देश में गोल्ड लोन देने वाली सबसे बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी मुथूट फाइनैंस के प्रबंध निदेशक जॉर्ज एलेक्जेंडर मुथूट ने मनोजित साहा को दिए एक साक्षात्कार में बताया कि कंपनी, परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों (एआरसी) को गोल्ड लोन नहीं बेचेगी क्योंकि नियामक इस तरह की गतिविधियों को लेकर अधिक ‘सहज’ नहीं हैं। इस कंपनी की प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति 31 मार्च, 2024 तक 89,079 करोड़ रुपये है। पेश हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश:
मौजूदा वित्त वर्ष के लिए गोल्ड लोन में वृद्धि के क्या अनुमान है?
हम हमेशा 15 फीसदी का अनुमान देते हैं लेकिन वास्तव में इससे कहीं ज्यादा की वृद्धि हासिल करते हैं। पिछले साल ऋण में वृद्धि 18 फीसदी थी। इस साल न्यूनतम 15 फीसदी के स्तर तक कोशिश कर सकते हैं।
क्या मुथूट फाइनैंस अपने लोन बुक में विविधता ला रही है? अगले कुछ वर्षों तक इसमें कितनी विविधता लाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं?
पिछले 5-6 वर्ष में हम अपने पोर्टफोलियो में धीरे-धीरे विविधता ला रहे हैं। हमारे पास सस्ते आवास के लिए एक पोर्टफोलियो है। हमने संपत्ति के एवज में ऋण लेने का पोर्टफोलियो भी रखा है। हमारे पास पर्सनल लोन से लेकर वेतन वाले और गैर-वेतन वाले ग्राहकों के लिए भी गुंजाइश है।
हमने कुछ साल पहले इन पोर्टफोलियो की शुरुआत की और फिर धीरे-धीरे इसमें तेजी आ रही है। आज हमारे पोर्टफोलियो में गैर-गोल्ड लोन का हिस्सा 4 फीसदी है। हमारे कुल पोर्टफोलियो में माइक्रोफाइनैंस की हिस्सेदारी 11 फीसदी है। इस तरह पोर्टफोलियो में 15 फीसदी तक विविधता आ चुकी है। अगले तीन से चार वर्षों में हम इसे 20 फीसदी के स्तर पर ले जाएंगे।
गोल्ड लोन एक सुरक्षित कारोबार है। विविधता की जरूरत क्या है?
गोल्ड लोन हमारा प्रमुख कारोबार है। हम जितना संभव हो गोल्ड लोन देंगे। हमने विविधता पर जोर इसलिए दिया है क्योंकि हमारे कई गोल्ड लोन ग्राहक कहीं और से पर्सनल लोन, बिजनेस लोन, किफायती आवास ऋण ले रहे हैं।
हम चाहते हैं कि हम इन सेवाओं की पेशकश करें ताकि ग्राहक हमारे साथ ही जुड़े रहें। गोल्ड लोन महज तीन महीने का ऋण होता है।
आवास ऋण के कारोबार को आप कितनी तेजी से बढ़ाएंगे?
हमने कोविड के बाद ही आवास ऋण की शुरुआत की है। अब हमारे पास 200 करोड़ रुपये का पोर्टफोलियो है। यह अच्छा कारोबार है। अगले साल हम इसे 3,500 करोड़ रुपये के स्तर पर ले जाने का लक्ष्य रख रहे हैं।
पिछले साल मुथूट फाइनैंस ने 700 करोड़ रुपये का गोल्ड लोन परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों (एआरसी) को बेचा था। इस साल आप कितनी बिक्री की योजना बना रहे हैं?
हमारे सभी ग्राहक एआरसी को गोल्ड लोन बेचे जाने को लेकर खुश थे और हमारे 85,000 ग्राहक थे। इसकी वजह यह थी कि जब एक बार यह एआरसी में चला जाता है तो वे इसकी नीलामी नहीं करते हैं। ग्राहकों को 6-7 महीने का वक्त और मिल जाता है। करीब 90 फीसदी ग्राहकों ने अपना सोना वापस ले लिया। इस दौरान सोने की कीमतें भी बढ़ गईं।
मुझे लगता है कि आरबीआई इस बात को लेकर सहज नहीं है कि एआरसी को गोल्ड लोन बेचा जा रहा है। आरबीआई ने सवाल किया कि गोल्ड लोन एआरसी को क्यों बेचा जा रहा है? उस वक्त से ही हमने फिर ऐसा कोई कदम नहीं उठाया।