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IOC के ग्रीन फ्यूल प्लांट में मिलेगा घरेलू एयरलाइंस को हिस्सा !

IOC ने अपनी पानीपत रिफाइनरी में SAF उत्पादन के लिए टेक समाधान प्रदाता लांजाजेट के साथ समझौता किया है और वह एयरलाइनों से निवेश की संभावना तलाश रही है।

Last Updated- April 12, 2023 | 9:48 PM IST
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इंडियन ऑयल (IOC) हरियाणा के पानीपत में अपने प्रस्तावित सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) उत्पादन संयंत्र में घरेलू एयरलाइनों को कुछ इ​क्विटी हिस्सेदारी दे सकती है।

नागर विमानन सचिव राजीव बंसल की अध्यक्षता में सोमवार को हुई बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा की गई थी। बैठक में वि​भिन्न एयरलाइनों, तेल विपणन कंपनियों के प्रतिनि​धियों और सरकारी अ​धिकारियों ने हिस्सा लिया था।

IOC ने अपनी पानीपत रिफाइनरी में SAF उत्पादन के लिए टेक समाधान प्रदाता लांजाजेट के साथ समझौता किया है और वह एयरलाइनों से निवेश की संभावना तलाश रही है।

पानीपत रिफाइनरी परिसर IOC के सबसे बड़े संयंत्रों में से एक है और यहां प्राज इंडस्ट्रीज की भागीदारी में एथेनॉल सयंत्र स्थापित किया गया है। IOC और लांजाजेट ने अपनी एल्कोहल-टु-जेट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर SAF ईंधन उत्पादन में भागीदारी की योजना बनाई है।

सोमवार को हुई बैठक में, IOC के अ​धिकारियों ने एयरलाइनों और नागर विमानन मंत्रालय को जानकारी दी कि कंपनी मौजूदा परियोजना में 3,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी और इसके ढाई वर्षों में तैयार हो जाने का अनुमान है।

IOC ने इ​क्विटी निवेश पेशकश के विषय पर पूछे गए सवाल का जवाब नहीं दिया है। इंडिगो ने अपने एक बयान में कहा है कि वह IOC के प्रस्ताव का आकलन कर रही है। अन्य एयरलाइनों ने इस संबंध में भेजे गए ईमेल संदेशों का जवाब नहीं दिया है।

SAF अप​शिष्ट से प्राप्त विमानन ईंधन होता है और इसे इस्तेमाल किए गए कुकिंग ऑयल, कृ​षिगत अप​शिष्ट, गैर-खाद्य फसलों जैसे वि​भिन्न स्रोतों से तैयार किया जाता है।

भारतीय विमानन कंपनियां सस्टेनेबल फ्यूल का इस्तेमाल कर उड़ानें संचालित करती है। इस संदर्भ में ताजा उदाहरण विस्तारा का है। हालांकि भारत में अभी तक वा​णि​ज्यिक उड़ानों में SAF ईंधन का इस्तेमाल नहीं हो रहा है और एयरए​​शिया इंडिया पारंपरिक ईंधन के साथ एक प्रतिशत SAF मिश्रित कर पहली वा​णि​ज्यिक उड़ान भरने की दिशा में काम कर रही है।

वै​श्विक तौर पर, वर्ष 2011 से 4,50,000 से ज्यादा वा​णि​ज्यिक उड़ानों में SAF का इस्तेमाल किया गया है। अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ की सदस्य एयरलाइनों ने वर्ष 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने पर सहमति जताई है।

IOC ने भी दीर्घाव​धि लक्ष्य के तौर पर शून्य कार्बन उत्सर्जन पर जोर दिया है। हालांकि मौजूदा SAF उत्पादन वै​श्विक तौर पर सीमित है। ऊंची लागत भी इसमें बड़ी बाधा है।

नॉर्वे और स्वीडन जैसे यूरोपीय देशों ईंधन आपूर्तिकर्ताओं के लिए पारंपरिक ईंधन के साथ छोटी मात्रा में SAF ​मिश्रित करना अनिवार्य कर दिया है। यूरोपीय आयोग ने अपने हवाई अड्डों पर आपूर्ति किए जाने वाले ईंधन में SAF मि​श्रण अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव रखा है।

First Published - April 12, 2023 | 9:48 PM IST

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