वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) की पहली तिमाही के नतीजों के बाद देश की पांच सबसे बड़ी आईटी कंपनियों—TCS, इन्फोसिस, HCL टेक्नोलॉजीज, विप्रो और टेक महिंद्रा—की परफॉर्मेंस देखकर विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल सेक्टर में हाई सिंगल डिजिट ग्रोथ की संभावना बेहद कम है।
रिसर्च फर्म UnearthInsight के मुताबिक, FY26 में टेक सर्विसेज इंडस्ट्री की ग्रोथ 3-5 फीसदी के बीच रह सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में इन कंपनियों की ग्रोथ मामूली रहेगी और किसी मजबूत रिकवरी की उम्मीद निकट भविष्य में नहीं की जा सकती।
इस सुस्ती के पीछे कई वजहें बताई जा रही हैं—जैसे वैश्विक आर्थिक कमजोरी, अमेरिका की ट्रेड पॉलिसी में बदलाव और कई देशों में जारी भू-राजनीतिक तनाव। इन वजहों से डील क्लोज होने में देरी हो रही है और क्लाइंट खर्च में भी तेजी नहीं दिख रही।
गौरतलब है कि पिछले दो वित्त वर्षों में इन शीर्ष पांच कंपनियों की रेवेन्यू ग्रोथ लगातार कमजोर रही है। FY25 में इनकी कुल रेवेन्यू ग्रोथ 4.9 फीसदी रही, जबकि FY24 में यह 4.8 फीसदी थी। FY21 के 5.8 फीसदी ग्रोथ रेट के मुकाबले यह सबसे सुस्त परफॉर्मेंस रही है।
देश की शीर्ष पांच आईटी कंपनियों ने FY26 की पहली तिमाही में मिला-जुला प्रदर्शन दिखाया है। UnearthInsight के फाउंडर और सीईओ गौरव वासु के मुताबिक, “मैक्रोइकॉनॉमिक चुनौतियां और क्लाइंट्स के सतर्क बजट अभी भी बड़ी रुकावटें हैं, लेकिन एआई आधारित बदलाव और डिजिटल पहलों पर कंपनियों का ध्यान लगातार बढ़ रहा है।”
हालांकि ज़्यादातर कंपनियों की रेवेन्यू ग्रोथ कमजोर रही, लेकिन कुल कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू (TCV) के लिहाज़ से प्रदर्शन बेहतर रहा। टीसीएस ने तिमाही दर तिमाही रेवेन्यू में गिरावट के बावजूद 9.4 अरब डॉलर का ऑर्डर बुक दर्ज किया। इंफोसिस ने भी 3.8 अरब डॉलर के बड़े सौदे हासिल किए, जबकि एचसीएलटेक के लिए कुल ऑर्डर वैल्यू 1.81 अरब डॉलर रही।
शीर्ष खिलाड़ियों में इंफोसिस का प्रदर्शन सबसे बेहतर माना जा रहा है, खासकर इसलिए क्योंकि कंपनी ने FY26 के लिए रेवेन्यू ग्रोथ गाइडेंस की निचली सीमा को बढ़ाया है।
एक विश्लेषक के मुताबिक, “जब तक डिमांड में सुधार नहीं होता, कंपनियों की ग्रोथ ठप रहेगी। सैलरी बढ़ोतरी का मकसद मार्जिन की गिरावट को रोकना है क्योंकि टॉपलाइन ग्रोथ सीमित है। कंपनियां हर डील में एआई को शामिल करने की बात कर रही हैं, लेकिन लगभग 20% की प्रोडक्टिविटी बढ़त अभी कुछ ही मामलों में दिख रही है क्योंकि एआई को अपनाने में समय लगता है।”
मार्जिन पर दबाव भी साफ दिख रहा है। इंफोसिस ने अनुमान से बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन उसकी ऑपरेटिंग मार्जिन Y-o-Y आधार पर 30 बेसिस प्वाइंट घटकर 20.8% रही। कंपनी ने अब भी पूरे साल के लिए 20-22% मार्जिन की उम्मीद जताई है, जिससे साफ है कि दबाव बना रहेगा।
एचसीएलटेक ने भी FY26 के लिए रेवेन्यू ग्रोथ गाइडेंस की निचली सीमा 2% से बढ़ाकर 3% कर दी है (नई सीमा 3-5%)। हालांकि, कंपनी ने Ebit मार्जिन गाइडेंस को घटाकर 17-18% कर दिया है, जो पहले 18-19% थी।
गौरव वासु ने कहा कि “मार्जिन में स्थिरता ऑपरेशनल अनुशासन और लागत नियंत्रण की वजह से बनी हुई है।”
आईटी सेवाओं की ग्रोथ इस साल धीमी रही है और इसकी बड़ी वजह अमेरिका जैसे प्रमुख बाजारों और कुछ सेक्टरों में बनी मंदी है।
इंडस्ट्री रिसर्च फर्म नेल्सनहॉल के प्रिंसिपल रिसर्च एनालिस्ट गौरव परब के मुताबिक अभी किसी खास सेक्टर में स्पष्ट रिकवरी ट्रेंड नहीं दिख रहा है। हालांकि BFSI (बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस) सेक्टर में हल्की तेजी नजर आ रही है, लेकिन अधिकांश कंपनियां अब भी गैर-जरूरी खर्चों को लेकर सतर्क हैं। परब ने बताया कि अमेरिका में ट्रेड डील्स के चलते टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितता जरूर कम हुई है, लेकिन BFSI की हालिया ग्रोथ ट्रेडिंग से मिले शॉर्ट-टर्म गेन की वजह से है, कोई बड़ा स्ट्रक्चरल बदलाव अब तक नजर नहीं आया है।
उपभोक्ता आधारित रिटेल सेक्टर में भी स्थिति ज्यादातर स्थिर बनी हुई है। सिर्फ कुछ डिस्काउंट स्टोर्स ही बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे उन आईटी कंपनियों पर असर पड़ रहा है जिनकी हिस्सेदारी इस सेक्टर में ज्यादा है।
परब के मुताबिक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर माहौल भले ही जोश से भरा हो, लेकिन ठोस व्यावसायिक परिणाम अब तक नजर नहीं आए हैं। अब ज्यादातर कंपनियां AI से जुड़े सौदों की संख्या सार्वजनिक नहीं करतीं, बल्कि 5-10% तक की प्रोडक्टिविटी गेन पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
उन्होंने बताया कि लगभग सभी आईटी सर्विस कंपनियों ने अब अपने एआई प्लेटफॉर्म बना लिए हैं, जो अक्सर स्वतंत्र सॉफ्टवेयर वेंडर्स (ISVs) के साथ मिलकर तैयार किए गए हैं। ये प्लेटफॉर्म ऐप डेवलपमेंट, टेस्टिंग और मेंटेनेंस में इस्तेमाल हो रहे हैं। डील्स में अब कंपनियां एआई क्षमताओं को लेकर ज्यादा संतुलित प्राइसिंग अप्रोच अपना रही हैं, चाहे वे इन क्षमताओं को अलग से बेचें या फिर अपने व्यापक सर्विस पैकेज में शामिल करें।