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खिलौनों पर बीआईएस ठप्पे से बिगड़ने लगा खेल, डर से कुछ व्यापारियों ने बंद कर लीं दुकानें

Last Updated- January 20, 2023 | 11:36 PM IST
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देश भर के खिलौना कारोबारी मुश्किल में पड़ गए हैं। चीनी खिलौनों की आवक और घटिया खिलौनों पर लगाम लगाने के मकसद से खिलौनों के लिए भी भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) का प्रमाणन अनिवार्य कर दिया गया है।

मगर व्यापारियों के पास उससे पहले खरीदे गए खिलौनों का भारी-भरकम भंडार जमा है। उस पर छापे के डर से कई व्यापारियों ने तो अपनी दुकानें ही कुछ समय के लिए बंद कर दी हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड से बात करने वाले खुदरा खिलौना व्यापारियों ने आशंका जताई कि उनके खिलौनों के स्टॉक पर छापा पड़ सकता है।

भारतीय मानक ब्यूरो खिलौना बनाने वाली इकाइयों को लाइसेंस देता है। इसके लिए उनके कारखानों में जाकर उत्पादन और परीक्षण प्रक्रिया जांची जाती है।

इसके अलावा खिलौनों को बीआईएस की प्रयोगशालाओं या बीआईएस से मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में जांचकर देखा जाता है कि वे भारतीय मानकों पर खरे उतरते हैं या नहीं। किसी को भी ऐसे खिलौने बनाने, आयात करने, बेचने या बांटने, भंडारण करने, लीज पर देने या प्रदर्शित करने की इजाजत नहीं है, जो भारतीय मानकों पर खरे नहीं उतरते या जिन पर बीआईएस का ठप्पा नहीं लगा होता यानी आईएसआई मार्क नहीं होता।

जनवरी, 2021 में खिलौना (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश के तहत बीआईएस प्रमाणन अनिवार्य कर दिया गया ताकि बाजार में घटिया गुणवत्ता वाले खिलौने नहीं बिक सकें। इसकी अधिसूचना अगस्त, 2020 में आई थी यानी कंपनियों को आदेश के पालन का अच्छा-खासा समय मिल गया था।

इससे पहले आयातित खिलौनों को सीमा शुल्क अधिकारियों से प्रमाणन मिलता था। ये अधिकारी हरेक कंटेनर से खिलौनों के नमूने लेते थे और जांच के लिए उन्हें प्रयोगशाला भेजते थे।

ऑल इंडिया टॉयज ऐंड बेबी प्रोडक्ट्स एसोसिएशन (एआईटीबीए) के महासचिव पुलकित सिंघल कहते हैं, ‘खिलौने जल्दी खराब होने वाली चीज नहीं हैं और उन्हें लंबे समय तक रखा जा सकता है। मगर छापे और अपना खिलौनों का स्टॉक गंवाने के डर ने कई छोटे खुदरा व्यापारियों को दुकानें बंद करने पर मजबूर कर दिया है। उनके पास बिना बीआईएस ठप्पे के जो खिलौने पड़े हैं, उन्हें बेचने का कोई तरीका ही नहीं है।’

उद्योग का अनुमान है कि प्रमाणन कानून बनने से भारत में बिकने वाले 70 फीसदी खिलौने चीन से ही आते थे। 2022 में भारत का खिलौना बाजार करीब 1.5 अरब डॉलर का था।

बाजार का शोध करने वाली अग्रणी कंपनीन आईमार्क का अनुमान है कि 2028 तक खिलौनों का बाजार 3 अरब डॉलर का हो जाएगा। आईमार्क की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 से 2028 के बीच यह बाजार 12.2 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ सकता है।

सिंघल का कहना है कि बाजार में खिलौनों की पारंपरिक दुकानों को जितनी वैरायटी चाहिए, उतनी वैरायटी के खिलौने भारतीय उत्पादक नहीं दे पा रहे हैं। उनकी शिकायत है, ‘खुदरा व्यापारियों के पास इतनी वैरायटी ही नहीं है कि वे ग्राहकों की मांग पूरी कर सकें। इससे पहले खिलौनों का आयात किया जाता था, जिससे दुकान का कारोबार और मुनाफा काफी बढ़ जाता था।’

खिलौनों के एक खुदरा व्यापारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि दिल्ली में करीब 25-30 फीसदी खिलौना व्यापारियों ने अपनी दुकानें ही बंद कर ली हैं क्योंकि उनके पास भारी मात्रा में ऐसे खिलौने पड़े हैं, जिन पर बीआईएस का ठप्पा नहीं है। फरीदाबाद के खिलौना व्यापारी बगावत पर उतर आए हैं। उन्होंने 15 दिन की हड़ताल की थी, जिसे तीन दिन और बढ़ा दिया गया।

खिलौनों के एक व्यापारी और उत्पादक ने बताया कि खुदरा विक्रेताओं के पास पर्याप्त मात्रा में खिलौने नहीं आ रहे हैं क्योंकि कई उत्पादकों के पास विनिर्माण के लिए जरूरी लाइसेंस ही नहीं है।

ऑल इंडिया टॉयज एसोसिएशन के सदस्य पवन गुप्ता के मुताबिक भारत में खिलौनों के 8000 उत्पादक हैं, जिनमें से बमुश्किल 1000 के पास बीआईएस का प्रमाणपत्र है। सिंघल के मुताबिक बीआईएस प्रमाणन के पैमाने इतने कड़े और महंगे हैं कि लघु एवं मझोले उत्पादक तो लाइसेंस के लिए आवेदन ही नहीं करते।

एआईटीबीए के सदस्य व खिलौना उत्पादक नितिन गुलाटी के मुताबिक खुदरा कारोबारी बेलगाम होने लगे हैं। वह दलील देते हैं, ‘जनवरी, 2021 से पहले आयात किए गए खिलौनों के भंडार की बंदरगाहों पर ही आईएस 9783 और 15644 के बीआईएस मानकों के मुताबिक जांच हो चुकी है। उन पर आईएसआई मार्क चाहे नहीं हो मगर इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी गुणवत्ता घटिया है।’

सरकार ने पिछले हफ्ते ही कहा था कि दिसंबर में बीआईएस ने बीआईएस प्रमाणन से रहित खिलौनों के खिलाफ अभियान शुरू किया था। इसके तहत बीआईएस ने अलग-अलग जगहों पर 44 छापे मारे और 18,629 खिलौने जब्त किए।

First Published - January 20, 2023 | 11:36 PM IST

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