भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) किसी क्षेत्र की विशिष्टताओं और व्यापक आर्थिक व नीतिगत पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए बेहद जरूरी होने पर ही सावधानीपूर्वक हस्तक्षेप करता है। यह जानकारी आयोग की 2023-24 की सालाना रिपोर्ट में दी गई। आयोग की चेयरपर्सन रवनीत कौर ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि सरकार डिजिटल मार्केट के लिए एक्स-ऐंट (निवारक) नियम बनाते समय इसके तथ्य के प्रति पूरी तरह सचेत थी कि भारत बड़ी संख्या में स्टार्टअप के साथ नवाचार और उद्यम का गढ़ है। इसके विपरीत यूरोपीय संघ में ऐसी स्थिति नहीं है जहां कि ऐसे कानून लाए जा चुके हैं। सालाना रिपोर्ट में कहा गया कि डिजिटल मार्केट आधारित नए बिजनेस मॉडल के उभरने से नियामक के समक्ष कई चुनौतियां खड़ी हुई हैं।
डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक के प्रारूप में एक्स-ऐंट नियमन का प्रस्ताव किया गया है। इसके अंतर्गत डिजिटल कंपनियों को सीसीआई को यह सूचित करना होगा कि वे खास गुणात्मक व मात्रात्मक मानदंडों पर आधारित प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण डिजिटल उद्यम (एसएसडीई) के रूप में अहर्ता प्राप्त करने के मानदंड को पूरा करते हैं।
सालाना रिपोर्ट के अनुसार आयोग ने बीते साल नीतिगत नुस्खे के लिए खनन और डायग्नोस्टिक मेडिकल इमेजिंग जैसे क्षेत्रों में अध्ययन किया है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उसने सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत के विभिन्न हितधारकों के साथ कार्य करके अपने वकालत लक्ष्य को महत्त्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ाया है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘हमारे वकालत के मजबूत प्रयास न केवल शिक्षित करते हैं बल्कि प्रतिस्पर्धा सिद्धांतों को हमारे देश की अर्थव्यवस्था के तानेबाने में अच्छी तरह से एकीकृत करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।’ आयोग ने कहा कि उसने गैर प्रतिस्पर्धी आचरण से जुड़े कई मामलों की समीक्षा की है। ये मामले उपभोक्ताओं और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों जैसे औषधि, वाहन, मीडिया व मनोरंजन, विमानन आदि से जुड़े थे।
रिपोर्ट में बताया गया, ‘कंप्यूटिंग शक्ति की तेजी से वृद्धि और विश्व स्तर पर इंटरनेट की बढ़ती पहुंच ने डिजिटल अर्थव्यवस्था के आगमन को बढ़ावा दिया और इन प्रौद्योगिकियों के आधार पर नए व्यापार मॉडल का उदय हो सका है।’