ह्यंडै मोटर इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक उनसू किम ने मंगलवार को नई वेरना पेश करने के बाद सुरजीत दास गुप्ता के साथ फर्म द्वारा सिडैन पर ज्यादा जोर देने की वजह और इलेक्ट्रिक वाहनों में इसकी योजना के बारे में बात की। संपादित अंश:
पिछले कुछ सालों से हर कार विनिर्माता तीव्र वृद्धि वाले एसयूवी खंड पर ध्यान दे रहा है। आप किस वजह से अलग रणनीति लाए और सिडैन खंड में नई वेरना पेश की?
एसयूवी के प्रति रुझान वैश्विक है। अमेरिका में ऐसा हो रहा है और अब यूरोप में भी, जो हैचबैक का बाजार रहा है। हालांकि वर्ष 2022 में एसयूवी के अलावा केवल सिडैन खंड ने ही कुल बिक्री में अपनी हिस्सेदारी में इजाफा किया है। वर्ष 2021 में 2,96,000 सिडैन बेची गई, जिसका कुल बाजार में 9.5 प्रतिशत हिस्सा रहा।
वर्ष 2022 में यह बढ़कर 4,12,000 हो गई, जो कुल बाजार का 10.4 प्रतिशत हिस्सा है। यह 40 प्रतिशत वृद्धि दर्शाता है। भारतीय लोग सिडैन चाहते थे, लेकिन प्रतिष्ठित ब्रांडों का ध्यान एसयूवी पर था। हमारा लक्ष्य नई वेरना के जरिये बिक्री को मौजूदा 19,000 से बढ़ाकर अगले 12 महीनों में दोगुना करना है।
तो नई वेरना का ग्राहक कौन हैं और नई वेरना की पेशकश को सही ठहराने के लिए वह एसयूवी उपयोगकर्ता से कैसे अलग है?
वेरना और एसयूवी क्रेटा के ग्राहक के बीच बड़ा अंतर है। वेरना के मामले में 41 प्रतिशत ग्राहक 30 साल से कम उम्र वाले हैं, जबकि क्रेटा में यह विचाराधीन संख्या केवल 20 प्रतिशत है। इस तरह, वेरना के ग्राहक युवा हैं और बाहर की साज-सज्जा और अंदर की जगह पर ज्यादा ध्यान देते हैं, जो प्रमुख कारक होते हैं। हमें उम्मीद है कि नई वेरना के 25 से 26 प्रतिशत ग्राहक पहली बार वाले खरीदार होंगे।
पुरानी वेरना के मामले में यह संख्या करीब 20 प्रतिशत थी, जबकि क्रेटा के मामले में यह 21 प्रतिशत है। इस उत्साह को इस तथ्य से देखा जा सकता है कि हालांकि बुकिंग एक महीने पहले खोली गई थी और कीमत की घोषणा मंगलवार को ही की गई है, लेकिन हमें पहले ही 8,000 बुकिंग मिल चुकी हैं। इसमें से लगभग 25 से 30 प्रतिशत बुकिंग टर्बो विकल्प के लिए थी, जो सबसे अच्छा प्रदर्शन प्रदान करती है।
ह्युंडै को भारत में ईवी क्षेत्र में प्रमुख कंपनी के रूप में देखा जाता है। देश के लिए ईवी की आपकी कार्य योजना क्या है?
हम भारत में पहले स्थान वाली ईवी कंपनी बनना चाहते हैं। टेस्ला के बाद ह्युंडै ग्रुप ईवी क्षेत्र में बहुत अच्छा है। भारत ईवी में हमारी अपेक्षाओं से भी आगे निकल गया है। इससे पहले कई लोगों ने अनुमान जताया था कि भारत इलेक्ट्रिक वाहनों के संबंध में धीमी रफ्तार से आगे बढ़ेगा।
लेकिन ईवी के संबंध में भारत सरकार की पहल काफी मजबूत है और ग्राहक ईवी खरीदना चाहते हैं। इससे अन्य बाजारों की तुलना में ईवी की दिशा में देश की रफ्तार में तेजी आएगी और मुझे उम्मीद है कि यह अमेरिका से भी तेज रहेगी।
ह्यंडै पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह वर्ष 2028 तक सभी खंड़ों – हैचबैक, सिडैन और एसयूवी वगैरह में आठ ईवी पेश करेगी (इसकी पहली ईवी कोना थी)। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक भारत में 30 प्रतिशत कारें इलेक्ट्रिक होनी चाहिए, जबकि रूढ़िवादी अनुमान कहते हैं कि 15 प्रतिशत कारें इलेक्ट्रिक होंगी। हमारा मानना है कि वर्ष 2030 तक 20 से 25 प्रतिशत हिस्सा संभव है।
आपकी दूसरी ईवी आयनिक 5 को क्या प्रतिक्रिया मिली है, जिसे 44.95 लाख रुपये की शुरुआती कीमत पर पेश किया जा रहा है?
यह हमारी अपेक्षाओं से कहीं आगे रही है। हमारे पास 800 से ज्यादा गाड़ियों की बुकिंग है और अप्रैल की शुरुआत से डिलिवरी शुरू हो जाएगी।
क्या आपको लगता है कि इलेक्ट्रिक कारें 10 लाख रुपये से कम के दायरे में उपलब्ध होंगी?
यह बैटरी सेल की कीमतों पर निर्भर करेगा। कच्चे माल की कीमतों के कारण वैश्विक कीमतें ऊपर और नीचे होती हैं। साथ ही जैसे-जैसे तकनीक बढ़ेगी, बैटरी सेल की कीमत कम हो जाएगी।
क्या ह्यंडै भारत में अपना खुद का बैटरी सेल विनिर्माण संयंत्र लगाएगी?
कोरिया, चीन और जापान के बैटरी सेल विनिर्माता पहले ही हैं, जो प्रमुख वैश्विक कंपनी हैं। कुछ भारतीय स्टार्टअप कंपनियां भी इस क्षेत्र में आ रही हैं और हम उस पर ध्यान दे रहे हैं। अगर हम इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री बढ़ाते हैं, तो किसी बैटरी विनिर्माता कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम की संभावना है।