भारी उद्योग मंत्रालय ने अपनी वाहन परीक्षण एजेंसियों के माध्यम से इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया विनिर्माताओं को औपचारिक रूप से यह घोषणा करने के लिए कहा कि उनके पास पर्याप्त दुर्लभ खनिज मैग्नेट हैं और वे पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत ट्रैक्शन मोटर और इलेक्ट्रॉनिक थ्रॉटल स्थानीय स्तर पर बनाएंगे।
मंत्रालय के इस कदम ने कई वाहन कंपनियों को हैरान कर दिया क्योंकि चीन द्वारा 4 अप्रैल को दुर्लभ खनिज मैग्नेट के निर्यात पर लगाई गई पाबंदियों के बाद वे सरकार से अस्थायी राहत की उम्मीद कर रही थीं, मगर अब उन्हें सख्त अनुपालन का सामना करना होगा। वाहन उद्योग ने बार-बार आगाह किया है कि वर्तमान आपूर्ति श्रृंखला की बाधाओं की वजह से कुछ वाहन पुर्जों का स्थानीय स्तर पर विनिर्माण अव्यावहारिक हो गया है।
3 मार्च को जारी अधिसूचना के मुताबिक सब्सिडी का दावा करने वाले इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया विनिर्माताओं के लिए चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम तैयार किया गया है। इस योजना के तहत सब्सिडी चाहने वालों को ट्रैक्शन मोटर और इलेक्ट्रॉनिक थ्रॉटल सहित कुछ अन्य वाहन कलपुर्जों का घरेलू स्तर पर विनिर्माण की अनिवार्य शर्त लागू की गई है।
हालांकि उद्योग ने कहा था कि ट्रैक्शन मोटर नियोडिमियम और डिस्प्रोसियम मैग्नेट पर निर्भर हैं जो दुर्लभ खनिज हैं। इसमें भारत अपनी लगभग पूरी जरूरत के लिए चीन से आयात पर निर्भर है। लेकिन चीन की पाबंदियों के कारण स्थानीय स्तर पर ट्रैक्शन मोटर्स को असेंबल करने का काम जारी रखना संभव नहीं है।
वाहन विनिर्माताओं ने भारी उद्योग मंत्रालय से अस्थायी तौर पर पूरी तरह से असेंबल किए गए मोटर के आयात की अनुमति देने का आग्रह किया था। मगर मंत्रालय ने स्थानीयकरण पर कड़ा रुख अपनाया है। मानदंडों को आसान बनाने के बजाय मंत्रालय की नामित परीक्षण एजेंसियों ने ई-दोपहिया और तिपहिया विनिर्माताओं को एक घोषणा प्रपत्र भेजा है और उस पर हस्ताक्षर कर वापस करने के लिए कहा गया है। इसमें यह पुष्टि करने को कहा गया है कि संबंधित विनिर्माता के पास दुर्लभ खनिज मैग्नेट का पर्याप्त स्टॉक है और वे 3 मार्च के मानदंडों का पालन कर रहे हैं।
घोषणा प्रारूप में कहा गया है, ‘हम घोषणा करते हैं कि हमारे पास उस दुर्लभ खनिज मैग्नेट का पर्याप्त भंडार है जो ट्रैक्शन मोटर और इलेक्ट्रॉनिक थ्रॉटल के विनिर्माण के लिए आवश्यक है।’
एक दोपहिया वाहन विनिर्माता के एक वरिष्ठ कार्याधिकारी ने कहा, ‘यह स्थानीयकरण की इच्छा का सवाल नहीं है बल्कि वर्तमान परिस्थितियों में व्यवहार्यता का मामला है।’ ट्रैक्शन मोटर और इलेक्ट्रॉनिक थ्रॉटल दोनों ही ईवी के लिए अभिन्न पुर्जे हैं और इसमें दुर्लभ खनिज मैग्नेट की जरूरत होती है। इस बारे में जानकारी के लिए महिंद्रा लास्ट माइल मोबिलिटी, हीरो मोटोकॉर्प, टीवीएस मोटर, एथर एनर्जी और बजाज ऑटो सहित योजना के तहत प्रोत्साहन का लाभ उठा रहे 12 प्रमुख दोपहिया और तिपहिया विनिर्माताओं को बिज़नेस स्टैंडर्ड ने ईमेल भेजे मगर खबर लिखे जाने तक किसी का जवाब नहीं आया। भारी उद्योग मंत्रालय को भी भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।