भारत सहित तमाम प्रमुख व्यापार भागीदारों पर जवाबी शुल्क लगाने के अमेरिका के फैसले ने वहां के खरीदारों को मुश्किल में डाल दिया है। निर्यातकों का कहना है कि अमेरिकी खरीदार अपने मौजूदा ऑर्डरों का नए सिरे से आकलन कर रहे हैं और उनमें से कुछ छूट की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिकी खरीदार बराबरी के शुल्क के मद्देनजर आयात के लिए बेहतरीन स्रोत की तलाश भी कर रहे हैं।
कुछ निर्यातकों ने चिंता जताई कि 60 देशों से आयात शुल्क में भारी वृद्धि होने के कारण कुछ खरीदारों को नकदी की समस्या से जूझना पड़ सकता है। अब तक अमेरिका का औसत आयात शुल्क 3 फीसदी के दायरे में रहा है। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिकी खरीदारों को नकदी की समस्या का सामना करना पड़ा तो उसका खमियाजा भारतीय निर्यातकों को भी भुगतना पड़ सकता है। इससे भुगतान में देरी हो सकती है जिससे भुगतान चक्र लंबा हो जाएगा। इसके अलावा कीमतों पर प्रभाव को समझने के लिए भी गणना की जा रही है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को जवाबी शुल्क को लागू करने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। उसके तहत विभिन्न देशों से आयात पर 10 से 50 फीसदी के दायरे में अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है। आदेश के अनुसार 10 फीसदी का बुनियादी शुल्क शनिवार से प्रभावी हो गया जबकि देश विशेष पर आधारित अतिरिक्त शुल्क 9 अप्रैल से प्रभावी होंगे। अमेरिका उन 60 देशों पर अलग-अलग जवाबी शुल्क लगाएगा जिनके साथ उसका व्यापार घाटा अधिक है।
जहां तक भारत का सवाल है तो यहां के सीमा शुल्क अधिकारी 9 अप्रैल तक वस्तुओं की तेजी से निकासी के लिए काम कर रहे हैं। उनकी प्राथमिकता यह है कि किसी भी तरह 9 अप्रैल से पहले अधिक से अधिक खेप भेज दी जाए।
भारतीय निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी अजय सहाय ने कहा कि अगले कुछ सप्ताह के दौरान मांग में नरमी दिख सकती है क्योंकि खरीदार अतिरिक्त शुल्कों के प्रभाव का आकलन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश नहीं है जिसे उच्च जवाबी शुल्क का सामना करना पड़ रहा है।
सहाय ने कहा, ‘फिलहाल अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। खरीदार शुल्क में वृद्धि के मद्देनजर अपनी नकदी की स्थिति का आकलन कर रहे हैं। खरीदारों को यह देखना होगा कि क्या खरीद की मात्रा समान रहेगी या उसमें कटौती की जरूरत है। यह आकलन सभी देशों के संदर्भ में होना चाहिए।’
बहरहाल ट्रंप शुल्क के कारण हर देश को अमेरिकी निर्यात में कमी दिख सकती है। इससे अगले कुछ सप्ताहों के दौरान मांग प्रभावित होगी। भारतीय कपड़ा उद्योग परिसंघ की महासचिव चंद्रिमा चटर्जी ने कहा कि कुछ खरीदार छूट की मांग कर रहे हैं, मगर कुछ सप्ताह बाद ही वास्तविक स्थिति का पता चलेगा।