वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत उम्मीद की किरण नजर आ रहा है और भविष्य में तेजी से आगे बढ़ने के लिए तैयार है। एचयूएल के चेयरमैन नितिन परांजपे ने यह बात कही। उन्होंने साथ ही कहा कि देश को रोजगार और कृषि उत्पादकता जैसी चुनौतियों से भी निपटना होगा।
परांजपे ने सोमवार को कंपनी की सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भारत पिछले दशक में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था रहा है और इसके 2027 तक जापान तथा जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है।
उन्होंने ‘ट्रांसफॉर्मिंग टू विन इन द न्यू इंडिया’ शीर्षक वाले अपने भाषण में कहा कि भारत एक गरीब देश होने की पहचान तोड़ते हुए केंद्रीय भूमिका में सामने आ रहा है। परांजपे ने कहा कि देश 2047 तक, जब आजादी के 100 साल का जश्न मनाएगा, उसके उच्च-मध्यम आय वाला देश बनने की पूरी संभावना है।
उन्होंने कहा कि इसमें अनुकूल जनसांख्यिकी, बढ़ती खपत, मजबूत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, निवेश और नवाचार तथा उद्यम की संस्कृति की मुख्य भूमिका होगी। परांजपे ने हालांकि कहा कि इस राह में कुछ चुनौतियां भी हैं, जिनमें रोजगार, कृषि उत्पादकता, कार्यबल में महिलाओं की कम भागीदारी और पानी की उपलब्धता प्रमुख हैं।