लुधियाना का कपड़ा उद्योग व्यापक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। लंबे समय से मंदी ऐसी कि उद्यमियों ने इसे ही सामान्य हालात मान कर स्वीकार करना शुरू कर दिया है। हालांकि उन्हें उम्मीद है कि केंद्र सरकार मेगा टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने में मदद करेगी। यही नहीं, विकसित देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) होने से भी उनकी तरक्की के द्वार खुल जाएंगे।
श्रम आधारित इस उद्योग के लिए पिछले आठ वर्ष बहुत ही उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। पहले 2016 की नोटबंदी और फिर संशोधित अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के तहत 2017 में लागू वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कारण लगे झटके से यह उद्योग उबर नहीं पाया है। इसके अलावा, वर्ष 2020 में कोविड और फिर 2022 में वैश्विक स्तर पर बदले हालात से पश्चिमी देशों में छायी मंदी और उच्च महंगाई के कारण मांग बुरी तरह प्रभावित हुई। इसका सीधा असर लुधियाना के कपड़ा उद्योग पर दिखाई दिया।
कपड़ा उद्योग की प्रमुख संस्था नाइटवेयर क्लब के अध्यक्ष विनोद थापर कहते हैं कि इस उद्योग को गति देने के लिए लुधियाना में जल्द से जल्द एक मेगा टेक्सटाइल पार्क बनना चाहिए। वह कहते हैं कि चीन की तरह विकसित होने वाले ऐसे पार्क इस उद्योग की सूरत बदल सकते हैं, क्योंकि इससे हजारों नौकरियां पैदा होंगी और कपड़ा उद्योग में जान आएगी। थापर कहते हैं, ‘पिछले दो-तीन वर्षों से यहां टेक्सटाइल पार्क बनाने के लिए चर्चा होती रही है, लेकिन पर्याप्त जगह नहीं मिल पाने के कारण इसमें लगातार देर होती जा रही है। सरकार को अति शीघ्र हस्तक्षेप कर इस दिशा में कदम उठाने चाहिए।’
उद्योग में जान तभी आ सकती है, जब कारोबार के रास्ते में आने वाली अड़चनों को दूर किया जाए। भारतीय कपड़ा उद्योग को चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका, वियतनाम और यहां तक कि पाकिस्तान जैसे कई देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। उद्योग ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर होने का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। कम ड्यूटी का फायदा उठाने वाले बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देश भारत का बना बनाया बाजार छीन रहे हैं।
शिंगोरा टेक्सटाइल्स के प्रबंध निदेशक अमित जैन कारोबार को गति देने के लिए वैल्यू एडेड टेक्सटाइल्स की तरफ मुड़ने की सलाह देते हैं। वह कहते हैं कि केवल सस्ते उत्पादन पर निर्भर रहना लंबे समय तक फायदेमंद नहीं होगा। क्योंकि, विकसित अर्थव्यवस्थाओं के साथ एफटीए होने पर वहां निर्यात किए जाने वाले उत्पादों में श्रम और गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता।
केंद्र सरकार द्वारा लागू क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर (क्यूसीओ) ने भी कई तरह की चिंताएं बढ़ा दी हैं। खास कर छोटे कारोबारी ज्यादा परेशान हैं। इन गैर-शुल्क प्रावधानों का उद्देश्य कम गुणवत्ता वाले उत्पाद के आयात पर अंकुश लगाना और आपूर्ति श्रृंखला में भारत की स्थिति मजबूत करना है। लेकिन, उद्योग से जुड़े कुछ अधिकारियों का तर्क है कि क्यूसीओ को विवेकपूर्ण तरीके लागू किया जाना चाहिए। इसे हितधारकों से सलाह-मशविरा कर इस प्रकार अमल में लाया जाए कि घरेलू कारोबार प्रभावित न हो।
कपड़ा उद्योग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘क्यूसीओ ऐसे उत्पादों पर लगाया जाना चाहिए, जो पूरे भारत में समान रूप से उपलब्ध हों। सरकार तयशुदा कच्चे माल का आयात तब तक नहीं रोक सकती जब तक स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं का माल गुणवत्ता पर खरा नहीं उतरता। क्यूसीओ को इस तरह लागू करने से बड़े पैमाने पर भारतीय कंपनियों को नुकसान पहुंचाता है।’
लुधियाना के कारोबारी कहते हैं कि आज दूसरे शहरों से संपर्क सुविधा बेहतर करना यहां की सबसे बड़ी जरूरत है। यहां से सबसे करीबी एयरपोर्ट लगभग 100 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ में है। उद्यमियों को विश्वस्तरीय एग्जीबिशन ऐंड कंवेंशन सेंटर की कमी भी खलती है।
अधिकारी जोर देकर कहते हैं, ‘यदि इस तरह का एक केंद्र यहां हो तो कपड़ा उद्योग को निश्चित रूप से पंख लग जाएंगे।’कपड़ा उद्योग की प्रगति के लिए इनमें कई ऐसी सुविधाएं हैं, जिनका इंतजाम केवल केंद्र सरकार के स्तर से हो सकता है। लुधियाना के कपड़ा उद्योग को उम्मीद है कि राज्य सरकार उसकी मेगा टेक्सटाइल पार्क और एग्जीबिशन एवं कंवेंशन सेंटर बनाने की मांग पर गंभीरता से विचार करेगी।
वर्ष 2022 में वादों के घोड़े पर सवार होकर भारी बहुमत से राज्य में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी और केंद्र में बनने वाली नई सरकार, दोनों से ही कपड़ा उद्योग उम्मीद लगाए बैठा है।