Small Cap funds: स्मॉलकैप इक्विटी फंड्स एक बार फिर सुर्खियों में लौट आए हैं, क्योंकि कई फंड हाउस इस कैटेगरी में नए फंड लॉन्च कर रहे हैं। डीएसपी निफ्टी स्मॉल कैप 250 इंडेक्स फंड और उसका एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) हाल ही में सब्सक्रिप्शन के लिए खोला गया है। पिछले एक महीने में, हेलिओस (Helios) और सैमको (Samco) के दो एक्टिवली मैनेज्ड स्मॉलकैप न्यू फंड ऑफर (NFO) भी सब्सक्रिप्शन के लिए बंद हो चुके हैं। इसके अलावा, ग्रो एएमसी (Groww AMC) और मिरे एएमसी (Mirae AMC) के दो ETF की ट्रेडिंग भी शुरू हो चुकी है। इन नई पेशकशों के साथ, स्मॉलकैप फंड्स की पहले से बड़ी दुनिया और बड़ी हो रही है। अब इस कैटेगरी में लगभग 58 फंड्स उपलब्ध हैं, जिनका कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) लगभग 3.86 लाख करोड़ है, जिसमें एक्टिव और पैसिव दोनों तरह के फंड शामिल हैं।
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ये लॉन्च ऐसे समय में हुए हैं जब स्मॉलकैप फंड्स ने लार्ज कैप फंड्स की तुलना में काफी कमजोर प्रदर्शन किया है। औसतन स्मॉलकैप फंड्स में 5.4 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है, जबकि लार्ज कैप फंड्स ने 5.4 फीसदी का लाभ दर्ज किया है। इस मजबूत अंतर के बावजूद, एक्सपर्ट्स का मानना है कि मौजूदा हालात लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए इस कैटेगरी में कदम रखने के लिए बेहतर अवसर प्रदान कर रहे हैं।
सैमको म्युचुअल फंड के सीईओ विराज गांधी कहते हैं, “पिछले साल की गिरावट के बाद अतिरिक्त तेजी का जो असर था, वह काफी हद तक निकल चुका है और वैल्यूएशंस सामान्य स्तर पर आ गए हैं, जिससे यह सेगमेंट अब ज्यादा मजबूत दिखता है। शॉर्ट टर्म में व्यापक बाजार की अस्थिरता के कारण परिस्थितियां थोड़ी उथल-पुथल वाली रह सकती हैं, लेकिन लॉन्ग टर्म में कमाई की संभावनाएं बेहतर होती दिख रही हैं।”
यह सेगमेंट लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए आकर्षक बना हुआ है। मोतीलाल ओसवाल एएमसी के फंड मैनेजर अजय खंडेलवाल कहते हैं, “स्मॉलकैप फंड्स लॉन्ग टर्म में ग्रोथ की काफी मजबूत संभावनाएं प्रदान करते हैं और उभरते हुए इंडस्ट्री की लीडिंग कंपनियों तक पहुंच देते हैं।”
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स्मॉलकैप इक्विटी फंड्स के लिए अनिवार्य है कि वे अपने पोर्टफोलियो का कम से कम 65 फीसदी हिस्सा स्मॉलकैप शेयरों में निवेश करें। स्मॉलकैप कंपनियां वे होती हैं जिनकी बाजार पूंजीकरण (MCap) रैंकिंग 251 या उससे नीचे होती है। इन फंड्स में से कई निफ्टी स्मॉल कैप 250 टोटल रिटर्न इंडेक्स (Nifty Small Cap 250 Total Return Index) और निफ्टी स्मॉल कैप 50 टीआरआई (Nifty Small Cap 50 TRI) जैसे बेंचमार्क इंडेक्स को ट्रैक करते हैं।
स्मॉलकैप इक्विटीज, लार्ज कैप की तुलना में ज्यादा डावयर्स होती हैं और यह विभिन्न सेक्टर्स में फैली होती हैं। इनमें से कुछ कंपनियां अपने-अपने सेगमेंट में कैटेगरी लीडर्स के रूप में उभरती हैं।
