अमेरिका पर निर्भरता कम करते हुए अब भारत की टायर कंपनियां संभावित शुल्क चुनौतियों से निपटने की योजना बना रही हैं। यह कवायद ऐसे समय में की जा रही है जब कच्चे माल की कीमतें मार्जिन को प्रभावित कर रही हैं। सीएट, अपोलो टायर्स और जेके टायर्स जैसी प्रमुख कंपनियों ने अमेरिकी बाजार में अपने मौजूदा सीमित निर्यात का हवाला दिया और कहा कि श्रीलंका जैसे देशों के जवाबी शुल्क और संभावित अमेरिकी शुल्कों का तुरंत खास वित्तीय असर नहीं होगा।
सीएट के प्रबंध निदेशक अर्णब बनर्जी ने कहा कि अमेरिका की बिक्री का हिस्सा कुल आमदनी का एकल अंक में है।
अपोलो के मुख्य वित्तीय अधिकारी गौरव कुमार ने कहा कि कंपनी के 3 अरब डॉलर के राजस्व में अमेरिका की सिर्फ 10 करोड़ डॉलर की हिस्सेदारी है। मगर टायर विनिर्माता किसी भी संभावित जवाबी शुल्क की चुनौतियों से निपटने के लिए आकस्मिक योजनाएं बना रहे हैं।
जोखिम से निपटने के लिए वे भारत के आत्मनिर्भर भारत मिशन के साथ तालमेल बैठा रहे हैं और यूरोप, अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया में निर्यात बढ़ा रहे हैं। वे अस्थिर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी निर्भरता कम कर रहे हैं। इस बीच, उद्योग संगठन प्रमुख इनपुट पर कम आयात शुल्क और सतत बढ़ोतरी के लिए प्रोत्साहन के तौर पर नीतिगत समर्थन पर जोर दे रहे हैं।
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बनर्जी ने कहा कि चौथी तिमाही में वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण सिएट के अंतरराष्ट्रीय कारोबार में मामूली गिरावट आई। लेकिन कंपनी ने श्रीलंका के 44 फीसदी जवाबी शुल्क की भरपाई के लिए भी योजना बनाई है। उन्होंने कहा, ‘हमें बेहतर नतीजे की उम्मीद है। हमारे ट्रैक कारोबार में थोड़ी राहत दिख रही है जहां शुल्क कम होकर 4 फीसदी हो गए हैं।’ उन्होंने कहा कि सिएट अमेरिका में अपनी दीर्घकालिक निवेश योजनाओं के लिए प्रतिबद्ध है जिसमें उत्पाद विकास और विभिन्न श्रेणियों में पेशकश शामिल है।
अपने यूरोपीय परिचालन के जरिये वृहद तरीके से अमेरिका में सेवा देने वाली अपोलो टायर्स फिलहाल देखो और इंतजार करो की रणनीति अपना रही है। कुमार ने कहा, ‘शुल्क संरचना पर पूरी तरह स्पष्टता नहीं होने तक हम किसी तरह का रणनीतिक बदलाव नहीं करने जा रहे हैं। अगर शुल्क मोटे तौर पर लागू हो जाते हैं तो हम उसी प्रकार कीमत तय करेंगे।’
अमेरिकी शुल्क के मसले पर जेके टायर ऐंड इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक अंशुमन सिंघानिया ने कहा कि ट्रक और पैसेंजर रेडियल पर 25 फीसदी और अन्य श्रेणियों पर 10 फीसदी शुल्क लगा दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘हम सिर्फ अमेरिका पर ही निर्भर नहीं हैं। हम पश्चिम एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और ब्राजील को भी निर्यात करते हैं। यह भौगोलिक विविधीकरण हमारी रणनीति का हिस्सा है।’
यूरोग्रिप टायर्स के मुख्य परिचालन अधिकारी टीके रवि ने आगाह किया कि सभी कंपनियां इस प्रभाव से बच नहीं सकतीं, खासकर जो अमेरिका पर ज्यादा निर्भर हैं या जो भविष्य में वृद्धि के लिए बाजार को देख रही हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत अन्य निर्यातक देशों के मुकाबले अपेक्षाकृत अच्छी स्थिति में है और इसे एक अवसर के रूप में देखना चाहिए।’