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GST दरों में बदलाव पर FMCG वितरकों ने वित्त मंत्री को लिखा पत्र, कहा- दर घटने से रिटेल व डिस्ट्रीब्यूशन को नुकसान

FMCG वितरकों ने वित्त मंत्री से अपील की कि जीएसटी दरों में बदलाव से पहले स्पष्ट दिशानिर्देश जारी हों ताकि आपूर्ति श्रृंखला, मार्जिन और उपभोक्ता पर असर न पड़े।

Last Updated- August 22, 2025 | 10:23 PM IST
FMCG
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुओं (एफएमसीजी) के वितरकों ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों में प्रस्तावित बदलाव के कारण आपूर्ति व्यवस्था पर पड़ने वाले असर को लेकर वित्त मंत्री को पत्र लिखा है। वितरकों ने पत्र में जिक्र किया है कि सरकार की तरफ से इस संबंध में दिशानिर्देश जारी किए जाएं ताकि जीएसटी दरों में बदलाव के दौरान कारोबार में बाधा न आए।

प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को जीएसटी व्यवस्था में सुधार करने का ऐलान किया था। खबरों के अनुसार 12 प्रतिशत जीएसटी दर खत्म होने की उम्मीद है और इसमें आने वाली वस्तुएं 5 प्रतिशत की कर श्रेणी में आ सकती हैं। जीएसटी कर दरों में बदलाव की घोषणा के बाद एफएमसीजी वितरक संघों ने यह पत्र लिखा है।

वर्तमान में जिन वस्तुओं पर 12 प्रतिशत पर कर लगता है उनमें पैकेट बंद एवं प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ जैसे मक्खन, घी, अचार, जैम, मेवा, सोया दूध, फलों के रस, टूथ पाउडर, नमकीन, सेवई, चिप्स, भुजिया और स्नैक फूड जैसे अन्य एफएमसीजी उत्पाद शामिल हैं।

ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (एआईसीपीडीएफ) ने अपने पत्र में कहा कि जीएसटी दरों में बदलाव से उन वस्तुओं के भंडार पर असर पड़ सकता है जिनका पहले से ही व्यापार हो रहा है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने भी यह पत्र देखा है।

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एआईसीपीडीएफ ने कहा, ‘व्यापार माध्यमों और खुदरा काउंटरों पर पहले से ही बड़ी मात्रा में सामान मौजूद हैं। बिना निर्देशों के अचानक दर परिवर्तन से मार्जिन प्रभावित हो सकता है, विवाद हो सकते हैं और उपभोक्ता भ्रमित हो सकते हैं। इसे देखते हुए हुए मूल्य निर्धारण और भंडार समायोजन पर निर्माताओं को स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए जाएं।’

संघ ने यह भी कहा कि जीएसटी दरें कम होने से उपभोक्ताओं को जरूर लाभ होगा मगर जोखिम यह है कि लाभ आपूर्ति श्रृंखला के माध्यम से एक समान रूप से नहीं पहुंच सकता जिससे वितरक और खुदरा विक्रेता दोनों का मुनाफा प्रभावित हो सकता है। संघ ने मंत्रालय से स्पष्ट निर्देश जारी किए जाने का आग्रह किया ताकि व्यापार और उपभोक्ता जीएसटी दरों में बदलाव से बेअसर रहें।

एक एफएमसीजी कंपनी के अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि अगर कोई बढ़ोतरी या कमी होती है तो उसका नफा-नुकसान उपभोक्ताओं पर डाला जाएगा। अधिकारी ने कहा कि कंपनियों को इस बदलाव का बोझ उठाना होगा और उसी अनुसार अंतर समायोजित करना होगा।

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पत्र में संघ ने यह भी कहा कि अनबिके माल (क्लोजिंग स्टॉक) पर इनपुट टैक्स क्रेडिट में बदलाव व्यापार जगत के लिए चिंता का कारण है और वितरकों और खुदरा विक्रेताओं को इससे वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ सकता है। पत्र में कहा गया है, ‘आईटीसी हासिल होने में कोई दिक्कत नहीं आए इसके लिए एक सक्रिय ढांचा तैयार किया जाना चाहिए ताकि कारोबारियों पर अनुचित बोझ न पड़े।‘

संघ ने यह भी कहा कि एयरेटेड ड्रिंक्स उच्चतम कर श्रेणी में रखे गए हैं। ये उत्पाद जब 10 रुपये और 20 रुपये के मूल्य के साथ बाजार में उतारे जाते हैं तो इनकी अधिक बिक्री होती है। निम्न-आय वर्ग के लोग इन्हें ज्यादा खरीदते हैं। संघ ने इस श्रेणी को हानिकारक वस्तुओं की श्रेमी में नहीं रखने का अनुरोध किया क्योंकि इससे मांग प्रभावित हो सकती है।

First Published - August 22, 2025 | 10:15 PM IST

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