भारत का इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण उद्योग इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेन्ट्स के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) लाए जाने की मांग कर रहा है। साथ ही इस उद्योग ने आगामी बजट में इनपुट शुल्कों में कमी किए जाने की भी मांग की है।
इंडिया सेलुलर ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) ने बजट के पहले की मांग के तहत यह सिफारिश की है। इसका मकसद वैश्विक मूल्य श्रृंखला (जीवीसी) को भारत की ओर आकर्षित करना और अगले 5 साल में निर्यात को गति देना है। निकाय ने कंपोनेंट इकोसिस्टम के लिए 40,000 से 45,000 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की है, जो 6 से 7 साल के लिए हो।
आईसीईए ने कहा है, ‘टिकाऊ व मजबूत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण उद्योग बनाने के लिए कंपोनेंट्स और सब असेंबली इकोसिस्टम विकसित करना जरूरी है। इसके लिए सरकार को उचित नीति बनाने के साथ वित्तीय समर्थन देने की जरूरत है, जिसमें लंबे समय तक प्रोत्साहन व वक्त दिया जाना चाहिए। इससे लंबे वक्त के लिए नीति का अनुमान लग सकेगा और निश्चित रूप से इससे कारोबार में निरंतरता का माहौल बनेगा।’
शुल्क में कमी किए जाने की वकालत करते हुए उद्योग निकाय ने सिफारिश की है कि सरकार को मोबाइल सेक्टर के लिए कर के मौजूदा 7 ढांचों को 4 ढांचे में करके शून्य, 5, 10 और 15 प्रतिशत कर का ढांचा बनाना चाहिए। इसके साथ ही उद्योग निकाय ने सब असेंबली पार्ट्स और इनपुट पर 2.5 प्रतिशत शुल्क खत्म किए जाने की भी मांग की है। साथ ही लागत में उल्लेखनीय वृद्धि करने वाले सभी करों को घटाकर शून्य किया जाए।