आईटी हार्डवेयर के लिए बदलकर लाई गई उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के लिए दुनिया भर की कंपनियां कतार लगा रही हैं। सरकार की इस योजना के तहत कुल 32 कंपनियों ने देश में पर्सनल कंप्यूटर (पीसी), लैपटॉप, टैबलेट, सर्वर तथा एज कंप्यूटर उपकरण बनाने के लिए आवेदन किया है। इनमें डेल, ह्यूलेट पैकर्ड (एचपी), फॉक्सकॉन, आसुस, एसर और फ्लेक्स जैसी कंपनियां शामिल हैं।
फॉक्सकॉन ने अपनी सहायक इकाई के जरिये पीएलआई के लिए आवेदन किया है। इस योजना के तहत पंजीकरण के लिए आवेदन की आज आखिरी तारीख थी। केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस योजना से अगले 6 साल में 3.35 लाख करोड़ रुपये का वृद्धिशील उत्पादन होने की उम्मीद है। पीएलआई 2.0 के तहत आए कुल 32 आवेदनों में से करीब 8 कंपनियों ने इस योजना में शामिल की गई नई हाइब्रिड श्रेणी के अंतर्गत आवेदन किया है।
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इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि करीब 25 आवेदन स्थानीय कंपनियों से आए हैं। आवेदन करने वाली भारतीय कंपनियों में डिक्सन टेक्नोलॉजीज, वीवीडीएन टेक्नोलॉजीज, ऑप्टिमस टेलीकम्युनिकेशन और सहस्र इलेक्ट्रॉनिक सॉल्यूशंस आदि शामिल हैं।
संशोधित योजना में उपकरणों को देश में ही बने कलपुर्जों के साथ असेंबल करने पर अतिरिक्त प्रोत्साहन देने की बात है। स्थानीय स्तर पर तैयार प्रोसेसर के साथ हार्डवेयर असेंबल करने वाली कंपनियों को वृद्धिशील बिक्री का 3 फीसदी प्रोत्साहन के तौर पर दिया जा सकता है। कुल मिलाकर 8 से 9 फीसदी प्रोत्साहन मिल सकता है।
वैष्णव ने कहा कि इस अतिरिक्त प्रोत्साहन से उत्पादन में 35 से 48 फीसदी मूल्यवर्धन स्थानीय स्तर पर होगा। उन्होंने कहा कि कई कंपनियों ने अपनी स्थानीय डिजाइन प्रक्रिया भी तेज की है, जिससे मूल्यवर्धन और भी बढ़ जाएगा। आज दोपहर 2 बजे तक इस योजना के तहत 88 कंपनियों ने पंजीकरण कराया था। इसलिए मंत्रालय को उम्मीद है कि मध्यरात्रि तक कई और कंपनियां अपने पंजीकरण को आवेदन में बदल सकती हैं।
वैष्णव ने कहा, ‘देश में पीसी, लैपटॉप और सर्वर बनाने के लिए प्रतिक्रिया बहुत उत्साह भरी है। आवेदन करने वाली सभी कंपनियां तेजी से उत्पादन करने तथा मौजूदा उत्पादन को बढ़ाने में जुट गई हैं। इस योजना के लिए हमारा आवंटन 17,000 करोड़ रुपये था। लेकिन हमें इससे बहुत अधिक राशि के प्रस्ताव मिले हैं।’
यह योजना पहली बार 2021 में शुरू की गई थी मगर कम प्रोत्साहन तथा महामारी में कंप्यूटर उपकरणों की मांग में आई तेजी के बाद मांग घटने से इसे ठंडी प्रतिक्रिया मिली। इसे देखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मई में योजना में थोड़ा बदलाव किया। योजना के लाभ के लिए आवेदन करने वाली कंपनियों में केवल 3 ही पहले साल जरूरी लक्ष्य पूरा कर पाई थीं। इस बार योजना का बजट पहले तय किए गए 7,325 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 17,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
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वैष्णव ने जोर देकर कहा कि किसी भी आईटी हार्डवेयर कंपनी ने सरकार के साथ बातचीत के दौरान नई आयात लाइसेंसिंग नीति पर चिंता नहीं जताई। उन्होंने कहा, ‘हमने आवेदकों से पूछा कि आयात प्रबंधन नीति से कोई चिंता तो नहीं है। उनमें से किसी को कोई चिंता नहीं है।’ उन्होंने कहा कि इस योजना से 75,000 लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिलेगा। वैष्णव ने कहा, ‘डिक्सन नोएडा में कारखाना बनाएगी, जिसमें करीब 20,000 कर्मचारी होंगे। कंपनी निर्माण कार्य पूरा कर चुकी है और जल्द ही उत्पादन का काम शुरू हो जाएगा।’
पिछले साल की दूसरी छमाही से भारत में पीसी की बिक्री में गिरावट देखी जा रही है। इंटरनैशनल डेटा कॉर्पोरेशन (आईडीसी) के आंकड़ों के मुताबिक इस साल की पहली तिमाही में पीसी बाजार (डेस्कटॉप, नोटबुक और वर्कस्टेशन) सालाना 30.1 फीसदी घटकर सिर्फ 29.9 लाख इकाई रह गया।
बाजार हिस्सेदारी के लिहाज से एचपी 33.8 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे है। इसके बाद लेनोवो, डेल टेक्नोलॉजीज, एसर ग्रुप और आसुस आती हैं।
पिछली बार की योजना में भगवती प्रोडक्ट्स, डेल इंटरनैशनल सर्विसेज और नेटवेब टेक्नोलॉजीज को प्रोत्साहन के लिए मंजूरी मिली थी। भगवती प्रोडक्ट्स के लिए 5.30 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।