एफएमसीजी वितरकों की क्विक कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ दायर मौजूदा शिकायत में वितरकों के संगठन ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को अतिरिक्त जानकारी सौंपी है। जानकार सूत्रों के अनुसार नियामक ने उनसे वितरकों के आरोपों का जवाब देने के लिए कहा था। अपने जवाब में उन्होंने कहा है कि ब्लिंकइट की बाजार में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी 40-45 प्रतिशत है, उसके बाद जेप्टो की 25-30 प्रतिशत और फिर स्विगी इंस्टामार्ट की 20-25 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
अतिरिक्त जानकारी में यह भी कहा गया है कि क्विक कॉमर्स कंपनियों ने ऐसी व्यवस्थाएं की हैं जिनमें इन कंपनियों ने डिलिवरी सेवाओं को लॉयल्टी प्रोग्राम या सबस्क्रिप्शन मॉडल के साथ जोड़ दिया है, जिससे ग्राहकों को छूट या प्राथमिकता वाली डिलिवरी पाने के लिए अतिरिक्त सेवाएं खरीदने को प्रोत्साहित किया गया है। उन्होंने उदाहरण दिया है कि जैसे स्विगी इंस्टामार्ट स्विगी वन मेंबरशिप के माध्यम से छूट देती है जबकि जोमैटो अपनी जोमैटो गोल्ड मेंबरशिप के जरिए प्रमोशन करती है।
उसने यह भी आरोप लगाया कि क्विक कॉमर्स कंपनियों ने आपूर्तिकर्ताओं के साथ जो अनुबंध किए हैं, उनमें अक्सर डार्क स्टोर्स को स्टॉक आवंटन में प्राथमिकता देने और पारंपरिक व्यापार के लिए आपूर्ति कम करने से जुड़े प्रावधान होते हैं।
इस मामले में तब तूल पकड़ा जब सीसीआई ने अप्रैल में ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (एआईसीपीडीएफ) से क्विक कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ दर्ज शिकायत पर अतिरिक्त जानकारी मांगी थी। एआईसीपीडीएफ ने अपने अध्यक्ष धैर्यशील पाटिल की ओर से मार्च में ब्लिंकइट, जेप्टो और इंस्टामार्ट के खिलाफ सीसीआई में शिकायत दर्ज कराई थी।
एक सूत्र ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया था कि सीसीआई ने वितरक निकाय से एफएमसीजी उद्योग में प्रत्येक क्विक कॉमर्स कंपनी की संबंधित बाजार हिस्सेदारी का विवरण मांगा है। उसने यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि क्या एफएमसीजी कंपनियों का वितरण के लिए कोई विशेष समझौता है।
औपचारिक शिकायत मिलने पर साझा की गई जानकारी से संतुष्ट होने पर सीसीआई जांच का आदेश दे सकता है। जांच के आदेश से पहले उसके पास शिकायत में नामित पक्षों या शिकायत दर्ज कराने वाले से प्रतिक्रिया लेने का विकल्प भी है। पिछले वर्ष एआईसीपीडीएफ ने वित्त मंत्रालय को क्विक कॉमर्स कंपनियों द्वारा पूंजी के उपयोग और संचयन तथा उनके प्लेटफार्मों पर वस्तुओं पर भारी छूट के संबंध में पत्र लिखा था।