केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को बढ़ावा देने की योजना पर वाहन उद्योग के हिस्सेदारों से दूसरे दौर की बातचीत करने की योजना बनाई है। यह जानकारी देते हुए अधिकारियों ने यह भी कहा कि इसमें हिस्सेदारों के लिए निवेश की परिभाषा पीएलआई ऑटो स्कीम जैसी ही रहेगी।
अधिकारियों ने कहा कि स्कीम टु प्रमोट द मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक पैसेंजर कार्स इन इंडिया (एसपीएमईपीसीआई) योजना के तहत आयात रियायतों के माध्यम से ईवी को बढ़ावा देने की योजना पर सरकार इस महीने के भीतर हिस्सेदारों से बातचीत पूरी करेगी।
भारी उद्योग मंत्रालय नीतिगत दिशानिर्देश जारी करेगा और 15 जुलाई के बाद आवेदन स्वीकार करना शुरू करेगा। सरकार के अधिकारियों ने कहा, ‘नीतिगत दिशानिर्देश में दिशानिर्देश प्रकाशित करने और आवेदन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए 120 दिन या उससे अधिक वक्त मिलेगा। दूसरे दौर के परामर्श की प्रक्रिया इस महीने के अंत तक पूरी होने की संभावना है।’
भारत सरकार के साथ पहली आधिकारिक चर्चा में इलॉन मस्क की कंपनी टेस्ला और अन्य वैश्विक वाहन विनिर्माताओं ने नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति और घरेलू मूल्यवर्धन (डीवीए) की जरूरतों की समयावधि को लेकर स्पस्टीकरण की मांग की थी। मंत्रालय ने अब सभी हिस्सेदारों के लिए निवेश की परिभाषा साफ कर दी है। सरकार के अधिकारियों के मुताबिक निवेश की परिभाषा वैसी ही होगी, जैसी पीएलआई ऑटो स्कीम में थी।
सितंबर 2021 में जारी पीएलआई ऑटो दिशानिर्देशों के मुताबिक संयंत्र, मशीनरी, उपकरण और उससे जुड़ी युटिलिटी पर किया गया व्यय, निवेश माना जाएगा। निवेश में पैकेजिंग, फ्रेट/ट्रांसपोर्ट, इंश्योरेंस, संयंत्र का निर्माण और कमिशनिंग, मशीनरी, उपकरण व सहयोगी युटिलिटीज पर होने वाला व्यय भी शामिल होगा।
बहरहाल 10 प्रतिशत तक भवन लागत को निवेश माना जा सकता है। लेकिन तकनीक के आयात पर किया गया रॉयल्टी भुगतान, निवेश में नहीं जोड़ा जाएगा। बॉश कंपनी तकनीक हस्तांतरण पर किए गए रॉयल्टी भुगतान को निवेश में जोड़े जाने की मांग करती रही है। अधिकारी ने कहा कि नई उत्पादन इकाई स्थापित करने पर किया गया नया निवेश, मौजूदा विनिर्माण केंद्र में होने पर भी, योजना में शामिल होने का पात्र होगा। सूत्रों ने कहा, ‘योजना में प्रावधान है कि दूसरी बार आवेदन विंडो खोली जा सकती है।’
मार्च में घोषित नई ईवी नीति में कम से कम 50 करोड़ डॉलर (4,150 करोड़ रुपये) निवेश और 3 साल के भीतर संयंत्र लगाने की की प्रतिबद्धता जताने वाली ओईएम को घटे आयात कर की अनुमति दी जाएगी। इसके साथ ही उन्हें शुरुआती 3 साल के भीतर 25 प्रतिशत डीवीए और परिचालन के पांचवें साल 50 प्रतिशत डीवीए का लक्ष्य हासिल करने की जरूरत होगी।
विनफास्ट, मर्सिडीज बेंज, बीएमडब्ल्यू, किया, फोक्सवैगन, टोयोटा, ह्युंडै और रेनो-निसान सहित प्रमुख वैश्विक कंपनियां हिस्सेदारों के साथ बातचीत में शामिल थीं, जो पिछले महीने हुई थी। भारतीय कार विनिर्माता टाटा मोटर्स, मारुति सुजूकी और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा भी पहले दौर की बैठक में शामिल थीं। टेस्ला ने अपने सलाहकार द एशिया ग्रुप (टीएजी) इंडिया के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कराई थी।
इस नीति में रुचि लेने वाली ईवी विनिर्माताओं का आयात शुल्क घटाकर 15 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। अभी 70 प्रतिशत और 35,000 डॉलर सीआईएफ (लागत, बीमा और ढुलाई) वाली कारों पर 100 प्रतिशत कर लगता है। बहरहाल सीमा शुल्क में छूट की मांग करने वाली कंपनियों को 3 साल के भीतर 50 करोड़ डॉलर निवेश करना होगा।