प्रमुख भारतीय आईटी फर्मों ने बेंगलूरु एवं दूसरे शहरों में कोविड-19’वॉर-रूम’ स्थापित किए हैं क्योंकि वे संक्रमित श्रमिकों के लिए ऑक्सीजन, चिकित्सा एवं अस्पतालों में बेड के लिए संघर्ष कर रही हैं और ‘वॉर-रूम’ के सहारे दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय फर्मों के लिए बैकरूम ऑपरेशन को बनाए हुए हैं। बेंगलूरु, चेन्नई या हैदराबाद के बड़े ऑफिस पार्कों से अपने वैश्विक कारोबार का संचालन करने वाले गोल्डमैन सैक्स और स्टैंडर्ड चार्टर्ड सहित कई बैंकों ने 1 मई से आयु प्रतिबंध हटा दिए जाने के बाद अपने हजारों कर्मचारियों और उनके परिवारों को टीका लगाने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किया है। प्रौद्योगिकी सेवाप्रदाता कंपनी एक्सेंचर एवं विप्रो के कर्मियों का कहना है कि उनकी टीमें रोजाना 13-14 घंटे काम कर रही हैं और बहुत अधिक दबाव के साथ परियोजनाओं पर काम करने के लिए संघर्ष कर रही हैं क्योंकि कुछ कर्मचारी बीमार हैं और कुछ दोस्तों या रिश्तेदारों की देखभाल में लगे हैं। वे परिचालन में कमी के किसी भी खतरे से इनकार करते हैं लेकिन अगर संक्रमण की दर लगातार बढ़ती रही तो बड़ी आईटी कंपनियों द्वारा वेतन कटौती जैसे किसी कदम की आशंका से भी ग्रस्त हैं। एक्सेंचर के एक कर्मचारी ने नाम जाहिर नहीं करने की बात पर कहा, ‘कोरोना की दूसरी लहर शुरू होने के बाद से कर्मचारियों में संक्रमण बढ़ गया है, जिससे समय सीमा के करीब वाले प्रोजेक्ट को पूरा करने का दबाव बहुत अधिक बढ़ गया है।’
एक्सेंचर के पांच अन्य कर्मचारियों ने काम के दबाव के बढऩे की पुष्टि की है। एक्सेंचर का कहना है कि कंपनी अपने कर्मियों को चिकित्सा देखभाल प्रदान कर रही थी और उनके लिए टीकाकरण की लागत को भी वहन कर रही थी। हालांकि कंपनी ने कोरोना के चलते उत्पादकता पर पड़ रहे प्रभाव पर कोई टिप्पणी नहीं की। विप्रो का कहना है कि उसके कुल 1,97,000 कर्मचारियों में से 3 प्रतिशत कुछ अहम परियोजनाओं के चलते ऑफिस से काम कर रहे हैं और कंपनी को उम्मीद है कि आने वाले समय में वे भी घर से ही रहकर काम करेंगे। इन परियोजनाओं पर काम करने वाले कर्मियों के लिए विप्रो ने अपने स्वयं के गेस्ट हाउस तथा कार्यालय के आसपास के होटलों में ठहरने का इंतजाम किया है। भारत की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी इन्फोसिस का कहना है कि वह पूरी तरह से दूरस्थ तरीके से परिचालन कर रही है और किसी भी परियोजना में कोई परेशानी नहीं आ रही है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज का भी कहना है कि उनके परिचालन में किसी तरह की बाधा नहीं आ रही है। भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान पिछले सप्ताह में हर दिन कम-से-कम 3,00,000 नए लोग संक्रमित पाए गए हैं, जिसने स्वास्थ्य सुविधा तंत्रको पूरी तरह से हिला दिया है।
एशिया की आईटी राजधानी कहे जाने वाले बेंगलूरु में पिछले साल की पहली लहर की तुलना में इस बार रोजाना पांच गुना अधिक मामले सामने आ रहे हैं। इसके प्रसार को रोकने के लिए सोमवार को पूर्ण लॉकडाउन का आदेश दिया गया जिसमें सामान्य निवासियों को अपने घरों से केवल सुबह 6 बजे से 10 बजे के बीच निकलने की अनुमति है। कोविड-19 ‘वॉररूम’ भारत के विशालआईटी क्षेत्र एवं कॉलसेंटर सर्विस इंडस्ट्री में सीधे तौर पर 45 लाख से अधिक लोग कार्यरत हैं और यह 30 वर्ष से कम आयु के हजारों ग्रैजुएट पर निर्भर हैं। उन्हें एक बार फिर घर से काम करना जारी रखना होगा, जबकि हाल के ही महीनों में प्रतिबंधों में ढील के चलते कंपनियां अपने कर्मचारियों को कार्यालय वापस बुलाने पर विचार कर रही थीं। उदाहरण के लिए बेंगलूरू स्थित गोल्डमैन सैक्स के मैनेजर ने मार्च में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों को कहा कि वे पूरी क्षमता के साथ कार्यालय में काम करने के लिए वापस आने की तैयारी करें। बैंक ने इसे एनालिस्ट और इंटर्न के लिए भी अपनाया था, ताकि वे कम से कम गर्मियों में कुछ दिन कार्यालयों में काम कर सकें।