केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सोमवार को बताया कि प्रमुख बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 2030 तक नवीकरणीय (renewable) ऊर्जा परियोजनाओं में करीब $386 बिलियन (₹32.45 लाख करोड़) का निवेश करने का वादा किया है। वे यह बात नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) और CII द्वारा आयोजित 4th RE-Invest समिट के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे।
जोशी ने बताया कि 2014 के बाद से भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में 175 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और ऊर्जा उत्पादन में 86 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा, “भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। इस विकास के कारण ऊर्जा की मांग भी बढ़ रही है, और हम इसे टिकाऊ (sustainable) तरीके से पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
जोशी ने यह भी बताया कि 2014 से भारत की सौर (solar) ऊर्जा क्षमता 33 गुना बढ़ी है। उन्होंने प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना का जिक्र करते हुए बताया कि अब तक 3.5 लाख से ज्यादा छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य 2030 तक 500 गीगावॉट (Gw) नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बनाने का है, और सोलर पावर इंडस्ट्री से 570 Gw के लिए प्रतिबद्धताएं मिल चुकी हैं।
इसके अलावा, सोलर मैन्युफैक्चरिंग (manufacturing) समुदाय ने 2030 तक 340 Gw सोलर मॉड्यूल और 240 Gw सोलर सेल उत्पादन क्षमता का वादा किया है, जबकि पवन ऊर्जा डेवलपर्स ने 22 Gw उत्पादन क्षमता का वादा किया है।
समिट में ‘शपथ पत्र’ की प्रस्तुति मुख्य आकर्षण रही, जहां नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना डेवलपर्स, उपकरण निर्माता, वित्तीय संस्थान और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने अपनी प्रतिबद्धताएं जताई। इन शपथ पत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला के विकास और फंडिंग के प्रति योगदान की बातें शामिल की गई हैं।
जोशी ने कहा कि भारत अब तक 200 Gw नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल कर चुका है और 2030 तक 500 Gw के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है। यह लक्ष्य भारत द्वारा G20 और UNFCC जैसे वैश्विक मंचों पर की गई प्रतिबद्धताओं का हिस्सा है।