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अमेरिका को भारत का दवा निर्यात 74% बढ़ा, टैरिफ की आशंका के बीच कंपनियों ने बढ़ाई सप्लाई

शुल्क बढ़ने की आशंका के बीच भारत से अमेरिका को मार्च में दवा निर्यात में 74% उछाल आया, जिससे भारतीय फार्मा कंपनियों की रणनीति और व्यापारिक सतर्कता सामने आई।

Last Updated- July 04, 2025 | 10:06 PM IST
Pharma Park
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

मार्च में अमेरिका को भारत के दवा निर्यात में लगभग 74 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। फार्मास्यूटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (फार्मेक्सिल) के आंकड़ों से पता चला है कि यह तेजी ऐसे समय में आई है, जब संभावित अमेरिकी शुल्क पर बातचीत जोर पकड़ रही थी।

मार्च में भारत से अमेरिका को दवा निर्यात सालाना आधार पर 73.99 प्रतिशत बढ़कर 1.561 अरब डॉलर हो गया। वहीं मार्च में निर्यात फरवरी के मुकाबले करीब 71 प्रतिशत बढ़ा था। बिज़नेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए फार्मेक्सिल के चेयरमैन नमित जोशी ने कहा कि स्थिति लगातार बदल रही है और खासकर अमेरिका के साथ व्यापार शुल्क संबंधी चिंताओं से प्रभावित है।

आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल में अमेरिका को होने वाला निर्यात 7.27 प्रतिशत गिरकर 8,983.4 लाख डॉलर रह गया है, जो अप्रैल 2024 में 9,687.9 लाख डॉलर था। बहरहाल मई में निर्यात में रिकवरी हुई और यह 13.34 प्रतिशत बढ़कर 8,134.1 लाख डॉलर हो गया है। अगर अप्रैल मई को मिलाकर देखा जाए तो कुल मिलाकर अमेरिका को होने वाले  निर्यात में 3  प्रतिशत वृद्धि हुई है। 

भारत से होने वाले आयात पर शुल्क अप्रैल से लागू होने की संभावना थी, लेकिन इस फैसले को टाल दिया गया।  भारत और अमेरिका ने अभी तक अंतरिम व्यापार समझौते की घोषणा नहीं की है तथा अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इस सप्ताह के प्रारंभ में संकेत दिया था कि वे शीघ्र ही देशों को शुल्क संबंधी पत्र भेजना शुरू कर देंगे।

जोशी ने कहा कि अमेरिका को निर्यात में वृद्धि का अनुमान भारतीय निर्यातकों द्वारा शुल्क बढ़ने की आशंका के चलते माल की बिक्री बढ़ाने के कारण लगाया गया था।

मार्च तक कुल मिलाकर भारत से फार्मास्यूटिकल निर्यात में दो अंक की  (सालाना आधार पर 31 प्रतिशत) मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है, और यह बढ़कर 3.7 अरब डॉलर हो गई है। कनाडा को होने वाला निर्यात 29.6 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि लैटिन अमेरिका के कुछ देशों में भी निर्यात बढ़ा है। मुंबई के विश्लेषक ने कहा कि शुल्क बढ़ने की आशंका के कारण कुछ कंपनियों ने दवा की खेप पहले भेज दी। विश्लेषक ने कहा, ‘ऐसा इसलिए किया गया है ताकि शुल्क लगाए जाने की स्थिति में उन्हें अमेरिका में खरीदारों के साथ बातचीत करने का समय मिल सके।’ विश्लेषक ने कहा कि जून में भी उछाल देखने को मिल सकता है, क्योंकि जुलाई में शुल्क बढ़ने का डर है।  भारत के दवा निर्यात के हिसाब से अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है। भारत के कुल दवा निर्यात में 34.51 प्रतिशत अमेरिका भेजा जाता है।  वित्त वर्ष 2025 में भारत ने अमेरिका को 1.0515 अरब डॉलर के दवा उत्पाद का निर्यात किया है, जिसमें सालाना आधार पर 20.43 प्रतिशत वृद्धि हुई। वित्त वर्ष 2024 में अमेरिका को निर्यात 15.69 प्रतिशत बढ़ा है। 

जोशी ने कहा कि अमेरिका को निर्यात के भविष्य को लेकर काफी विचार-विमर्श चल रहा है। उन्होंने कहा, ‘शुल्क की मौजूदा स्थिति ने निर्यातकों को सतर्क कर दिया है। प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए अधिक जटिल जेनेरिक, बायोलॉजिक्स और बायोसिमिलर पर ध्यान केंद्रित करने को लेकर चर्चा हो रही है। अमेरिकी बाजार भारतीय निर्यात के लिए सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है।’

First Published - July 4, 2025 | 10:01 PM IST

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