्राहक को फायदा पहुंचाने के लिहाज से कम हो गई हैं और मल्टीप्लेक्स-निर्माता के बीच तनातनी के मौजूदा संकट के कारण हमे भी निश्चित तौर पर मौके की तलाश है।’ उनका कहना है कि फिल्में देखना कोई भी बंद नहीं कर रहा, ‘हां, हाल में जो फिल्में रिलीज होने वाली थीं, उनकी रिलीज को कुछ समय के लिए टाल दिया गया है।
लेकिन भारत के सामयिक सिनेमा ने ऐसे समुदाय पैदा किए हैं, जो करण जौहर और अनुराग कश्यप दोनों ही फिल्में पसंद करते हैं। सीधे-सीधे ग्राहक होम वीडियो क्षेत्र की ओर से फिल्मों की बड़ी रेंज में से अपनी कुछ भी चुन सकते हैं। ‘
अपनी पेशकश को एक कदम आगे ले जाते हुए, पैलाडोर पिक्चर्स ने ऐसी डीवीडी बाजार में पेश की हैं, जिनमें अंतरराष्ट्रीय सिनेमा की फिल्मों के साथ-साथ भारतीय निदेशकों की लघु चलचित्र भी शामिल हैं। 399 रुपये के वाजिब दाम में जिम जारमुश की ‘डेड मैन’ और पुणे के एफटीआईआई में बतौर छात्र कुंदन शाह की एक लघु चलचित्र ‘बोंगा’ भी उपलब्ध हैं।
इसके अलावा मोजर बेयर जैसी कंपनियां भी हैं, जो कंपनी की विकास दर के लिए मल्टीप्लेक्स और निर्माताओं की लड़ाई को श्रेय नहीं दे रहे हैं। मोजर बेयर के हरीश दयानी का कहना है, ‘सच तो यह है कि 95 प्रतिशत ग्राहक नकली डीवीडी खरीदते हैं, इसलिए हमारे कारोबार में सामान्य इजाफा हुआ है।’
हालांकि दोशी का मानना कुछ और है नील नितिन मुकेश और बिपाशा बसु की फिल्म ‘आ देखें जरा’ सिनेमाघरों में रिलीज होने के एक सप्ताह के भीतर ही पे-पर-व्यू माध्यम के साथ-साथ डीवीडी के जरिये रिलीज की गई। दोशी का कहना है, ‘मेरी खुद की फिल्म सिध्दार्थ- दी प्रिजनर को मल्टीप्लेक्सों में बेशक अधिक दर्शक न मिल पाए हों, लेकिन अब इसे स्टार टीवी पर रिलीज किया जा रहा है।’
सच तो यह है कि इस तनातनी से एक बात तो सुनिश्चित हो गई है कि सिनेमाघरों में फिल्म रिलीज होने के एक सप्ताह के भीतर ही वे डीवीडी और डायरेक्ट-टु-होम प्लेटफॉर्म के जरिये भी रिलीज हो रही हैं। इसी दौरान शेमारू एंटरटेनमेंट के निदेशक हीरेन गाडा की पुरजोर कोशिश है कि कोई भी फिल्म देखने का इच्छुक बिना वैधानिक अनुमति के होम वीडियो फिल्मों तक नहीं पहुंच सके।
शेमारू यूटीवी वर्ल्डमूवीज की डीवीडी अपने 7,000 रिटेल स्टोरों के जरिये पूरे देश में वितरित कर रही है। उनका कहना है, ‘अंतरराष्ट्रीय फिल्मों की बॉलीवुड फिल्मों के जितनी नकल नहीं होती, इसलिए यूटीवी वर्ल्डमूवीज के साथ हाल में हुए हमारे गठजोड़ को लेकर हमें उम्मीद है कि इसका अच्छा नतीजा निकलेगा।’
