इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय नीतिगत स्तर पर गति बनाए रखेगा और आगे बढ़ने के लिए नए फैसले लेगा। इस तरह वह अपनी विरासत को संवारेगा। नई सरकार के कार्यकाल में मंत्रालय की भविष्य की रणनीति के सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए आईटी मंत्रालय के सचिव एस कृष्णन ने यह बात कही।
कृष्णन ने सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया (एसटीपीआई) के एक कार्यक्रम से इतर सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘जब कोई नई सरकार कार्यभार संभालती है तो वह कुछ नए कदम उठाती है और फैसले लेती है। हमारे पास ऐसी कई पहल हैं, जिन पर मंत्रालय को आगे बढ़ना है। नई सरकार बनने पर हम इन नीतियों को मंत्रालय के एजेंडे के तौर पर पेश करेंगे। हमें पिछली सफलताओं को न केवल कायम रखना है, बल्कि उन्हें बहुत आगे लेकर जाना है।’
क्या डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDP) का काम चलता रहेगा और डिजिटल इंडिया एक्ट को जारी रखा जाएगा, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारे संस्थान की एक विरासत है, जिसे संवारते हुए आगे बढ़ना है।
सचिव कृष्णन ने कहा कि विकास और नवोन्मेष पर अधिक निवेश करने की आवश्यकता है। उत्पाद राष्ट्र होना बहुत महत्त्वपूर्ण महत्त्वाकांक्षा होती है, जो भारत के पास है। हम एक उत्पाद राष्ट्र कैसे बनें, इसका रास्ता तलाशने के लिए हमने पिछले साल प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि आखिरकार यही वह क्षेत्र है जहां सभी फायदे और लाभ होते हैं। कृष्णा ने आईफोन का उदाहरण देते हुए विस्तार से बताया कि किस प्रकार कंपनी अपने आईपी अधिकारों से जुड़े अधिकांश लाभ हासिल करने में कामयाब रही।
सचिव ने यह भी कहा कि आईटी मंत्रालय ने अपने लिए बहुत ही महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके तहत वह वर्ष 2030 तक देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को एक लाख करोड़ तक पहुंचाना चाहता है। भारत को एक उत्पाद राष्ट्र बनाने के लिए एक इको-तंत्र विकसित करने में खास भूमिका निभाने में मंत्रालय सक्षम है। हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों ही सेगमेंट में बहुत अधिक भिन्नता है।