भारत में डेटा सेंटर (डीसी) उद्योग में अच्छी वृद्धि देखने को मिल रही है। कंप्यूटिंग पावर में तेज वृद्धि और एआई जैसे नये नये प्रयोगों के परिणामस्वरूप मध्यम अवधि में इस उद्योग में मांग मजबूत रहने की संभावना है।
अगले दो साल में कितनी बढ़ेगी मांग?
संपत्ति सलाहकार फर्म जेएलएल के मुताबिक भारतीय डेटा उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और 2026 तक इस उद्योग में 791 मेगावाट क्षमता जोड़ने का अनुमान है। डेटा सेंटर उद्योग में यह उछाल मुख्य रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बढ़ते उपयोग से प्रेरित है। जैसे-जैसे एआई के उपयोग में तेजी आ रही है, वैसे वैसे यह उद्योग बढ़ रहा है। वर्ष 2024-26 के दौरान भारत में डेटा सेंटर की मांग 650 से 800 मेगावॉट के बीच रहने की उम्मीद है। इस उद्योग में आ रही तेजी से रियल एस्टेट उद्योग में एक करोड़ वर्ग फुट मांग बढ़ेगी। जिससे 570 करोड़ डॉलर का निवेश आकर्षित होगा।
कहां बढ़ेगी सबसे अधिक मांग?
जेएलएल के अनुसार डेटा सेंटर उद्योग से रियल एस्टेट में सबसे मांग मुंबई में बढ़ेगी। इसकी कुल मांग में करीब 44 फीसदी हिस्सेदारी रहेगी। मुंबई में डेटा सेंटर से रियल एस्टेट में 4.41 करोड़ वर्गफुट मांग बढ़ेगी। मुंबई के बाद चेन्नई में 2.89 करोड़, एनसीआर में 66 लाख, हैदराबाद में 43 लाख, पुणे में 40 लाख, बेंगलूरु में 53 लाख, कोलकाता में 58 लाख और दूसरे शहरों में 15 लाख वर्ग फुट मांग बढ़ेगी।
जेएलएल इंडिया में मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. सामंतक दास भारत के 2027 तक 5 लाख करोड़ रुपये की जीडीपी होने के साथ ही विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना है। जिसमें डिजिटल अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी 20 फीसदी होगी। इस डिजिटल अर्थव्यवस्था में वृद्धि से भारत का डेटा सेंटर उद्योग की क्षमता 2026 तक बढ़कर 1,645 मेगावॉट होने का अनुमान है, 2023 में यह क्षमता 854 मेगावॉट है। क्षमता में इस वृद्धि के लिए 570 करोड़ डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी। साथ ही करीब एक करोड़ वर्ग फुट जगह की जरूरत होगी। जेएलएल इंडिया में डेटा सेंटर एडवाइजरी के हेड रचित मोहन ने कहा कि एआई के बढ़ते प्रभाव के कारण नये डेटा सेंटर बनाने की आवश्यकता है। जिससे डेटा सेंटर की अतिरिक्त मांग पैदा होगी।