किसानों की आमदनी बढ़ाने के मकसद से केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को 7 नई कृषि योजनाओं को मंजूरी दी है, जिस पर कुल करीब 14,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। कृषि एवं संबंधित गतिविधियों से जुड़े इन कार्यक्रमों में कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और शिक्षा, जलवायु के पलटाव, प्राकृतिक संसाधन के प्रबंधन और डिजिटलीकरण के साथ पशुधन और बागवानी के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इन योजनाओं का मकसद किसानों को जलवायु प्रतिरोधी कृषि के लिए तैयार करना है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इनमें 2,817 करोड़ रुपये का डिजिटल कृषि मिशन और फसल विज्ञान के लिए 3,979 करोड़ रुपये की योजना शामिल है। खाद्य एवं पोषण की सुरक्षा कार्यक्रम में 6 बिंदुओं पर बल दिया गया है, जिनका उद्देश्य जलवायु अनुकूल फसल विज्ञान और खाद्य सुरक्षा के लिए किसानों को तैयार करना है।
ये छह बिंदु अनुसंधान और शिक्षा, पादप आनुवंशिक संसाधन प्रबंधन, खाद्य और चारा फसल के लिए आनुवंशिक सुधार, दलहन एवं तिलहन फसल सुधार, वाणिज्यिक फसलों में सुधार और कीटों, सूक्ष्म जीवों एवं परागण तत्वों से जुड़े शोध से संबंधित हैं। मंत्रिमंडल ने कृषि शिक्षा, प्रबंधन और सामाजिक विज्ञान को मजबूत करने के लिए 2,291 करोड़ रुपये के परिव्यय को मंजूरी दी।
यह कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के मातहत संचालित किया जाएगा। इसका उद्देश्य नई शिक्षा नीति, 2020 के अनुरूप कृषि शोध एवं शिक्षा को आधुनिक बनाना है। डिजिटल बुनियादी अवसंरचना, एआई, बिग डेटा, रिमोट जैसी नवीनतम प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा और कार्यक्रम में प्राकृतिक खेती और जलवायु से संबंधित जुझारू क्षमता शामिल हैं।
डिजिटल कृषि मिशन के तहत कुल 2,817 करोड़ रुपये निवेश किया जाएगा। इस परियोजना के आधार स्तंभ कृषि ढांचा और कृषि निर्णय सहायता प्रणाली हैं। मंत्री ने कहा कि पशुधन के सतत स्वास्थ्य और उनके उत्पादन के लिए 1,702 करोड़ रुपये की योजना को भी मंजूरी दी गई है।
इस योजना के अंतर्गत पशु स्वास्थ्य प्रबंधन एवं पशु चिकित्सा शिक्षा, डेरी उत्पादन एवं प्रौद्योगिकी विकास, पशु आनुवंशिक संसाधन प्रबंधन, उत्पादन एवं सुधार तथा पशु पोषण एवं छोटे मवेशियों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत एक अन्य प्रमुख योजना, बागवानी के लिए सतत विकास से संबंधित है।
मंत्री ने कहा, ‘कुल 860 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ इस उपाय का उद्देश्य बागवानी पौधों से किसानों की आय बढ़ाना है।’ इस कार्यक्रम में उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण बागवानी फसलें, जड़, कंद और शुष्क फसलें, सब्जी, फूलों की खेती और मशरूम की फसलें, और पौधरोपण, मसाले, औषधीय और सुगंधित पौधे शामिल हैं। मंत्रिमंडल ने कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) को मजबूत करने के लिए 1,202 करोड़ रुपये की योजना और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के लिए 1,115 करोड़ रुपये की योजना को भी मंजूरी दी। देश भर में 700 से अधिक केवीके हैं।