बीएस बातचीत
भारत की सबसे बड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडडी) ने अक्टूबर-दिसंबर, 2020 के नतीजों से विश्लेषकों को चकित कर दिया है। कंपनी ने एक तिमाही में अपनी ऑर्डर बुक में शानदार तेजी दर्ज की है। देव चटर्जी और अदिति दिवेकर के साथ साक्षात्कार में एलऐंडटी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी एस एन सुब्रमण्यन ने कहा कि कंपनी कोविड-पूर्व स्तर पर पहुंच गई है और इस वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में उसके द्वारा बेहतर आंकड़े दर्ज किए जाने की संभावना है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
महामारी की वजह से एलऐंडटी पर कितना प्रभाव पड़ा है?
लॉकडाउन के बावजूद एलऐंडटी ने अच्छा प्रदर्शन किया है। तीसरी तिमाही के लिए उसका मजबूत राजस्व इस बात का संकेत देता है कि कंपनी कोविड से पहले जैसी स्थिति में लौट आई है। हमें चालू वर्ष में परियोजना क्रियान्वयन में तेजी आने की उम्मीद है। इसकी वजह मुख्य रूप से विद्युत पारेषण एवं वितरण, जल, मेट्रो, सड़क और एलिवेटेड कॉरिडोर में लंबित परियोजना प्रस्ताव हैं। फिर भी हम किसी ठोस अनुमान की पेशकश नहीं कर रहे हैं, लेकिन हमें उम्मीद है कि चालू वर्ष सकारात्मक बिक्री आंकड़ों के साथ संपन्न होगा। मुख्य तौर पर सरकारी क्षेत्र से हमारी ऑर्डर बुक मजबूत है। हालांकि नई परियोजनाओं में निजी क्षेत्र का निवेश अभी दूर बना हुआ है।
आपके अनुसार, निजी पूंजीगत खर्च में कब तक तेजी आने के आसार हैं?
सीमेंट और इस्पात क्षमताओं में सुधार आ सकता है और शायद रिटेल एवं इलेक्ट्रॉनिक सेगमेंटों में सुधार देखा जा सकता है। निजी क्षेत्र में खर्च की रफ्तार सुधरने में 6 महीने से लेकर 1 साल का समय लग सकता है। एलऐंडटी इसके लिए पश्चिम एशिया, अफ्रीका और मुख्य तौर पर सार्वजनिक क्षेत्र पर निर्भर रहेगी।
31 दिसंबर तक आपका समेकित शुद्घ कर्ज स्तर क्या रहा? आपकी कर्ज घटाने की रणनीति क्या है?
हमारे 1.7 लाख करोड़ रुपये के समेकित कर्ज में से ज्यादातर एलऐंडटी फाइनैंस (लगभग 90,000 करोड़ रुपये) से संबंधित है। इस ऋण को हटाकर, एलऐंडटी के बहीखाते पर वास्तविक ऋण 70,000 करोड़ रुपये है। इसमें हमारी विकास संबंधी परियोजनाओं – एलऐंडटी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स और हैदराबाद मेट्रो – का 35,000 करोड़ रुपये का ऋण शामिल है। हम एलऐंडटी आईडीपीएल में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रहे हैं। हमने आईडीपीएल में बड़ी हिस्सेदार बेची है। हमारे ऋण का एक बड़ा हिस्सा हैदराबाद मेट्रो परियोजना से जुड़ा हुआ है। यह परियोजना महामारी फैलने से पहले शुरू हुई थी। इस परियोजना को पांच महीने के लिए आगे बढ़ा दिया गया था। बाद में इसे पुन: शुरू किया गया है। जब परियोजना एबिटा के लिहाज से सकारात्मक हो जाएगी, हम इसमें अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच देंगे। इसे दो साल और लगेंगे। इन परियोजनाओं की बिक्री के साथ हम कर्ज-मुक्त कंपनी बनने की कोशिश कर रहे हैं। एलऐंडडी का वास्तविक कर्ज करीब 30,000-35,000 करोड़ रुपये है।
सीमेंट और इस्पात कीमतें चढ़ी हैं। क्या इससे एलऐंडटी के इन्फ्रास्ट्रक्चर का ऑर्डर प्रवाह प्रभावित हो सकता है? इससे कंपनी के लिए परियोजना लागत बढ़ सकती है?
मैं नहीं मानता कि इस्पात और सीमेंट कीमतों में वृद्घि से परियेाजनाएं प्रभावित होंगी। हम चाहते हैं कि हमारी परियोजनाएं रोजगार पैदा करें। इस्पात कमीतें एक महीने पहले के 36 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 65 रुपये तक पहुंची हैं। सीमेंट कीमत भी 265 रुपये से बढ़कर 400 रुपये प्रति बोरे पर पहुंच गई है। कीमतों में नरमी जरूरी है।
मुंबई-नवी मुंबई सी लिंक, कोस्टल रोड, और मेट्रो से संबंधित आपकी तीन प्रमुख परियोजनाओं की क्या स्थिति है? क्या वे महामार से प्रभावित हुई थीं?
सभी तीनों परियोजनाओं पर काम चल रहा है। लॉकडाउन ने हमें तीन महीने पीछे ला दिया। लेकिन अब हम मानव श्रम और सामग्री जुटाने के संदर्भ में तेजी ला रहे हैं। मरीन ड्राइव से तटीय सड़क परियोजना पर टनलिंग कार्य पहले ही शुरू हो गया है। मेट्रो परियोजना के लिए यह कार्य पूरा हो गया है और स्टेशनों पर काम फिर से शुरू हो गया है।