भारत में सीमेंट बनाने वाली कंपनियां चालू वित्तीय वर्ष की पहली छमाही (H1FY25) के अंत तक मुश्किल हालात का सामना कर सकती हैं। उद्योग विशेषज्ञ और विश्लेषक अनुमान लगा रहे हैं कि उम्मीद से अधिक कच्चे माल की लागत और कमजोर मूल्य निर्धारण के कारण ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है।
लाइमस्टोन और फ्लाई-ऐश जैसे कच्चे माल की बढ़ती लागत के बीच, सीमेंट बनाने वाली कंपनियां अपनी बिजली और ईंधन की लागत को कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। हालांकि, कीमतों में वृद्धि की कोशिशें ज्यादातर असफल साबित हुई हैं।
इस बीच, सीमेंट निर्माता बिजली और ईंधन खर्च को नियंत्रण में रखने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, नुवोको विस्टास कॉर्प (Nuvoco Vistas Corp) जैसी कंपनी को उम्मीद है कि उसका प्रोजेक्ट ब्रिज 2- उत्तर प्रदेश और ओडिशा में रेलवे साइडिंग प्रोजेक्ट- दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। कंपनी ने कहा, इस परियोजना का उद्देश्य बिजली और ईंधन लागत सहित लागत दक्षता (cost efficiencies) बढ़ाना है।
CRISIL मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के रिसर्च डायरेक्टर सेहुल भट्ट के अनुसार, ‘फ्लाई-ऐश और स्लैग की कीमतों में गिरावट के बावजूद, पहली तिमाही में कच्चे माल की लागत (inward freight prices) ऊंची बनी रही। इसके साथ ही, नीलामियों में प्रीमियम बोली के कारण लाइमस्टोन की कीमतों और आंतरिक माल ढुलाई लागत में वृद्धि से कच्चे माल की लागत में 5-7 प्रतिशत तक की वृद्धि होने की उम्मीद है।’
अगस्त में पारित एक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2005 से चूना पत्थर सहित खनिजों (minerals) पर एक्स्ट्रा टैक्स लगाने के राज्यों के अधिकार को बरकरार रखा। भट्ट ने कहा कि इस फैसले के प्रभाव पर विशेष रूप से निगरानी करनी पड़ेगी।
9 सितंबर की रिपोर्ट में नुवामा के एनालिस्ट्स ने सीमेंट की कीमतों में लगातार कमजोरी का उल्लेख किया और कहा, ‘अगस्त में सभी क्षेत्रों में कीमतों में और गिरावट आई, जिससे उद्योग में प्रॉफिटेबिलिटी कम हो गई।’
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, ”सितंबर के पहले सप्ताह में पूरे भारत में कीमतों में बढ़ोतरी की घोषणा की गई है। यह स्पष्ट रूप से प्राप्तियों को और कम होने से रोकने का एक प्रयास है, हालांकि हमारा मानना है कि कमजोर मांग के कारण महीने के अंत तक मूल्य वृद्धि को वापस लेना पड़ सकता है।’
CareEdge की एसोसिएट डायरेक्टर एसोसिएट डायरेक्टर रवलीन सेठी ने यह भी कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हो रही है, ‘हालांकि, हम उम्मीद करते हैं कि ज्यादातर बड़ी कंपनियां कम लागत के कारण वित्त वर्ष 2025 को वित्त वर्ष 2024 के समान एबिटा प्रति टन के साथ समाप्त करेंगी। साल-दर-साल (Y-o-Y) गिरती ईंधन लागत के अलावा, सभी कंपनियां WHRS (वेस्ट हीट रिकवरी सिस्टम) और सोलर एनर्जी स्थापित कर रहे हैं।’
CRISIL के भट्ट ने बताया कि FY25 में सीमेंट निर्माताओं की कुल लागत में 2-4 प्रतिशत की गिरावट होने की संभावना है, जिसमें बिजली और ईंधन की लागत में 11-13 प्रतिशत की कमी और माल ढुलाई लागत में 1-3 प्रतिशत की मामूली गिरावट शामिल है। हालांकि, कच्चे माल की लागत में वृद्धि से इस गिरावट पर कुछ हद तक असर होगा।
इस महीने की शुरुआत में, डालमिया भारत (सीमेंट) ने कहा कि वह तमिलनाडु में 128 मेगावाट (मेगावाट) तक की क्षमता के लिए कैप्टिव कंज्यूमर के रूप में सोलर एनर्जी सोर्स के लिए ट्रुअर सूर्या प्राइवेट (Truere Surya Private) में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने पर सहमत हो गई है।
पिछले एक साल में, डालमिया के करीबी प्रतिद्वंद्वी अल्ट्राटेक सीमेंट ने समान प्रकृति की कई खरीदारी की है। दिसंबर में, अंबुजा सीमेंट्स ने कैप्टिव खपत के लिए 1,000 मेगावॉट रिन्यूबल एनर्जी यूनिट स्थापित करने के लिए करीब 6,000 करोड़ का निवेश करने की योजना की घोषणा की, जिसे वित्त वर्ष 26 तक पूरा किया जाएगा।
CRISIL के भट्ट ने बताया कि FY25 में सीमेंट निर्माताओं की कुल लागत में 2-4 प्रतिशत की गिरावट होने की संभावना है, जिसमें बिजली और ईंधन की लागत में 11-13 प्रतिशत की कमी और माल ढुलाई लागत में 1-3 प्रतिशत की मामूली गिरावट शामिल है। हालांकि, कच्चे माल की लागत में वृद्धि से इस गिरावट पर कुछ हद तक असर होगा।