नैशनल सिक्योरिटी डायरेक्टिव ऑन टेलीकम्युनिकेशंस (एनएसडीटी) दूरसंचार उपकरणों के व्यापक दायरे जैसे कि कोर, ऐक्सेस, परिवहन, सपोर्ट और ग्राहकों के परिसरों में लगे उपकरणों की जांच-परख करने की योजना बना रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन उपकरणों को ‘विश्वसनीय उत्पाद’ का तगमा दिया जा सके।
सुरक्षा पर मंत्रिमंडलीय समिति ने पिछले साल दिसंबर में इन निर्देशों को मंजूरी दी थी। इसका मकसद था कि दूरसंंचार ऑपरेटर केवल वैसे नए उत्पादों या उपकरणों (चाहे भारतीय हों या विदेशी) को जोड़ेंगे, जिन्हें ‘विश्वसनीय उत्पाद’ का तमगा दिया गया हो। उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अध्यक्षता में दूरसंचार पर राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससीटी) की मंजूरी के बाद संबंधित प्राधिकरण वेंडर को उपकरणों के लिए विश्वसनीय स्रोत का तमगा देगा। यह नीति इस साल 15 जुलाई से लागू होगी।
दूरसंचार ऑपरेटरों द्वारा विश्वसनीय श्रेणी में नहीं आने वाले उपकरणों, पुर्जों या सॉफ्टवेयर का उपयोग की अनुमति मांगे जाने पर एनएससीटी को उनके मामलों के अनुसार छूट देने के अधिकार प्रदान करने के लिए हितधारकों के साथ चर्चा की जा रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, गृह मंत्रालय, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवद्र्घन विभाग, दूरसंचार विभाग और उद्योग के प्रतिनिधियों तथा स्वतंत्र विशेषज्ञ इस पर बातचीत कर रहे हैं। इस पर भी चर्चा की जा रही है कि किसी उपकरण के निश्चित प्रतिशत तक सुरक्षित कंपोनेंट होने पर उसे विश्वसनीय उत्पाद माना जाए या इसके लिए 100 फीसदी सुरक्षित होना आवश्यक है।
सरकार ने कहा है कि वह इसका मूल्यांकन करने के लिए कि उपकरणों को विश्वसनीय स्रोत का तमगा दिया जा सकता है, बहुराष्ट्रीय मूल उपकरण विनिर्माताओं से विस्तृत विवरण मांग सकती है।
वैश्विक दूरसंचार उपकरण विनिर्माताओं ने कहा कि नए नियम से चीन की उपरकण कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में प्रवेश करना कठिन हो जाएगा।
उदाहरण के लिए कंपनियों को जिस देश में वे पंजीकृत हैं उसकी जानकारी सहित वैश्विक मुख्यालयों, निदेशक मंडल, निदेशक मंडल के सदस्यों की राष्ट्रीयता और तीसरे स्तर तक शीर्ष 10 शेयरधारकों की शेयरधारिता स्वरूप का ब्योरा देना होगा।
कंपनियों को विभिन्न क्षेत्रों में खुदरा सहित शेयरधारकों की हिस्सेदारी और पिछले तीन वर्षों में मालिकाना हक में हुए सभी बड़े बदलावों से जुड़ी सूचनाएं देनी होंगी। विनिर्माण संयंत्रों की जगह, सेवा आपूर्ति केंद्रों और शोध एवं विकास केंद्रों से जुड़े ब्योरे भी देने होंगे।
इतना ही नहीं, ओईएम को उपकरण और इसमें लगने वाले सॉफ्टवेयर की भी जानकारी देनी होगी। इनमें उपकरण बनाने वाली कंपनी, इसका वैश्विक मुख्यालय, जिस देश में बौद्घिक संपदा अधिकार (आईपीआर) है, आदि की भी जानकारी देनी होगी। इसके अलावा जिस देश में उपकरण का विनिर्माण हुआ है उसकी भी जानकारी मुहैया करानी होगी।
सॉफ्टवेयर के मामले में आईपी नियंत्रक, सॉफ्टवेयर के विकास में लगे सब-कॉन्ट्रैक्टरों के नाम, जिस देश में सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है उसका नाम, जिस देश में सॉफ्टवेयर अद्यतन होगा उसका नाम, अद्यतन स्वत: होगा या नहीं और सॉफ्टवेयर मॉड्यूल की कार्य प्रणाली आदि से जुड़ी जानकारियां देनी होंगी। संबंधित पक्षों के साथ चर्चा में सरकार ने कहा है कि ऑप्टिकल फाइबर और मोबाइल उपकरणों को छोड़कर ज्यादातर अहम दूरसंचार उपकरणों की जांच होगी।
