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एयर वर्क्स का विस्तार पर जोर

Last Updated- December 12, 2022 | 6:10 AM IST

कराधान में नरमी और आत्मनिर्भरता पर सरकार के जोर से प्रेरित होकर भारत की सबसे बड़ी एमआरओ (रखरखाव, मरम्मत एवं ओवरहाल) कंपनी एयर वक्र्स ने कहीं अधिक कारोबार हासिल करने और निवेशकों को आकर्षित करने की योजना बनाई है। एयर वर्क्स देश की सबसे बड़ी स्वतंत्र एमआरओ सेवा प्रदाता कंपनी है।
एयर वर्क्स के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक डी आनंद भास्कर ने कहा, ‘चाहे हम हों अथवा हमारे प्रतिस्पर्धी, हमारी बाधाएं अब दूर हो गई हैं। ऐसा मुख्य तौर पर इसलिए हुआ है क्योंकि हमने अपने संयंत्रों का विस्तार किया है और सरकार ने कारोबार को देश के भीतर रखने के लिए प्रोत्साहित किया है।’ विमानन बाजारों में शामिल होने के बावजूद भारतीय विमानन कंपनियों के 1.4 अरब डॉलर के रखरखाव कार्यों में से लगभग 85 फीसदी काम विदेश में किया जाता है। सरकार ने उम्मीद जताई है कि नीतिगत आकर्षण से इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित होगा, रोजगार सृजित होगा और आयात पर निर्भरता कम होगी। पिछले साल सरकार ने विमानों के मरम्मत एवं रखरखाव कार्यों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर को 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया था। उद्योग को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने हवाई अड्डों पर मरम्मत इकाइयां लगाने के लिए रियायती दरों पर भूमि पट्टे पर देने की घोषणा की है। भोपाल, चंडीगढ़, चेन्नई, हैदराबाद, जुहू, कोलकाता और तिरुपति आदि हवाई अड्डों को इस कार्य के लिए चिह्नित किया गया है। इसके अलावा दिल्ली में एएआई के भूखंडों को भी पट्टे पर देने पर विचार किया जा रहा है।
सी चेक जैसे प्राथमिक रखरखाव कार्यों के लिए विमानों का देश से बाहर जाना अब इतिहास बन चुका है। भास्कर ने कहा, ‘उन सभी कार्यों को अब यहीं किया जा रहा है। हमारा हैंगर ऑक्युपैंसी अब करीब 90 फीसदी है।’ पिछले साल कोविडा राहत पैकेज के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित बदलाव को तेजी से लागू किया गया। भास्कर ने कहा कि उन्होंने उसके त्वरित परिणाम भी देखे हैं।
भारतीय कंपनियों के सस्ते लागत ढांचे से आकर्षित होकर भारतीय विमानन कंपनियों ने विमानों के रखरखाव कार्यों के लिए विदेश जाने के बजाय एयर वक्र्स जैसी भारतीय कंपनियों की सेवाएं लेना शुरू कर दिया है। एक निजी विमानन कंपनी के इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख ने कहा कि वह एयर वक्र्स के लिए ऑर्डर के आकार को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हम उनके द्वारा उपलब्ध कराई गई सेवाओं कसे अचंभित थे।’
सूत्रों ने कहा कि इससे उत्साहित होकर कंपनी नए निवेशकों को तलाशने में जुट गई है। इसमें निजी इक्विटी निवेशकों का निवेश पहले से ही है। एयर वक्र्स ने सबसे पहले 2002 में निजी इक्विटी निवेश हासिल किया था जब न्यूयॉर्क की वेंचर कैपिटल एवं निजी इक्विटी फर्म जीटीआई कैपिटल ने 1 करोड़ डॉलर और इंजीनियरिंग फर्म पुंज लॉयड ने भी 1 करोड़ डॉलर का निवेश किया था।

First Published - April 7, 2021 | 11:52 PM IST

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