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भारतपे में ग्रोवर की बढ़ेंगी चुनौतियां

Last Updated- December 11, 2022 | 9:21 PM IST

फिनटेक यूनिकॉर्न भारतपे के संस्थापक और प्रबंध निदेशक अशनीर ग्रोवर को बोर्डरूम संघर्ष के बीच कंपनी की अपनी 9.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। ऐसा विशेषज्ञों का कहना है।
एक वेंचर कैपिटल निवेशक ने कहा, चूंकि फोरेंसिक ऑडिट चल रहा है, ऐसे में उन्हें उचित कारण के साथ निकाला जा सकता है। इस स्थिति में निवेशक यथासंभव इसे मुश्किल बना देंगे। अन्यथा विभिन्न संस्थापक हमेशा ही बाधा उत्पन्न करेंगे और उच्च मूल्यांकन पर पहुंचने के बाद निकासी करना चाहेंगे।
अगस्त के आखिरी दौर की फंडिंग के आधार पर ग्रोवर की हिस्सेदारी 1,915 करोड़ रुपये की है, जब भारतपे का मूल्यांकन 2.8 अरब डॉलर आंका गया था। हालांकि हालिया साक्षात्कार में उन्होंंने कहा था कि वह तभी फर्म से निकलेंगे जब उन्हें 4,000 करोड़ रुपये चुकाया जाएगा और इस तरह से कंपनी का मूल्यांकन 6 अरब डॉलर आंका है।
निवेशक ने कहा, ऐसे मामलों में मेरे अनुभव के आधार पर और जो कुछ मैं सुन रहा हूं, उनकी निकासी की कीमत पिछले दौर के मूल्यांकन का आधा रहने का अनुमान लगाया जाएगा। साथ ही किसी भी पुनर्खरीद में अहम निवेशकों के पास पहले इनकार का अधिकार हमेशा होगा।
इस बीच, कंपनी ने दो फर्मों अल्वरेज ऐंड मार्सल और पीडब्ल्यूसी को कथित वित्तीय अनियमितताओं के अंकेक्षण के लिए नियुक्त किया है। कंपनी के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन के मुताबिक, किसी संस्थापक की तरफ से जानबूझकर की गई गलती आदि वैसी चार बड़ी फर्मों की तरफ से तय किया जाएगा, जिसका कंपनी के साथ पहले से कोई संबंध नहीं रहा है, तब उस स्थिति का इस्तेमाल संस्थापक की हिस्सेदारी की पुनर्खरीद के लिए किया जा सकता है।
बर्जन लॉ के वरिष्ठ सलाहकार सूरज मलिक ने कहा, जब भुगतान के मामले पर कानूनी संघर्ष होगा तब अदालत के पास मूल्यांकन को लेकर कोई आधार नहींं होगा। मुझे लगता है कि 4,000 करोड़ रुपये की मांग बातचीत के शुरुआती दौर में की गई है। मेरी राय में पक्षकारों को आपसी सहमति से इसका समाधान निकालना चाहिए।
उन्होंने हालांकि कहा कि निवेशक शायदही इस मांग पर सहमत होंगे। अगर आप टाटा-मिस्त्री या संयुक्त उद्यम के ऐसे मामलों पर गौर करेंगे तो निकलने वाले पक्षकार को आसानी से नहीं मिलता और मामला अक्सर लंबा खिंचता है।
आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन यह भी कहता है कि अगर किसी संस्थापक को नौकरी से निकाला जाता है तो उनकी हिस्सेदारी उचित बाजार मूल्यांकन से कम पर खरीदा जा सकता है या फिर उसे कर्मचारी कल्याण ट्रस्ट में हस्तांतरित किया जा सकता है।
पिछले हफ्ते ग्रोवर ने मुख्य कार्याधिकारी सुहैल समीर को बोर्ड में निदेशक नियुक्त करने के लिए अपना नामांकन वापस ले लिया। हालांकि सह-संस्थापक शाश्वत नाकरनी ने अपना समर्थन सीईओ को दिया है।
आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन के मुताबिक, हर संस्थापक के पास बोर्ड में निदेशक के तौर पर खुद को नामांकित कनरे का अधिकार है और वह अन्य व्यक्ति को भी निदेशक के तौर पर नामित कर सकता है। इसके अलावा संस्थापकों के पास संयुक्त रूप से दो निदेशकों की नियुक्ति का अधिकार है।
हालांकि इसका सीधा जवाब नहीं है कि कैसे संयुक्त नॉमिनी को हटाया जा सकता है।

First Published - February 9, 2022 | 11:07 PM IST

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