मझोले स्तर की आईटी कंपनी कोफोर्ज ने कहा है कि वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) कारोबार पहले से ही उसके राजस्व में लगभग 10 प्रतिशत या लगभग 14.7 करोड़ डॉलर का योगदान दे रहा है। कंपनी ऐसे क्षेत्र पर अपना ध्यान दोगुना कर रही है जिसने आईटी सेवा प्रदाताओं के लिए कड़ी चुनौती पेश की है।
कोफोर्ज अपने मुख्य वर्टिकलों पर ध्यान दे रही है। इनमें बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं (बीएफएस), बीमा और यात्रा, परिवहन और हॉस्पिटैलिटी (टीटीएच) शामिल हैं। साथ ही वह हेल्थकेयर जीसीसी को भारत में अपनी इकाइयां लगाने में मदद करने के लिए अपना दायरा भी बढ़ा रही है। यह जानकारी कंपनी के कार्यकारी उपाध्यक्ष और बिजनेस प्रोसेस सर्विस (बीपीएस) और जीसीसी इकाइयों की प्रमुख मैड्डी हेगड़े ने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में दी।
हेगड़े ने कहा, ‘उद्योग जगत के दृष्टिकोण से यह गहन विशेषज्ञता है जो मुझे लगता है कि हमारे लिए फायदेमंद है। मैं यह कहने में सक्षम हूं कि हम लगभग 10-15 प्रतिशत का योगदान देंगे, लेकिन कोफोर्ज भी बहुत तेजी से बढ़ रही है। अब अगर हम अगले दो वर्षों में (जैसा कि हमारे सीईओ ने कहा) 2 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर लेते हैं तो 20 करोड़ डॉलर कोई खराब भी नहीं होगा।’
कंपनी ने इस साल की शुरुआत में जीसीसी उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया ताकि ग्राहकों को जीसीसी को अपने व्यवसाय का अभिन्न हिस्सा बनाने और उसका विस्तार करने में मदद मिल सके। कंपनी ने कहा कि कई उद्यम अपनी ऑफशोर रणनीतियों को अकेले ही आगे बढ़ाने के लिए जूझ रहे हैं, जिससे सभी स्तरों के सेवा प्रदाताओं को उनके साथ जुड़ने और वर्तमान में सबसे लोकप्रिय वर्टिकल का कुछ हिस्सा हासिल करने में मदद मिल रही है।
बड़े आईटी सेवा प्रदाता भी इन जीसीसी के साथ जुड़ रहे हैं और उन्होंने व्यावसायिक इकाइयां स्थापित की हैं तथा उनके प्रबंधन के लिए प्रमुखों की नियुक्ति की है। विप्रो और कॉग्निजेंट इस दौड़ में हाल में शामिल होने वाली प्रमुख कंपनियां हैं, जबकि इन्फोसिस और टेक महिंद्रा पिछले कुछ समय से जीसीसी के साथ काम कर रही हैं। हेक्सावेयर ने जीसीसी में अपना दायरा बढ़ाने के लिए जुलाई में एसएमसी स्क्वायर्ड समूह की दो कंपनियों को लगभग 12 करोड़ डॉलर में खरीदा था।