राष्ट्रपति डॉनल्ड के शुल्क लगाए जाने के फैसले से अमेरिका के जूता मार्केट में घबराहट फैल गई है। इसका कारण यह है कि अमेरिका का जूता उद्योग 95 प्रतिशत आयात पर आश्रित है और इसमें करीब 70 प्रतिशत हिस्सेदारी चीन और वियतनाम की संयुक्त रूप से है। यह तमिलनाडु के लिए महत्त्वपूर्ण रूप से लाभकारी कदम साबित हो सकता है। यह राज्य चीन प्लस वन रणनीति के कारण ब्रांड्स नाइकी, एडीडास, प्यूमा और रीबॉक के गैर चमड़ा वाले जूते की आपूर्ति बढ़ने का रुझान देख रहा है। इन ब्रांड ने चीन प्लस वन रणनीति के तहत चीन के अलावा अन्य देशों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है।
उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार चीन और वियतनाम पर अधिक शुल्क लगाए जाने से सर्वाधिक लाभ की स्थिति में तमिलनाडु रहेगा। इसके बावजूद भारत की मुख्य चिंता यह है कि भारत कच्चे माल के लिए करीब 90 प्रतिशत आयात पर आश्रित है।
ट्रंप के फैसले के बाद अमेरिका के शेयर बाजार में गुरुवार सुबह 8:45 पर लगभग सभी जूते के ब्रांड्स के शेयर गिर गए थे। इस क्रम में अमेरिका के शेयर बाजार में नाइक का शेयर 13 प्रतिशत और स्केचर्स के शेयर में 11 प्रतिशत की गिरावट आई। इसी तरह वूल्वरिन और वर्ल्ड वाइट के शेयर में छह प्रतिशत और अंडर आर्मर में लगभग पांच प्रतिशत की गिरावट आई। वैसे यूरोप के बाजार में भी प्यूमा और एडीडास के शेयर में क्रमश 10 प्रतिशत और 11 प्रतिशत की गिरावट देखी गई।
कोठारी इंडस्ट्रियल कॉरपोरेशन के निदेशक व मुख्य कार्याधिकारी (फुटवियर बिजनेस) एन. मोहन ने कहा, ‘हमारे लिए वैश्विक स्तर पर गैर चमड़ा जूता का प्रमुख केंद्र बनने का समय आ गया है। अभी विश्व के 85 प्रतिशत ग्राहक ऐसे जूते चप्पलों का इस्तेमाल कर रहे हैं।’ उन्होंने बताया, ‘कच्चे माल का पारिस्थितिकीतंत्र पूरी तरह विकसित नहीं हुआ है। हमें सरकार की अधिक मदद की जरूरत है।’
वैश्विक आपूर्तिकर्ता जैसे डीन शूज (लॉन्ग यिन इंवेस्टमेंट), पोउ चेन कॉरपोरेशन, हॉन्ग फू इंडस्ट्रीयल ग्रुप, जुका, स्पोर्ट गीयर, ओएससिस फुटवियर, लैंथी, शू टाउन (फीनिक्स कोठारी के साथ साझेदारी में) और अपाचे ने तमिलनाडु में निवेश की योजना बनाई है। हांग फू के प्रतिष्ठित ग्राहकों में नाइक, कॉनवर्स, वैन्स, एडिडास, और रीबॉक शामिल हैं। हांग फू ने बीते साल चेन्नई से 85 किलोमीटर दूर पनापक्कलम में 1500 करोड़ रुपये की फुटवियर विनिर्मार्ण इकाई के साथ भारत में प्रवेश किया है।