सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील (एएमएनएस) के खिलाफ अपना 8,772 करोड़ रुपये का दावा संबंधित विवाद निपटाने के लिए एक मध्यस्थ पंचाट की नियुक्ति के लिए इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के अनुरोध को ठुकरा दिया गया था।
यह विवाद एस्सार स्टील इंडिया लिमिटेड (ईएसआईएल) से जुड़ा हुआ है, जिसका अधिग्रहण एएमएनएस ने वर्ष 2019 में दिवालिया समाधान प्रक्रिया के तहत किया था। इसे सर्वोच्च न्यायालय ने मंजूरी
प्रदान की थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि आईओसी और एएमएनएस दोनों एक सप्ताह के भीतर मध्यस्थों की नियुक्ति के लिए सहमत हुए हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल अक्टूबर में एक गैस आपूर्ति समझौते (जीएसए) से संबंधित विवाद के समाधान के लिए मध्यस्थ की नियुक्ति के लिए आईओसी के अनुरोध को ठुकरा दिया था।
यह जीएसए उसने वर्ष 2009 में ईएसआईएल के साथ किया था। ईएसआईएल ने वर्ष 2017 में समझौता रद्द कर दिया, लेकिन आईओसी ने इसका विरोध जताया था। आईओसी का कहना था कि उसने समझौते के संबंध में किसी तरह का उल्लंघन नहीं किया है।