Byju’s: कर्ज के संकट से गुजर रही एक समय की सबसे महंगी स्टार्टअप फर्म का मामला शांत होता नहीं दिख रहा है। 2 अगस्त को ही एडटेक को कंपनी मामलों का निपटारा करने वाले कोर्ट यानी NCLAT से राहत मिली थी, लेकिन अब बायजूस (Byju’s) के फाउंडर बायजू रवींद्रन ने सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर कर दी है। रवींद्रन को अपने अमेरिकी कर्जदाता की तरफ से NCLAT के आदेश के खिलाफ याचिका दायर करने की आशंका है, ऐसे में उन्होंने पहले ही सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला कर लिया।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (NCLAT) ने बायजूस की पैरेंट कंपनी थिंक ऐंड लर्न (Thins and Learn) के खिलाफ चल रही दिवालिया कार्यवाही प्रक्रिया पर 2 अगस्त को रोक लगा दी थी और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के साथ बायजू रवींद्रन के समझौते को भी मंजूर कर लिया था। जिसके बाद बैजू रवींद्रन सहित कंपनी के प्रमोटर्स को फिर से फर्म का नियंत्रण मिल गया।
जिस दिन NCLAT का फैसला आया उसी दिन ही रॉयटर्स ने खबर दी कि अमेरिकी फर्म ग्लास ट्रस्ट (Glass Trust) ने भारत के कोर्ट यानी NCLAT से अपील की है कि Byju’s की दिवाला कार्यवाही को रद्द न किया जाए। अमेरिका की फर्म भारत के कोर्ट से यह अपील इसलिए की थी क्योंकि ग्लास ट्रस्ट का दावा है कि उसके कर्जदाताओं ने Byju’s को 1 अरब डॉलर का कर्ज दिया था और अभी Byju’s की जो स्थिति है, यह मुश्किल ही लगता है कि वह खुद से कर्ज चुका पाएगी।
आज मनीकंट्रोल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बायजू रवींद्रन ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है और कोर्ट से अपील की है कि Byju’s के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही को रद्द करने के NCLAT के आदेश के खिलाफ अमेरिकी कर्जदाताओं की तरफ से दायर की जाने वाली याचिका पर कोर्ट के फैसले से पहले सुनवाई की जाए।
रिपोर्ट में बताया गया कि यह याचिका NCLAT द्वारा रवींद्रन और BCCI के बीच समझौते को स्वीकार करने के एक दिन बाद यानी 3 अगस्त को दायर की गई थी। बायजूस के अमेरिकी कर्जदाताओं ने BCCI के साथ कंपनी समझौते पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया था कि यह ‘दागदार’ है और रवींद्रन BCCI के साथ समझौता करने के लिए उनसे ‘चोरी’ किए गए धन का उपयोग कर रहे हैं।
BCCI के साथ समझौते के फैसले के साथ ही NCLAT ने अमेरिकी फर्म ग्लास ट्रस्ट द्वारा लगाए गए बायजू के खिलाफ लगाए गए राउंड-ट्रिपिंग के आरोप को भी खारिज कर दिया था और कहा था कि वे इसके लिए कोई सबूत देने में विफल रहे।
चूंकि, बायजू रवीन्द्रन कर्नाटक हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार अपनी किसी भी निजी संपत्ति को बेच नहीं कर सकते हैं ऐसे में उनके भाई ऋजु रवीन्द्रन BCCI को 158 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए सहमत हुए हैं।
NCLAT ने अपने आदेश में 2 अगस्त को कहा था कि पैसे का भुगतान ऋजू रवींद्रन ने अपने शेयरों की बिक्री के माध्यम से किया था। ऋजू ने 1 अगस्त को एक अलग अदालती फाइलिंग में कहा कि उन्होंने BCCI की निपटान राशि (settlement amount) का पेमेंट पर्सनल फंड और पर्सनल एसेट को बेचकर कर दिया है।
2 अगस्त को NCLAT ने अपने आदेश में कहा, ‘दिए गए वादे और हलफनामे के मद्देनजर, पार्टियों के बीच समझौते को मंजूरी दे दी गई है और परिणामस्वरूप अपील सफल हो गई है और NCLT की बेंगलूरु बेंच की तरफ से पारित विवादित आदेश को खारिज कर दिया गया है।’
कोर्ट को यह बताया गया कि ऋजू रवींद्रन ने 31 जुलाई को Byju’s द्वारा BCCI को दिए गए बकाया के एवज में 50 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। अन्य 25 करोड़ रुपये शुक्रवार को और बाकी 83 करोड़ रुपये 9 अगस्त को RTGS के माध्यम से जमा किए जाएंगे। मगर इसमें शर्त है कि बैजू रवींद्रन और ऋजु रवींद्रन अपने वादों का उल्लंघन नहीं करेंगे। वादे के मुताबिक निश्चित तिथि पर रकम का भुगतान नहीं करने पर बैजूस के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया फिर से शुरू हो जाएगी।
क्रिकेट मैचों में Byju’s भारतीय क्रिकेट टीमों के लिए BCCI के साथ स्पॉन्सरशिप कॉन्ट्रैक्ट के साथ काम करती थी। उस समय कंपनी ने भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी के स्पॉन्सर के रूप में मोबाइल फोन कंपनी ओपो (OPPO) की जगह ली थी। BCCI ने Byju’s पर आरोप लगाया था कि उसने 158.9 करोड़ रुपये नहीं चुकाए हैं।