सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवा उद्योग में मुकदमेबाजी तेजी से बढ़ रही है। इसका बड़ा कारण कंपनियों द्वारा प्लेटफॉर्म आधारित और बौद्धिक संपदा (आईपी) वाले कारोबारी मॉडल को तेजी से अपनाना है। हाल ही में मुंबई मुख्यालय वाली हेक्सावेयर टेक्नॉलजीज भी इस तरह के मामले में फंसती नजर आ रही है।
अमेरिकी फर्म नैटसॉफ्ट और उसकी सहायक कंपनी अपड्राफ्ट ने पेटेंट उल्लंघन के लिए अमेरिका में इस आईटी सेवा कंपनी के खिलाफ 50 करोड़ डॉलर का मुकदमा ठोंका है। नैटसॉफ्ट ने अपने आवेदन में कहा है कि हेक्सावेयर ने साझेदारी के दौरान साझा की गई गोपनीय जानकारी और प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग अपने प्रतिस्पर्धी प्लेटफॉर्म बनाने के वास्ते किया है।
हेक्सावेयर ने अपनी नियामकीय फाइलिंग में कहा है, ‘अमेरिका के जिला न्यायालय इलिनोइस के उत्तरी जिले, पूर्वी प्रभाव की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, हमें पता चला है कि नैटसॉफ्ट कॉरपोरेशन और अपड्राफ्ट एलएलसी (वादी) द्वारा कंपनी और उसकी सहायक कंपनी हेक्सावेयर टेक्नॉलजीज इंक के खिलाफ अमेरिका में मुकदमा किया है। इसमें कुछ पेटेंट के उल्लंघन और अनुबंध के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। फिलहाल, कंपनी को इस बारे में अमेरिकी अदालत अथवा वादी से किसी तरह का नोटिस नहीं मिला है।’
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी भारतीय आईटी सेवा कंपनी के खिलाफ इस तरह का बौद्धिक संपदा उल्लंघन का मुकदमा दायर किया गया हो। देश की सबसे बड़ी सेवा प्रदाता टाटा कंसल्टेंसी फर्म (टीसीएस) पर भी एपिक सिस्टम्स कॉरपोरेशन ने मुकदमा दायर किया था। एपिक ने 2014 में टीसीएस के खिलाफ मुकदमा किया था और आरोप लगाया था कि कंपनी ने उसकी बौद्धिक संपदा चुराई है। यह मुकदमा टीसीएस और टाटा अमेरिका इंटरनैशनल कॉरपोरेशन के खिलाफ दायर किया गया था।
शुरुआती दावा 94 करोड़ डॉलर का था। मगर 2023 में अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने टीसीएस पर 14 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया था।
इसके अलावा, हाल ही में भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी भी कॉग्निजेंट के साथ कारोबारी रहस्य चुराने के आरोप में अदालत में लड़ाई लड़ रही है। हालांकि, इन्फोसिस ने एक प्रतिवाद दायर किया है और अदालत ने दोनों कंपनियों से अपने मतभेद हल करने को कहा है। मगर विश्लेषकों का कहना है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के जमाने में ऐसे मामले और बढ़ेंगे।
एवरेस्ट ग्रुप के संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष पीटर बेंडर-सैमुअल ने कहा, ‘एआई के कारण सभी प्रौद्योगिकी सेवा कंपनियां अपनी पेशकशों के एक हिस्से के रूप में बौद्धिक संपदा (आईपी) की पेशकश कर रही हैं, जिससे सॉफ्टवेयर कंपनियों और प्रौद्योगिकी सेवाओं के बीच मुकदमेबाजी बढ़ेगी। इसका मतलब यह भी होगा कि ज्यादा प्रौद्योगिकी सेवा कंपनियां अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनियों पर मुकदमा करेंगी।’