भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) को विमान यात्रियों को भोजन मुहैया कराने वाले फूड बिजनेस ऑपरेटरों को दिए गए लाइसेंस में खामियों का पता चला है। एयरलाइंस में उड़ानों के दौरान यात्रियों को भोजन उपलब्ध कराने वाली खाद्य आपूर्ति श्रृंखला की गहन निगरानी के बाद इन विसंगतियों का पता चला।
यह निगरानी एक प्रमुख एयरलाइन के रीफ्रेशमेंट में जीवित कीड़ा पाए जाने के बाद की गई थी, जिसके कारण सोशल मीडिया और अन्य जगहों पर हंगामा मच गया और इंटरनेट प्रेमियों ने स्वच्छता प्रक्रिया पर सवाल उठाया। इस घटनाक्रम के बाद एफएसएसएआई ने एयरलाइन को कारण बताओ नोटिस जारी किया और स्पष्टीकरण मांगा।
इस बीच जारी एडवायजरी में कहा गया कि एफएसएसएआई की निगरानी के दौरान यह सामने आया कि भोजन को फ्लाइट किचन ऑपरेटर (हवाई अड्डों और उसके आसपास मौजूद कैटरर्स) द्वारा तैयार किया जा रहा था और फिर इंस्युलेटेड रेफ्रिजरेटेड वैन या वैगन जैसे विशेष वाहनों के माध्यम से इसे उड़ानों में भेजा जा रहा था। उड़ानों में फिर इस खाने को एयरलाइन स्टाफ के जरिए यात्रियों को दिया जाता था।
एफएसएसएआई का कहना है कि फ्लाइट किचन ऑपरेटरों को अपने एफएसएसएआई लाइसेंस में व्यवसाय के फूड सर्विसेज (कैटरर) प्रकार को शामिल करना होगा। उसने कहा कि यदि फ्लाइट किचन ऑपरेटर के पास विमान तक खाना पहुंचाने के लिए अपना स्वयं का वाहन है तो इस अलग से मंजूरी की जरूरत नहीं है। लेकिन यदि फ्लाइट किचन ऑपरेटर के पास भोजन पहुंचाने के लिए अपना स्वयं का वाहन नहीं है तो ट्रांसपोर्टर को किसी भी संख्या में अलग एफएसएसएआई लाइसेंस हासिल करना होगा।
एफएसएसएआई ने कहा कि एयरलाइनों को किसी भी तरह के व्यवसाय के लिए सिर्फ एक लाइसेंस लेना होगा और साथ ही उस लाइसेंस में उन्हें कैटरर को शामिल करना होगा। परामर्श में यह भी कहा गया है कि यदि एयरलाइन प्री-पैकेज्ड फूड की बिक्री से जुड़ी हैं तो उन्हें उस लाइसेंस में रिटेलरों को भी जोड़ना होगा।
यदि एयरलाइंस अपने प्री-पैकेज्ड खाद्य उत्पाद अपने ब्रांड नाम के तहत बनाती या आयात करती हैं तो उन्हें उचित विनिर्माण लाइसेंस लेना होगा। एडवायजरी में कहा गया है कि यदि एयरलाइनों के पास उड़ान के अलावा किसी अन्य स्थान पर भोजन का भंडारण या किसी भी प्रकार की खाद्य व्यवसाय गतिविधि है, तो उन्हें उन विशेष भंडारण परिसरों के लिए व्यवसाय के प्रकार के हिसाब से अलग एफएसएसएआई लाइसेंस लेना।