भारतीय FMCG (फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स) इंडस्ट्री को साल 2026 से काफी उम्मीदें हैं। उद्योग से जुड़े जानकारों का कहना है कि 2026 में FMCG सेक्टर में हाई सिंगल डिजिट (7–9%) वॉल्यूम ग्रोथ, मुनाफे में सुधार और शहरी मांग की वापसी देखने को मिल सकती है। पीटीआई रिपोर्ट के मुताबिक, कम महंगाई, कमोडिटी कीमतों में नरमी, इनकम टैक्स में राहत और GST सुधार जैसे कदम FMCG कंपनियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
अगर महंगाई कम बनी रहती है, तो FMCG कंपनियों के मार्जिन बेहतर होंगे। इससे कंपनियां विज्ञापन (एडवरटाइजिंग) पर ज्यादा खर्च कर पाएंगी, जो FMCG सेक्टर के लिए बहुत जरूरी माना जाता है। हालांकि, कंपनियों को अब अपने मीडिया और मार्केटिंग के तरीकों में बदलाव करना होगा, क्योंकि लोग अब पहले की तरह टीवी और अखबारों पर निर्भर नहीं हैं। युवा वर्ग ज्यादा समय डिजिटल और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बिता रहा है।
FMCG कंपनियां अब नई तकनीक में निवेश बढ़ा रही हैं। इनमें ऑटोमेशन, डेटा एनालिटिक्स, AI आधारित मांग का अनुमान, सप्लाई चेन सुधार और 10 से 30 मिनट में डिलीवरी देने वाली क्विक कॉमर्स सेवाएं शामिल हैं।
इमामी के वाइस चेयरमैन और एमडी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि अब डिजिटल प्लेटफॉर्म, पर्सनलाइज्ड कंटेंट और परफॉर्मेंस आधारित मार्केटिंग ज्यादा असरदार हो गई है, जबकि पारंपरिक मीडिया की अहमियत धीरे-धीरे कम हो रही है।
FMCG सेक्टर में प्रीमियम प्रोडक्ट्स की मांग आगे भी बनी रह सकती है, हालांकि लोग अब सोच-समझकर खर्च करेंगे। ग्राहक अब क्वालिटी, हेल्थ, वेलनेस और बेहतर अनुभव वाले प्रोडक्ट्स को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं।
इमामी के एमडी के मुताबिक, 2026 में ग्रामीण और शहरी बाजारों में धीरे-धीरे सुधार होगा। संगठित रिटेल, ई-कॉमर्स, D2C और क्विक कॉमर्स की हिस्सेदारी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी को FY26 के दूसरे हिस्से में सुधार की उम्मीद है और FY27 में डबल डिजिट ग्रोथ का लक्ष्य रखा गया है।
डाबर इंडिया के CEO मोहित मल्होत्रा ने कहा कि भारत की युवा आबादी, खासकर मिलेनियल्स और Gen Z, FMCG खपत को नया रूप दे रही है। ये वर्ग अनुभव आधारित और लाइफस्टाइल प्रोडक्ट्स पर ज्यादा खर्च कर रहा है। उनके मुताबिक, शहरी इलाकों में लोग अब बेहतर क्वालिटी और प्रीमियम प्रोडक्ट्स के लिए ज्यादा कीमत देने को तैयार हैं, खासकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर।
हालांकि, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के MD और CEO सुधीर सीतापति ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि FMCG सेक्टर की वॉल्यूम ग्रोथ पिछले 4-5 साल से 4-5% के आसपास है, जबकि देश की GDP ग्रोथ 7–8% रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि GST 2.0 और इनकम टैक्स में राहत से खासकर शहरी मांग को फायदा मिलेगा।
डेलॉयट इंडिया के आनंद रामनाथन के अनुसार, ई-कॉमर्स अब छोटे शहरों और गांवों तक तेजी से पहुंचेगा। क्विक कॉमर्स और सोशल कॉमर्स पारंपरिक बिजनेस मॉडल को चुनौती देते रहेंगे।
DS ग्रुप के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि हालांकि 2026 में मांग और मुनाफा बेहतर रहने की उम्मीद है, लेकिन सेक्टर को क्षेत्रीय ब्रांड्स, D2C कंपनियों, मॉनसून जोखिम और ई-कॉमर्स में बदलाव जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
ग्रांट थॉर्नटन भारत के नवीन मालपानी के अनुसार, 2026 में निवेश चयनात्मक रहेगा, लेकिन प्रीमियम, वेलनेस, होम सॉल्यूशंस, डिस्क्रेशनरी प्रोडक्ट्स और सप्लाई चेन व क्विक कॉमर्स से जुड़ी कंपनियों में निवेश बढ़ सकता है।