स्मॉलकैप फंड्स- जहां लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न की संभावना प्रदान करते हैं, वहीं वे निवेशकों को ज्यादा जोखिम से भी मिलाते हैं। एडलवाइस म्युचुअल फंड के प्रेसिडेंट और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर–इक्विटीज त्रिदीप भट्टाचार्य कहते हैं, “इन फंड्स में शॉर्ट टर्म में उतार-चढ़ाव ज्यादा होता है। ऐसे में गिरावट के दौरान नुकसान भी ज्यादा हो सकता है और बाजार में तनाव के समय लिक्विडिटी की चुनौती भी सामने आती है।” उदाहरण के लिए, 2018 में इन फंड्स में औसतन 19 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी।
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इस कैटेगरी में निवेशक एक्टिवली मैनेज्ड या पैसिवली मैनेज्ड स्कीम्स में से किसी एक का चयन कर सकते हैं। कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि स्मॉलकैप स्पेस एक्टिव स्टॉक चुनने के लिए बेहतर है। भट्टाचार्य कहते हैं, “इस सेगमेंट में मार्केट इनइफिशिएंसी ज्यादा होती है और एक डिसिप्लिन, बॉटम-अप, रिसर्च-आधारित सेलेक्शन अप्रोच अलग-अलग निवेश साइकिल के दौरान पर्याप्त अल्फा दे सकता है। एक्टिव फंड मैनेजर लिक्विडिटी, कंसंट्रेशन और वैल्यूएशन जोखिमों को पैसिव स्ट्रैटेजीज की तुलान में बेहतर ढ़ग से मैनेज कर सकते हैं।”
फंड मैनेजर के जोखिम से बचना चाहते हैं या कम लागत वाले विकल्प ढूंढ रहे निवेशक पैसिव फंड्स चुन सकते हैं। खंडेलवाल कहते हैं, “एक्टिव और पैसिव विकल्पों के बीच चयन करते समय बाजार के अलग-अलग साइकिल में रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न को देखें, विशेषकर मंदी की अवधि में प्रदर्शन कैसा रहा, ताकि बेहतर स्थिर परिणाम और डाउनसाइड प्रोटेक्शन सुनिश्चित हो सके।” पैसिव विकल्पों में लो ट्रैकिंग एरर वाले फंड चुनें।
आप कोई भी तरीका चुनें, स्मॉलकैप की अस्थिरता से निपटने के लिए एसआईपी (SIP) का उपयोग जरूर करें।
जो निवेशक अपेक्षाकृत ज्यादा जोखिम लेकर अधिक रिटर्न कमाना चाहते हैं, उन्हें स्मॉलकैप इक्विटी फंड्स में निवेश पर विचार करना चाहिए। भट्टाचार्य कहते हैं, “जिन निवेशकों में जोखिम सहने की क्षमता ज्यादा हो, जिनका निवेश करने का समय कम से कम 5–10 साल का हो, जो गिरावट के दौर में भी भावनात्मक रूप से टिके रह सकें, और जो फंड मैनेजर की क्षमता का मूल्यांकन कर सकें- उन्हें स्मॉलकैप फंड्स में निवेश करना चाहिए।”
वह आगे कहते हैं, “जो रिटायर्ड निवेशक नियमित आय चाहते हैं या जो गिरावट के दौरान घबराकर बेच देते हैं, उन्हें इन फंड्स से दूर रहना चाहिए। शुरुआती निवेशक, जिनका इक्विटी में कोई अनुभव नहीं है, उन्हें पहले फ्लेक्सीकैप या मल्टीकैप फंड्स में आधार बनाना चाहिए या फिर मल्टी-एसेट फंड्स का उपयोग करना चाहिए।”
इस सेगमेंट में जरूरत से ज्यादा एलोकेशन से बचें। गांधी कहते हैं, “एलोकेशन निवेश लक्ष्यों और उतार-चढ़ाव सहने की क्षमता के अनुसार होना चाहिए। आमतौर पर ज्यादातर निवेशकों के लिए पोर्टफोलियो का 5-10 फीसदी इस कैटेगरी में रखना सही होता है। आक्रामक निवेशक इसे 15 फीसदी तक बढ़ा सकते हैं।”