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Sugar Production: कम हुआ चीनी उत्पादन, लेकिन कीमतों पर असर नहीं!

2024-25 में चीनी उत्पादन घटकर 2.64 करोड़ टन रहने का अनुमान, लेकिन पर्याप्त भंडार होने से कीमतों और सप्लाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

Last Updated- March 12, 2025 | 10:57 PM IST
Sugar Production: The sweetness of sugar can be bitter! Huge decline of 16 percent in production कड़वी हो सकती है चीनी की मिठास! उत्पादन में आई 16 फीसदी की भारी गिरावट

भारत का शुद्ध चीनी उत्पादन सितंबर में समाप्त हो रहे सीजन 2024-25 में करीब 2.64 करोड़ टन ही रहने का अनुमान जताया गया है। यह 2.72 करोड़ टन के जनवरी में आए अनुमान से कम है। चीनी का उत्पादन गिरने का कारण उत्तर प्रदेश में गन्ने से कम चीनी निकालना और महाराष्ट्र में उत्पादन कम होना है। हालांकि इससे चीनी की कीमतों या आपूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि सीजन के अंत में 54 लाख टन चीनी बची होगी।

इंडियन शुगर ऐंज बायो एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (इस्मा) ने आज बताया कि 2024-25 के सत्र के समापन पर चीनी का बचा भंडार दो महीने के उत्पादन की मानक आवश्यकता 45 लाख टन से अधिक होगा। इस्मा का जनवरी में अनुमान यह था कि एथनॉल में 37 लाख टन इस्तेमाल होने के बावजूद शुद्ध रूप से 2.72 करोड़ टन चीनी उत्पादन होगा। इसने अब अपने अनुमान को संशोधित कर 2.64 करोड़ टन कर दिया है और उसके मुताबिक एथनॉल में 35 लाख टन चीनी का उपयोग हो सकता है।

इस्मा के महानिदेशक दीपक बल्लानी के मुताबिक, ‘सत्र 2025-26 के लिए बेहद सहज ओपनिंग स्टॉक होगा। वर्ष 2024 में दक्षिण पश्चिम मॉनसून अच्छा रहने और जलाशयों में पानी की अच्छी उपलब्धता के कारण अगले वर्ष गन्ने का उत्पादन बेहद अच्छा रहने का अनुमान है। महाराष्ट्र और कर्नाटक में 2025-26 के सत्र में बोआई बेहतर होने की सूचना है।’

उन्होंने बताया कि इस अच्छे अनुमान के कारण 2025-26 का गन्ना पेराई सत्र अक्टूबर, 2025 में समय पर शुरू होने होगा। सत्र के अंत में क्लोजिंग स्टॉक करीब 54 लाख टन होने का अनुमान है जो काफी पर्याप्त है। बल्लानी ने बताया, ‘इसके अलावा उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के अन्य राज्यों में किस्मों का बदलाव करने के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। इससे बेहतर उपज हासिल होगी और 2025-26 में चीनी सत्र में इन क्षेत्रों से बेहतर रिकवरी भी होगी।’

इस्मा का अनुमान है कि 2024-25 सत्र में कुल चीनी खपत करीब 2.8 करोड़ टन रहने का अनुमान है और यह बीते साल के 2.9 करोड़ टन से कम होगा। इसका कारण यह है कि बीते साल चुनाव होने के कारण चीनी की बिक्री को बढ़ावा मिला था लेकिन इस साल चुनाव नहीं हैं। चीनी मिल मालिकों का अनुमान है कि बीते साल की तुलना में इस साल भी चीनी का खुदरा मूल्य 43-44 रुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में रह सकता है।

बल्लानी ने बताया, ‘इस सत्र की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि बीते साल के चीनी बकाए में से करीब 99.9 फीसदी का भुगतान हो गया है। अभी तक इस सत्र के गन्ने के करीब 80 फीसदी बकाए का भुगतान हो चुका है।’

First Published - March 12, 2025 | 10:57 PM IST

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