निजी क्षेत्र की नामचीन कंपनियों की रुचि सुपर क्रिटिकल थर्मल पॉवर प्लांट में नहीं है, जो धीरे-धीरे विद्युत उत्पापद क्षेत्र का मानदंड बनता जा रहा है। इसके विपरीत सरकारी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी बीएचईएल नई तकनीक में अपनी पकड़ मजबूत बना रही है।
इस क्षेत्र में सरकारी कंपनी बीएचईएल से कड़ी टक्कर मिलने के कारण थर्मल पावर उद्योग को बड़े कल पुर्जे मुहैया कराने वाली कंपनियों जैसे लॉर्सन ऐंड टुर्बो और थर्मेक्स ने थर्मल पावर से अपने हाथ खींचने शुरू कर दिए हैं। इन कंपनियों ने नई और उभरती तकनीक सुपर क्रिटिकल टेक्नॉलजी से दूरी बरतनी शुरू कर दी है। पारंपरिक थर्मल पावर की तुलना में सुपर क्रिटिकल पॉवर प्लांट 20-30 फीसदी अधिक पानी पर समुचित ढंग से संचालित होते हैं और 20 फीसदी कम उत्सर्जन करते हैं। देश में सभी नए ऊर्जा प्लांट सुपर क्रिटिकल तकनीक पर आधारित हैं।
एलऐंडटी और थर्मेक्स ग्लोबल के वरिष्ठ अधिकारियों ने सुपर क्रिटिकल खंड की निविदा के प्रति कम रुचि दिखाई है। दोनों ही कंपनियों ने कम रुचि दिखाने के पीछे पर्याप्त ऑर्डर नहीं होने को करार दिया।
थर्मेक्स के प्रबंध निदेशक (MD) व मुख्य कार्याधिकारी (CEO) आशीष भंडारी ने तिमाही परिणाम आने के बाद कहा था कि सुपर क्रिटिकल पावर प्रोजेक्ट लंबी अवधि के हैं। कंपनी को एक बार या गिने चुने प्रोजेक्ट के लिए अपने संसाधनों का इस्तेमाल करने और उन्हें प्रशिक्षित करना व्यावहारिक नहीं लगता है। हाल के वर्षों में थर्मेक्स ने अपना ध्यान हरित ऊर्जा अभियानों पर अधिक केंद्रित कर दिया है।
एलऐंडटी के प्रबंध निदेशक व सीईओ एसएन सुब्रमण्यन ने कहा था कि कंपनी की किसी भी सुपर क्रिटिकल अभियानों की निविदा में हिस्सा लेने की रुचि नहीं थी।