नई दिल्ली के मशहूर नेहरू प्लेस बाजार में लैपटॉप की खुदरा बिक्री से जुड़े मनोज कुमार कहते हैं, ‘कोविड के बाद बाजार में गिरावट की वजह से जो हालात बनते दिखे थे, यह घटनाक्रम कुछ उसकी ही याद दिलाता है।’
नेहरू प्लेस एशिया का सबसे बड़ा और सबसे व्यस्ततम आईटी बाजार है। जैसे ही आप इस मार्केट कॉम्प्लेक्स में प्रवेश करेंगे कई लड़के आपके इर्द-गिर्द मंडराने लगेंगे और आपसे पूछेंगे कि क्या आपको अपना लैपटॉप बनवाना है या आपको कोई नया लैपटॉप लेना है और इसके बाद वे किसी छोटी दुकान का रास्ता दिखाने लगेंगे।
भारत सरकार ने ‘सुरक्षा जोखिम’ का हवाला देते हुए गुरुवार को लैपटॉप, टैबलेट, पर्सनल कंप्यूटर और अन्य समान तरह की डेटा-प्रोसेसिंग यूनिट पर आयात प्रतिबंध लगाने की घोषणा की हैं। हालांकि इसमें चीन का जिक्र नहीं किया गया लेकिन इस तरह के प्रतिबंधों का अर्थ यह होगा कि ये सामान अब केवल ‘भरोसेमंद साझेदारों’ से लाइसेंसिंग प्रक्रिया के तहत ही लिए जा सकेंगे। सभी प्रमुख पर्सनल कंप्यूटर (पीसी) कंपनियां जैसे कि लेनोवो, ऐपल, डेल और एचपी देश में मांग पूरा करने के लिए लैपटॉप का आयात करती हैं।
कुल बिक्री में पीसी आयात की हिस्सेदारी 90 फीसदी तक
बिज़नेस स्टैंडर्ड रिपोर्ट के मुताबिक पर्सनल कंप्यूटर कंपनियों ने चेतावनी दी है कि अचानक लगाई गई इस शर्त से पीसी आयात बाधित हो सकती है और देश में इन सामानों की बड़ी कमी होगी और ऐसे में कीमतें तेजी से बढ़ सकती है। देश में होने वाली कुल बिक्री में पीसी आयात की हिस्सेदारी 90 फीसदी तक है।
पुराने (सेकंड हैंड) लैपटॉप की बिक्री करने वाले दुकान, ‘लैपटॉप बाजार’ के मालिक, कुमार का कहना है कि इस तरह के कदम का प्रभाव सेकंड हैंड बाजार पर भी पड़ेगा। उनका कहना है, ‘जो लोग वैकल्पिक तरीके से महंगे सेकंड हैंड सामान खरीद रहे थे अब वे नया सामान खरीदने का विकल्प चुन सकते हैं क्योंकि दोनों के बीच लागत का अंतर कम हो सकता है।’
कुमार हर महीने करीब 15-20 पुराने लैपटॉप बेचते हैं और इन लैपटॉप की कीमत 7,000 रुपये से 40,000 रुपये तक होती है। खुदरा विक्रेताओं का कहना है कि इस कदम के पीछे मूल विचार, स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देना है जो सही है लेकिन इस पर अमल करने में काफी वक्त लगेगा।
‘रातोरात नहीं हो सकती मेक इन इंडिया’
एक अन्य लैपटॉप रिटेलर नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं, ‘मेक इन इंडिया रातोरात नहीं हो सकती है। नए प्रतिबंध से बाजार में मांग-आपूर्ति का अंतर बनेगा और इससे आखिरकार कीमतों में बढ़ोतरी होगी।’
उनका कहना है, ‘ग्राहक जल्दबाजी में लैपटॉप खरीदना चाहेंगे भले ही उसकी कीमत बढ़ी हुई हो। यही बात पुराने और असेंबल लैपटॉप के लिए भी सच होगी जिसे कंपनी का एक अधिकृत स्टोर बेचता है। इनकी कीमतों में भी इस वजह से बढ़ोतरी देखी जाएगी क्योंकि उत्पादों की आपूर्ति मांग के अनुरूप नहीं होगी। ’
इन दिनों दिन के दौरान बाजार में ज्यादा व्यस्तता नहीं दिखती है। वह कहते हैं, ‘आने वाले दिनों में भीड़ बढ़ेगी। जो लोग बाद में लैपटॉप या टैबलेट खरीदने की योजना बना रहे थे अब वे बाजार में जल्दी खरीदारी करने के लिए आएंगे ताकि उन्हें बाद में अतिरिक्त पैसे का भुगतान न करना पड़े।’ हालांकि कुछ खुदरा विक्रेताओं का कहना है कि अधिक कीमतों के बावजूद बिक्री पर असर नहीं पड़ेगा।
एक मल्टीब्रांड लैपटॉप रिटेलर, लैपटॉप स्टोर के एक विक्रेता चेतन का कहना है कि लैपटॉप और टैबलेट रोज काम करने वाले पेशेवर लोगों के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है। उनका कहना है, ‘यह एक ऐसा उपकरण है जो लोगों के काम के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और इसके बगैर उनका काम नहीं चल सकता है। उन्हें इसके लिए ज्यादा पैसे निकालने होंगे, भले ही इसमें मुश्किल आए।’
बाजार में एक कस्टम पीसी निर्माता धीरज राणा का कहना है कि इस कदम से उनके कारोबार पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि ये प्रतिबंध केवल पूरी तरह से असेंबल किए गए उत्पाद पर ही लगाए गए हैं।