इंडियन ऑयल (IOC) हरियाणा के पानीपत में अपने प्रस्तावित सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) उत्पादन संयंत्र में घरेलू एयरलाइनों को कुछ इक्विटी हिस्सेदारी दे सकती है।
नागर विमानन सचिव राजीव बंसल की अध्यक्षता में सोमवार को हुई बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा की गई थी। बैठक में विभिन्न एयरलाइनों, तेल विपणन कंपनियों के प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों ने हिस्सा लिया था।
IOC ने अपनी पानीपत रिफाइनरी में SAF उत्पादन के लिए टेक समाधान प्रदाता लांजाजेट के साथ समझौता किया है और वह एयरलाइनों से निवेश की संभावना तलाश रही है।
पानीपत रिफाइनरी परिसर IOC के सबसे बड़े संयंत्रों में से एक है और यहां प्राज इंडस्ट्रीज की भागीदारी में एथेनॉल सयंत्र स्थापित किया गया है। IOC और लांजाजेट ने अपनी एल्कोहल-टु-जेट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर SAF ईंधन उत्पादन में भागीदारी की योजना बनाई है।
सोमवार को हुई बैठक में, IOC के अधिकारियों ने एयरलाइनों और नागर विमानन मंत्रालय को जानकारी दी कि कंपनी मौजूदा परियोजना में 3,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी और इसके ढाई वर्षों में तैयार हो जाने का अनुमान है।
IOC ने इक्विटी निवेश पेशकश के विषय पर पूछे गए सवाल का जवाब नहीं दिया है। इंडिगो ने अपने एक बयान में कहा है कि वह IOC के प्रस्ताव का आकलन कर रही है। अन्य एयरलाइनों ने इस संबंध में भेजे गए ईमेल संदेशों का जवाब नहीं दिया है।
SAF अपशिष्ट से प्राप्त विमानन ईंधन होता है और इसे इस्तेमाल किए गए कुकिंग ऑयल, कृषिगत अपशिष्ट, गैर-खाद्य फसलों जैसे विभिन्न स्रोतों से तैयार किया जाता है।
भारतीय विमानन कंपनियां सस्टेनेबल फ्यूल का इस्तेमाल कर उड़ानें संचालित करती है। इस संदर्भ में ताजा उदाहरण विस्तारा का है। हालांकि भारत में अभी तक वाणिज्यिक उड़ानों में SAF ईंधन का इस्तेमाल नहीं हो रहा है और एयरएशिया इंडिया पारंपरिक ईंधन के साथ एक प्रतिशत SAF मिश्रित कर पहली वाणिज्यिक उड़ान भरने की दिशा में काम कर रही है।
वैश्विक तौर पर, वर्ष 2011 से 4,50,000 से ज्यादा वाणिज्यिक उड़ानों में SAF का इस्तेमाल किया गया है। अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ की सदस्य एयरलाइनों ने वर्ष 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने पर सहमति जताई है।
IOC ने भी दीर्घावधि लक्ष्य के तौर पर शून्य कार्बन उत्सर्जन पर जोर दिया है। हालांकि मौजूदा SAF उत्पादन वैश्विक तौर पर सीमित है। ऊंची लागत भी इसमें बड़ी बाधा है।
नॉर्वे और स्वीडन जैसे यूरोपीय देशों ईंधन आपूर्तिकर्ताओं के लिए पारंपरिक ईंधन के साथ छोटी मात्रा में SAF मिश्रित करना अनिवार्य कर दिया है। यूरोपीय आयोग ने अपने हवाई अड्डों पर आपूर्ति किए जाने वाले ईंधन में SAF मिश्रण अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव रखा है।