एफएमसीजी क्षेत्र (FMCG Sector) को आम तौर पर मुश्किल समय में सुरक्षित निवेश के रूप में माना जाता है क्योंकि लोग कभी भी साबुन और टूथपेस्ट खरीदना बंद नहीं करते हैं। हालांकि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्र की कमजोर मांग वर्ष 2020-21 के लॉकडाउन के बाद से मसला रही है, जबकि बढ़ती महंगाई ने भी मार्जिन को प्रभावित किया है।
एफएमसीजी की दिग्गज कंपनियां मूल्य वृद्धि और प्रबंधन की अच्छी कार्यप्रणाली के आधार पर बच पाई हैं, लेकिन उन्होंने वृद्धि में मंदी देखी है तथा कच्चे माल और परिवहन लागत में इजाफे की वजह से मार्जिन में संकुचन का अनुभव किया है।
लगातार पांच तिमाहियों में गिरावट के बाद वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही के दौरान एफएमसीजी क्षेत्र में सकारात्मक वॉल्यूम वृद्धि देखी गई और मांग में इस मजबूती का नेतृत्व शहरी बाजारों ने किया। हालांकि विश्लेषकों को लगता है कि ग्रामीण क्षेत्र की नरमी शायद थम चुकी है तथा इनपुट लागत में कमी और मुद्रास्फीति में नरमी से मांग में सुधार जारी रहना चाहिए।
कम लागत के मद्देनजर सकल मार्जिन और एबिटा में सुधार होना चाहिए। एफएमसीजी कंपनियों को इन लाभों का कुछ हिस्सा उत्पादों के नवाचार तथा वितरण विस्तार और विपणन व्यय में निवेश करना होगा, जिससे परिचालन मार्जिन विस्तार सीमित हो सकता है।
एफऐंडबी (खाद्य और पेय) और होम केयर क्षेत्र ने चार साल की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर या सीएजीआर के संबंध में क्रमश: 12 प्रतिशत और 11 प्रतिशत की वृद्धि के साथ आवश्यक वस्तुओं के मामले में प्रदर्शन जारी रखा है। वृद्धि का संचालन अब भी मूल्य निर्धारण से हो रहा है, लेकिन आगे चलकर वॉल्यूम में सुधार होने की उम्मीद है।
वैकल्पिक श्रेणियों में अब भी मांग में नरमी देखी जा सकती है, लेकिन पेंट और फास्ट फूड रेस्तरां जैसे खंडों में वृद्धि देखी गई है। सिगरेट का राजस्व भी कम आधार की वजह से बढ़ा है। पॉम ऑयल, कच्चे तेल, कच्चे तेल से निर्मित उत्पाद आदि जैसे प्रमुख इनपुट की कीमतों में नरमी देखी गई और अधिकांश कंपनियों के मार्जिन में क्रमिक सुधार दर्ज किया गया।