वित्त वर्ष 2025 में घरेलू इस्पात उद्योग का क्षमता उपयोग चार साल में पहली बार 80 प्रतिशत से नीचे खिसकने वाला है क्योंकि सस्ता आयात बाजार हिस्सेदारी को हड़प रहा है। इक्रा ने इस्पात क्षेत्र के संबंध में अपने नवीनतम नोट में यह जानकारी दी है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने कहा कि 45 से 50 अरब डॉलर के निवेश वाली नौ से 9.5 करोड़ टन प्रति वर्ष की आगामी क्षमता वृद्धि की योजना पर तब तक मंदी का खतरा रह सकता है, जब तक कि देसी इस्पात मिलों की आय मौजूदा स्तर की तुलना में नहीं बढ़ जाती।
इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख (कॉरपोरेट सेक्टर रेटिंग्स) गिरीशकुमार कदम ने बयान में कहा कि घरेलू इस्पात उद्योग में पिछले वित्त वर्ष के दौरान 1.82 करोड़ टन प्रति वर्ष की सर्वकालिक क्षमता वृद्धि देखी गई और चालू वर्ष में 1.53 करोड़ टन प्रति वर्ष की नई क्षमता और जुड़ने वाली है।
कदम ने कहा, ‘हालांकि उम्मीद है कि घरेलू इस्पात की मांग वित्त वर्ष 2025 में 10 से 11 प्रतिशत की अपनी दमदार वृद्धि दर बरकरार रखेगी। लेकिन घरेलू मिलें सस्ते आयात से अपनी बाजार हिस्सेदारी बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। घरेलू तैयार इस्पात उत्पादन में पांच प्रतिशत की काफी कम वृद्धि से यह जाहिर है। चालू वित्त वर्ष में हमें यही हाल दिख रहा है। रिकॉर्ड स्तर पर चल रही विस्तार योजनाओं को जोड़े दें तो उद्योग की क्षमता उपयोग दर वित्त वर्ष 2024 में 85 प्रतिशत से घटकर चालू वित्त वर्ष में अनुमानित 78 प्रतिशत रहने के आसार हैं। यह पिछले चार वर्षों का सबसे कम स्तर है।’
विस्तार की होड़ में शामिल प्रमुख इस्पात उत्पादक कुछ समय से सस्ते आयात का मसला उठाते रहे हैं। अन्य प्रमुख उत्पादक और उपभोग केंद्रों के साथ-साथ चीन में आर्थिक विकास का खराब परिदृश्य है। इस कारण व्यापार प्रवाह का रुख भारत जैसे अधिक विकास वाले बाजारों की ओर कर दिया गया है। वित्त वर्ष 2025 के सात महीने में भारत को किए जाने वाले इस्पात आयात में चीन की हिस्सेदारी सबसे अधिक 30 प्रतिशत रही।