औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) पर विनिर्माण क्षेत्र की सुस्ती का असर पड़ा है। दिसंबर में फैक्टरी उत्पादन की वृद्धि दर घटकर 2 माह के निचले स्तर 4.3 प्रतिशत पर पहुंच गई है। हालांकि इस महीने में खनन और बिजली उत्पादन में तेज वृद्धि हुई है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि खनन और बिजली क्षेत्र क्रमशः 9.8 प्रतिशत औऱ 10.4 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि मैन्युफैक्चरिंग की वृद्धि दर 2.6 प्रतिशत रही है।
वित्त वर्ष 23 के पहले तीन महीने (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान IIP वृद्धि 5.4 प्रतिशत रही है, जो पिछले साल की समान अवधि के दौरान 15.2 प्रतिशत थी।
IIP के 23 विनिर्माण क्षेत्रो में 11 क्षेत्रों जैसे तंबाकू, टेक्सटाइल, अपैरल, चमड़ा, लकड़ी, धातु, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल, ट्रांसपोर्ट, फर्नीचर व अन्य विनिर्माण में दिसंबर के दौरान संकुचन आया है।
ICRA में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि दिसंबर में वृद्धि व्यापक दौर पर संभावनाओं के अनुरूप है।
नायर ने कहा, ‘पिछले 2 महीनों के दौरान व्यक्तिगत प्रदर्शन त्योहारी कैलैंडर की वजह से था। हालांकि उपयोग पर आधारित आंकड़ों में अलग अलग आंकड़ों में अंतर होता है। ज्यादातर उपलब्ध उच्च तीव्रता वाले संकेतकों में दिसंबर 2022 की तुलना में जनवरी 2023 में सुधार हुआ है। आंशिक रूप से यह आधार के असर के कारण है, जब कोविड-19 के कारण कारोबार प्रभावित हुआ था। इसके मुताबिक हमें उम्मीद थी कि आईआईपी वृद्धि 5 से 7 प्रतिशत रहेगी।’
उपभोग पर आधारित उद्योगों के मुताबिक बुनियादी ढांचे संबंधी वस्तुओं और पूंजीगत वस्तुओं में क्रमशः 8.2 और 7.6 प्रतिशत की तेज बढ़ोतरी हुई है, जो अर्थव्यवस्था में निवेश मांग के सूचक होते हैं।
उभोक्ता गैर टिकाऊ वस्तुओं में रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले सामान (FMCG) आते हैं। इसमें दिसंबर में 7.2 प्रतिशत की तेज बढ़ोतरी हुई है। इससे ग्रामीण मांग में तेजी के संकेत मिलते हैं। लगातार 4 महीनों के संकुचन के बाद उपभोक्ता गैर टिकाऊ वस्तुओं में नवंबर के बाद से तेजी आनी शुरू हुई है।
बहरहाल एक बार फिर एक माह के अंतर के बाद दिसंबर महीने में उपभोक्ता वस्तुओं में संकुचन (-10.4 प्रतिशत) आया है। इससे शहरी मांग कमजोर होने के संकेत मिलते हैं। इसकी वजह ब्याज का व्यवधान है। उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन अगस्त से अक्टूबर के बीच संकुचित हुआ था, जिसमें नवंबर में प्रसार हुआ था।
बैंक आफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि उपभोक्ता वस्तुओं में ऋणात्मक वृद्धि मांग में उतार चढ़ाव की वजह से है, क्योंकि त्योहार का मौसम खत्म हो गया है और बढ़ी हुई मांग सुस्त पड़ी है।
उन्होंने कहा, ‘कुल मिलाकर बुनियादी ढांचे से जुड़े उद्योग बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं और वाहन, गैर बिजली मशीनरी, गैर धातु खनिज और दवा क्षेत्रों में तेज बढ़ोतरी हुई है। यह बुनियादी ढांचे पर बल देने से जुड़े हुए क्षेत्र हैं, जिसे व्यापक पैमाने पर सरकार का और आंशिक रूप से निजी क्षेत्र का समर्थन है।’ सबनवीस का कहना है कि अगले तीन महीने तक वृद्धि व्यापक आधार के बजाय संकुचित क्षेत्रों पर केंद्रित रहेगी क्योंकि फर्में अपने उत्पाद की कीमत बढ़ा रही हैं।
फैक्टरी उत्पादन में विस्तार के आंकड़े ऐसे समय में आए हैं, जब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को अनुमान लगाया था कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहेगी। पिछले सप्ताह आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्थ 23 में जीडीपी वृद्धि दर 6 से 6.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान लगाया गया था।
बुधवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रीपो दर में 25 आधार अंक बढ़ोतरी की घोषणा की थी, जिससे मानक ब्याज दरें 6.5 प्रतिशत पर पहुंच गई हैं।