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चीन ने दुर्लभ खनिज तकनीशियनों की विदेश यात्रा पर लगाई रोक, भारत की EV लागत बढ़ने की आशंका

चीन ने दुर्लभ खनिजों और मैग्नेट तकनीक के जानकारों को विदेश भेजने पर रोक लगाई, जिससे भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

Last Updated- July 07, 2025 | 10:53 PM IST
rare earth minerals
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

फॉक्सकॉन द्वारा भारत में आईफोन संयंत्रों में काम करने वाले चीनी तकनीशियनों और इंजीनियरों को स्वदेश भेजने के कुछ दिनों बाद अब दुर्लभ खनिज क्षेत्र में काम करने वाले जानकारों को विदेश जाने पर रोक लगा दी गई है।

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने अपनी दुर्लभ खनिज कंपनियों से उन कर्मचारियों की सूची मांगी है जिनके पास दुर्लभ खनिज के प्रसंस्करण के साथ-साथ मैग्नेट बनाने में महारत है। इसके जरिये वह पक्का करना चाहता है कि जानकारों पर नजर रहे और वे विदेश न जा सकें ताकि जिन क्षेत्रों में चीन का दबदबा है उनकी प्रौद्योगिकी किसी और को न मिल सके।

मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के मुताबिक इनमें से कुछ जानकारों से पासपोर्ट सरकार या कंपनी को सौंपने के लिए कहा गया है ताकि विदेश जाने पर उनकी हरकतों पर नजर रखी जा सके।

चीन की इस कवायद का सीधा अर्थ है कि भारतीय वाहन कंपनियों को अब मैग्नेट वाली पूरी मोटर का ही आयात करना होगा। इससे वाहन की लागत और भी बढ़ जाएगी। इसके जरिये चीन सरकार यह भी पक्का कर लेगी कि उस मैग्नेट का इस्तेमाल किसी अन्य उत्पाद में नहीं हो सके।

निर्यात पर नियंत्रण के तहत चीन ने इस साल अप्रैल की शुरुआत में भारत को दुर्लभ खनिजों का निर्यात कम कर दिया था। इस कारण अधिकतर वाहन कंपनियों के पास ज्यादा से ज्यादा जुलाई के अंत तक का स्टॉक बचा है। भारत में दुर्लभ मैग्नेट बनाने समेत तमाम विकल्पों में अभी काफी समय लग सकता है। इसलिए माना जा रहा है कि फिलहाल इलेक्ट्रिक मोटरों का आयात करना ही सही विकल्प रहेगा।

इलेक्ट्रिक दोपहिया बनाने वाली कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘मोटर के आयात से इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण की लागत बढ़ जाएगी। आयात की जाने वाली मोटरों की संख्या के हिसाब से लागत में 3,000 रुपये से 6,000 रुपये तक इजाफा हो सकता है। इसके अलावा इलेक्ट्रिक स्कूटरों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना दुरुस्त करनी होगी और स्थानीय स्तर पर उत्पादन की सीमा को 50 फीसदी से कम करना होगा। पहले योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा मोटर का विनिर्माण भारत में ही होना है। ऐसा नहीं होता है तो प्रोत्साहन के लिए कोई पात्र नहीं रहेगा।’ चीन यह भी देख रहा है कि दुर्लभ खनिजों के प्रसंस्करण और मैग्नेट विनिर्माण में उसका दबदबा कम नहीं हो। इसलिए वह देश के बाहर दुर्लभ मैग्नेट की तस्करी रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है। हाल ही में उसने इसकी अवैध ढुलाई पर कार्रवाई कर सख्त कदम उठाए हैं और दुर्लभ खनिजों के उत्पादन तथा वितरण की निगरानी के लिए एक प्रणाली भी स्थापित की है।

कहा जा रहा है कि चीन सरकार ने फॉक्सकॉन से अपने तकनीशियनों और इंजीनियरों को इसलिए वापस बुलाया था क्योंकि वह भारत में आईफोन की उत्पादन लागत को बढ़ाना चाहती थी। अब इन जानकारों को ताइवान और जापान से बुलाया जा सकता है, लेकिन इससे उत्पादन लागत दो से तीन गुना बढ़ जाएगी।

First Published - July 7, 2025 | 10:20 PM IST

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