देश की रियल-टाइम भुगतान प्रणाली यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) को इस साल 12 अप्रैल को दो सप्ताह से अधिक समय में चौथी बार समस्या का सामना करना पड़ा। नैशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने लेनदेन विफल होने के लिए तकनीकी समस्याओं को जिम्मेदार ठहराया है।
एनपीसीआई से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार मार्च 2020 से मार्च 2025 तक 17 मामलों में यूपीआई कुल मिलाकर 995 मिनट तक ठप रहा। अगर इस साल अप्रैल के दो मामलों को भी शामिल कर लें तो मार्च 2020 से अभी तक यूपीआई 1,000 मिनट से अधिक समय तक ठप रहा। हालांकि अप्रैल में यूपीआई के ठप पड़ने का आंकड़ा अभी एनपीसीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है।
एनपीसीआई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक बयान में कहा, ‘एनपीसीआई को वर्तमान में रुक-रुक कर तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे आंशिक रूप से यूपीआई लेनदेन में गिरावट आ रही है। इससे हुई असुविधा के लिए हमें खेद है।’ जुलाई 2024 में सबसे लंबे समय तक 207 मिनट यूपीआई ठप रहा। हालांकि यूपीआई का अपटाइम (वह अवधि जिसके दौरान लेनदेन सेवाएं चालू रहती हैं) लगातार हर महीने 99 फीसदी से अधिक रहा है, जो भुगतान प्रणाली की कार्यक्षमता की उच्च दर को दर्शाता है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने पिछले सप्ताह बताया था कि यूपीआई के डेटा सेंटर को संचालित करने वाले इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के नेटवर्क में कुछ समस्या के कारण पिछले दो हफ्तों में यूपीआई में रुकावटें आई थीं। एक घंटे तक की रुकावट का मतलब है कि लगभग 4 करोड़ यूपीआई लेनदेन का प्रभावित होना। मार्च में यूपीआई के जरिये रोजाना औसतन 59 करोड़ लेनदेन हुआ। 26 मार्च को (पहली रुकावट के दिन) 55 करोड़ लेनदेन हुआ, जो इससे पिछले दिन किए गए 58.1 करोड़ लेनदेन से 7 फीसदी कम है।
हाल के दिनों में यूपीआई पर दो फिनटेक कंपनियों का वर्चस्व बड़ी चिंता का विषय रहा है। एनपीसीआई के आंकड़ों के अनुसार मार्च में यूपीआई लेनदेन में 47.25 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ फोनपे शीर्ष पर है। दूसरे नंबर पर 36.04 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ गूगल पे है। पेटीएम की हिस्सेदारी 6.67 फीसदी है। शीर्ष दो कंपनियों के पास कुल मिलाकर 83 फीसदी से अधिक बाजार हिस्सेदारी है जबकि पेटीएम को भी जोड़ लें तो तीनों फिनटेक फर्मों के पास 90 फीसदी बाजार हिस्सेदारी है। फिनटेक फर्म नवी की 1.77 फीसदी और सुपरमनी की हिस्सेदारी 0.94 फीसदी है।