मार्च तिमाही के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ता वस्तुओं की मांग धीमी रही। लेकिन शहरी क्षेत्रों के मुकाबले यह वृद्धि चार गुना तेज रही। बाजार अनुसंधान क्षेत्र की कंपनी नीलसनआईक्यू ने आज यह जानकारी दी। ग्रामीण भारत में दैनिक उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) की मांग मार्च तिमाही के दौरान 8.4 प्रतिशत रही, जबकि अक्टूबर-दिसंबर 2024 में यह 9.2 प्रतिशत थी। शहरी मांग में वृद्धि घटकर 2.6 प्रतिशत रह गई जो अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में यह 4.2 प्रतिशत थी।
मार्च तिमाही के दौरान एफएमसीजी उद्योग की कुल वृद्धि 11 प्रतिशत रही जो मात्रा में 5.1 प्रतिशत और मूल्य में 5.6 प्रतिशत की वृद्धि से संभव हुई। नीलसनआईक्यू (जिसे पहले नीलसन नाम से जाना जाता था) ने कहा, ‘मात्रा वृद्धि की तुलना में इकाई वृद्धि से पता चलता है कि उपभोक्ताओं की छोटे पैक की ओर रुख बढ़ रहा है।’ एफएमसीजी कंपनियों ने शहरी मांग में मंदी के बारे में बताया है। गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी सुधीर सीतापति ने मई की शुरुआत में बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया था कि उन्हें उम्मीद है कि शहरी मांग 12 से 18 महीनों में सुधर जाएगी। कंपनियों ने कहा है कि उपभोक्ता छोटे पैक खरीद रहे हैं।
नीलसनआईक्यू इंडिया के प्रमुख (उपभोक्ता सफलता – एफएमसीजी) रूजवेल्ट डिसूजा ने कहा, ‘एफएमसीजी क्षेत्र मिलेजुले संकेत दे रहा है – जहां सभी श्रेणियों में मात्रा वृद्धि धीमी हो रही है, वहीं गैर-खाद्य श्रेणियां अब भी खाद्य श्रेणी से आगे चल रही हैं। कुल मिलाकर महंगाई कम हो रही है, लेकिन खाद्य तेल के अधिक दामों ने मुख्य खाद्य पदार्थों को महंगा बनाया हुआ है।’