जब भी लोग लोन लेने की सोचते हैं, तो सबसे पहले दिमाग में CIBIL स्कोर आता है। सही है कि यह तीन अंकों का स्कोर अहम होता है, लेकिन बैंक और अन्य लोन देने वाली संस्थाएं केवल इसी पर भरोसा नहीं करतीं। लोन पास करने से पहले वे आय की स्थिरता, पहले से चल रहे कर्ज, खर्च करने की आदत और वित्तीय अनुशासन जैसी कई बातों को देखते हैं।
अगर किसी का CIBIL स्कोर 750 या उससे ज्यादा भी है, फिर भी लोन रिजेक्ट हो सकता है अगर उसकी कमाई का बड़ा हिस्सा पहले से ही EMI में जा रहा हो।
भारतलोन (BharatLoan) के फाउंडर अमित बंसल का कहना है, “कई बार लोगों की आय का 50-60% हिस्सा पहले से कर्ज चुकाने में लग रहा होता है। ऐसे में बैंक मानते हैं कि आगे लोन चुकाने की क्षमता सीमित है। हाल ही में एक सैलरीड प्रोफेशनल का आवेदन इसी वजह से खारिज हुआ, जबकि उसका स्कोर काफी अच्छा था।”
RentenPe की को-फाउंडर और CEO सरिका शेट्टी ने भी अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा, “2018 में मेरा CIBIL स्कोर और आय दोनों अच्छे थे, फिर भी मेरा होम लोन रिजेक्ट हो गया क्योंकि बैंक ने देखा कि पहले से चल रहे कर्ज का बोझ ज्यादा था।”
बंसल और शेट्टी दोनों का मानना है कि बैंक नियमित और भरोसेमंद आय को तरजीह देते हैं। अगर आप किसी बड़ी और भरोसेमंद कंपनी में लंबे समय से काम कर रहे हैं, तो लोन मिलने की संभावना ज्यादा होती है। लेकिन फ्रीलांसर और गिग वर्कर्स को ज्यादा जांच-पड़ताल से गुजरना पड़ता है। बैंक उनसे टैक्स रिटर्न, बैंक स्टेटमेंट और बिजनेस की निरंतरता के सबूत मांगते हैं।
फिनकेडा (Finkeda) के CMD मनीष गोयल ने कहा, “सैलरीड कर्मचारी बैंक को आय के स्थिर कैश फ्लो का भरोसा दे सकते हैं, जिससे जोखिम आकलन आसान हो जाता है। वहीं, सेल्फ-एम्प्लॉयड लोगों की आय की स्थिरता को लेकर बैंक ज्यादा सतर्क रहते हैं।”
आपका खर्च करने का तरीका भी लोन पर असर डाल सकता है। बंसल ने बताया कि बार-बार क्रेडिट कार्ड लिमिट तक खर्च करना या केवल मिनिमम ड्यू चुकाना बैंक को यह संकेत देता है कि वित्तीय दबाव ज्यादा है। बैंक इसे आपके क्रेडिट रिपोर्ट और बैंक स्टेटमेंट के जरिए परखते हैं।
गोयल ने जोड़ा, “अगर कोई लगातार बड़े-बड़े खर्च करता है या अनावश्यक चीजों पर ज्यादा पैसा लगाता है, तो बैंक इसे गंभीरता से देखते हैं, भले ही EMI समय पर भर रहा हो।”
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अच्छा वित्तीय अनुशासन कई बार स्कोर से ज्यादा मायने रखता है। शेट्टी ने कहा कि अगर आपके पास गारंटी (Collateral), नियमित बचत और कम Debt-to-Income Ratio है, तो लोन मिलने की संभावना बनी रहती है।
बंसल ने उदाहरण दिया कि एक व्यक्ति का CIBIL स्कोर 660 था, लेकिन उसे पर्सनल लोन मिल गया क्योंकि उसकी नौकरी स्थिर थी, कोई और कर्ज नहीं था और बैंक से उसका पुराना रिश्ता था।
जैसा कि शेट्टी ने कहा, “बैंक केवल स्कोर पर नहीं, बल्कि आपके संपूर्ण वित्तीय अनुशासन पर भरोसा करते हैं।”
यानी, CIBIL स्कोर आपके लिए लोन का दरवाजा जरूर खोलता है, लेकिन आखिरी फैसला आपकी आय की स्थिरता, कर्ज का स्तर और खर्च करने की आदतें तय करती हैं।