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संसदीय समिति ने कहा: डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक में संतुलित नियमन से घरेलू उद्योग को मिलेगा सुरक्षा कवच

समिति ने वर्तमान सौदा मूल्य सीमा की समीक्षा का भी आह्वान किया है ताकि बड़ी कंपनियों द्वारा सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) का अधिग्रहण नियामक जांच से न बच सके।

Last Updated- August 11, 2025 | 10:38 PM IST
UP's targeted intervention for MSMEs could boost industrial output, jobs
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

संसद की वित्त संबंधी समिति ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की उभरती भूमिका पर सोमवार को लोकसभा में पेश अपनी रिपोर्ट में डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक (डीसीबी) को अपनाने में सूक्ष्म दृष्टिकोण अपनाते हुए, सेल्फ-प्रेफरेंसिंग,  प्रिडेटरी प्राइसिंग जैसी जटिलताओं को दूर करने के लिए एक पूर्व-निर्धारित नियामक ढांचे की जरूरत पर जोर दिया है।

समिति ने वर्तमान सौदा मूल्य सीमा की समीक्षा का भी आह्वान किया है ताकि बड़ी कंपनियों द्वारा सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) का अधिग्रहण नियामक जांच से न बच सके।

समिति ने जोर दिया है कि प्रतिस्पर्धा अधिनियम का मौजूदा ढांचा डिजिटल बाजारों में शक्ति के तेजी से केंद्रीकरण को संभालने के लिए अपर्याप्त है। समिति ने कहा कि हितधारकों की चिंता दूर करने के लिए समिति सिफारिश करती है कि मंत्रालय (कंपनी मामलों का) तेजी से बढ़ती घरेलू फर्मों के अनजाने कब्जे को रोकने के लिए डीसीबी की सीमाओं और डेजिग्नेशन मैकेनिज्म को दुरुस्त करे।’ समिति की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब कंपनी मामलों का मंत्रालय  मसौदा डीसीबी में प्रस्तावित नियमों का घरेलू बाजार पर पड़ने वाले असर के बारे में अध्ययन करा रहा है।

एमसीए सचिव दीप्ति गौर मुखर्जी ने समिति को बताया, ‘डिजिटल बाजारों का पूरा मसला बेहतरीन तरीके से आगे बढ़ रहा है। इसमें सही संतुलन बहुत महत्त्वपूर्ण है।

मुखर्जी ने कहा कि सरकार घरेलू उद्योग को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती और एमसीए द्वारा कराया जा रहा बाजार अध्ययन ऐसे प्रावधानों के ठोस समाधान में मदद कर सकता है, जो सरकार को संतुलन बनाने में मदद करेंगे।

सचिव ने कहा, ‘हमारे घरेलू बाजार की कुछ खास विशेषताएं हैं, जैसे कि पूरा क्विक कॉमर्स भारत के घरेलू बाजार में विकसित हुआ है। अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में ऐसा नहीं है।’

एमसीए ने 2023 में डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून  पर एक समिति का गठन किया था। समिति ने डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून पर मसौदा विधेयक सौंपा था, जिसमें पूर्व निर्धारित नियामक ढांचे का प्रस्ताव किया गया है। मसौदा विधेयक पर हितधारकों की कुछ प्रमुख चिंताएं प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण डिजिटल इंटरप्राइजेज के लिए सीमा, मात्रात्मक सीमा के आधार पर डेजिग्नेशन की धारणा को खारिज करने का कोई प्रावधान न होने तथा कोर डिजिटल सेवाओं की परिभाषा से संबंधित हैं।

संसद की समिति ने रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया कि सीसीआई को सक्रिय बने रहना चाहिए तथा तेजी से हो रही तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए अपने उपकरणों और रणनीतियों को लगातार अनुकूलित करना चाहिए। साथ ही उसे उभरते डिजिटल परिदृश्य में प्रभावी प्रतिस्पर्धा कानून प्रवर्तन सुनिश्चित करना चाहिए।

आंतरिक संसाधनों के मसले के समाधान को लेकर मंत्रालय की सचिव ने समिति से कहा कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग में अतिरिक्त 55 पदों के सृजन के लिए  आयोग ने कैडर के पुनर्गठन का प्रस्ताव रखा है।  रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि 30 अप्रैल, 2025 तक सीसीआई ने 20,350,46 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है, जिसमें 18,512.28 करोड़ रुपये के मामलों पर अपील न्यायाधिकरणों ने स्थगनादेश दे रखा है या उसे खारिज कर दिया है। बहरहाल प्रतिस्पर्धा रोधी नियामक शेष राशि का 99.2 प्रतिशत वसूलने में सफल रहा है।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘इन आंकड़ों से संकेत मिलता है कि जिन मामलों में याचिकाएं दायर नहीं की गई हैं, उनमें सीसीआई प्रभावी तरीके से जुर्माने वसूल रहा है। उसका कुल मिलाकर प्रवर्तन कानूनी चुनौतियों से प्रभावित है।’ समिति ने सीसीआई से कहा है कि वह उभरते क्षेत्रों में क्षेत्र केंद्रित बाजार अध्ययन करे, जहां नए बिजनेस मॉडल परंपरागत प्रतिस्पर्धा की गणित बिगाड़  रहे हैं।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में सरकार से 2011 में तैयार की गई अद्यतन राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा नीति पर पुनर्विचार करने और उसे अपनाने को कहा है, ताकि विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक ढांचा उपलब्ध कराया जा सके।

First Published - August 11, 2025 | 10:13 PM IST

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