हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) में सरकार की शेष 29.54 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री कंपनी की वैश्विक परिसंपत्तियों के हस्तांतरण को लेकर स्पष्टता के बाद होने की संभावना है।
एक अधिकारी ने बताया कि वेदांत की वैश्विक जिंक परिसंपत्तियों को बेचने की योजना पूरी होने के बाद ही इस दिशा में कदम बढ़ाया जाएगा।
SZL में सरकार की हिस्सेदारी को बेचने की योजना फिलहाल अधर में है और मार्च 2023 तक विनिवेश होने की संभावना नहीं है। ऐसे में सरकार चालू वित्त वर्ष के दौरान 50,000 करोड़ रुपये के अपने संशोधित संपत्ति बिक्री लक्ष्य से चूक सकती है।
चालू वित्त वर्ष में अब तक सरकार ने केंद्र सरकार के उद्यमों (CPSE) में हिस्सेदारी की बिक्री से 31,107 करोड़ रुपये जुटाए हैं। सरकार संशोधित लक्ष्य को पूरा करने के लिए HZL में अपनी 29.54 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रहा थी।
अधिकारी ने कहा कि HZL में हिस्सेदारी की बिक्री तभी हो सकती है, जब यह स्पष्ट हो जाए कि विदेशों में जस्ता परिसंपत्ति का हस्तांतरण हो रहा है या नहीं और अल्पसंख्यक हितधारकों की चिंताओं को दूर किया गया है या नहीं।
अधिकारी ने कहा, ”निवेशक हमसे पूछ रहे हैं कि क्या विदेशी संपत्ति का हस्तांतरण हो रहा है। हम हिस्सेदारी तभी बेचना चाहते हैं जब इस मुद्दे पर स्पष्टता हो। हम हिस्सेदारी बेचने में जल्दबाजी नहीं करना चाहते।”
अधिकारी ने कहा कि चूंकि यह एक संबंधित पार्टी लेनदेन है, इसलिए इसे नकदी रहित परिसंपत्ति हस्तांतरण होना चाहिए।
सरकार ने पिछले महीने कहा था कि वह अनिल अग्रवाल द्वारा प्रवर्तित वेदांत की अपनी वैश्विक जस्ता परिसंपत्ति HZL को बेचने की योजना से संबंधित मामलों में सभी कानूनी विकल्पों का पता लगाएगी। इस संबंध में सरकार की कई चिंताओं में एक संपत्ति का मूल्यांकन है।