सेकंडरी बाजार की मजबूत गति प्राथमिक बाजारों पर प्रभाव नहीं डाल सकी क्योंकि कैलेंडर वर्ष 2023 की पहली छमाही में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के माध्यम धन जुटाने में 80 फीसदी से अधिक की गिरावट देखी गई।
निवेश बैंकरों का मानना है कि साल के पहले तीन महीनों के दौरान अस्थिरता के कारण कई कंपनियों ने अपनी सूचीबद्धता योजना टाल दी हैं। कैलेंडर वर्ष 2023 में अब तक सात कंपनियां आईपीओ लाई हैं, जिससे कुल मिलाकर 6,910 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं। इसकी तुलना में पिछले साल समान अवधि के दौरान 16 कंपनियों ने 40,310 करोड़ रुपये जुटाए थे।
भारतीय इक्विटी बेंचमार्क ने इस साल नए रिकॉर्ड बनाए हैं। हालांकि, पिछले छह महीने काफी उथल-पुथल भरे रहे, जब दरों में वृद्धि की आशंका जताई गई, अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट ने अदाणी समूह पर अनियमितताओं का आरोप लगाया और अमेरिका में बैंकिंग संकट उत्पन्न हो गया था।
हालांकि, ब्लॉक डील के माध्यम से मजबूती से रकम जुटाई गई। इस साल करीब 82 कंपनियों ने 44,988 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इसमें अदाणी प्रवर्तकों द्वारा समूह की चार कंपनियों में अमेरिकी कंपनी जीक्यूजी पार्टनर्स को 15,446 करोड़ रुपये की शेयरों की बिक्री जैसे बड़े लेनदेन भी शामिल हैं।
अन्य बड़े सौदों में कनाडा पेंशन प्लान इन्वेंस्टमेंट बोर्ड की कोटक महिंद्रा बैंक में 6,124 करोड़ रुपये की 1.66 फीसदी हिस्सेदारी और ब्रिटेन की निवेश कंपनी एबर्डन की एचडीएफसी ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी और एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में 6,148 करोड़ रुपये की शेयरों की बिक्री शामिल है।
अनुवर्ती पेशकशों में तेजी कुछ हद तक निजी इक्विटी कंपनियों द्वारा बिकवाली और प्रवर्तकों द्वारा मूल्यांकन को अनुकूल बनाए जाने की वजह से दर्ज की गई। बैंकरों का कहना है कि जब बाजार में उथल-पुथल रहती है तो निवेशक किसी नई कंपनी के आईपीओ लाने पर जोर देने के बजाय जानी-पहचानी कंपनी के साथ जाना पसंद करते हैं।
सेंट्रम कैपिटल के इक्विटी कैपिटल मार्केट के पार्टनर प्रांजल श्रीवास्तव ने कहा, ‘ब्लॉक डील इसलिए चलन में हैं क्योंकि उन पर अमल करना काफी आसान है। सूचीबद्ध स्टॉक के लिए कीमतें तय की जा चुकी हैं। किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं होती है। विश्लेषक बड़ी कंपनियों पर नजर रखकर मांग का अहसास करते हैं। आईपीओ को बुक बिल्डिंग और मूल्य निर्धारण प्रक्रिया से गुजरना होगा, और यह बाजार के प्रवाह और दिशा पर निर्भर करेगा। अगर गनिवेश प्रवाह बना रहता है और कोई तो कोई दिक्कत नहीं आएगी।’
उद्योग के दिग्गजों का कहना है कि कई कंपनियां इसलिए भी आईपीओ नहीं ला रही हैं क्योंकि प्रवर्तकों ने जो मूल्य निर्धारित किया और निवेशकों ने जो मूल्यांकन किया उसमें काफी अंतर था। उनका कहना है कि कुछ प्रवर्तक आईपीओ लाने से पहले पहली छमाही के दौरान देखी गई तुलना में अधिक अनुकूल बाजार स्थितियों की चाहत रखते हैं।
इसलिए कैलेंडर वर्ष 2023 में अब तक 24 कंपनियों ने बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा दी गई मंजूरी को खत्म होने दिया है। अगर उनकी मंजूरी खत्म नहीं हुई होती तो वे आईपीओ से 48,180 करोड़ रुपये जुटा सकती थी।