अशोक लीलैंड के अध्यक्ष (मध्यम एवं भारी वाणिज्यिक वाहन) संजीव कुमार ने मंगलवार को कहा कि कंपनी को पश्चिम एशिया के हाल के भू-राजनीतिक तनावों का अपने वाणिज्यिक वाहनों (सीवी) के निर्यात पर कोई असर नहीं दिखता है तथा क्षेत्र के प्रमुख बाजारों में शिपमेंट सामान्य रूप से जारी है।
कुमार ने बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए साक्षात्कार में कहा, अभी तो नहीं। निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ा है। वे सामान्य रूप से जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी की खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों में मजबूत उपस्थिति है और वह अफ्रीका को भी निर्यात करती है।
वित्त वर्ष 2025 में अशोक लीलैंड के कुल उत्पादन का करीब 8 फीसदी निर्यात किया गया जबकि बाकी 92 फीसदी घरेलू बाजार में बेचा गया। कंपनी ने वर्ष के दौरान 15,255 वाहनों का निर्यात किया जो सालाना आधार पर 28.7 फीसदी की मजबूत वृद्धि दर्शाता है।
कुमार ने कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण पश्चिम एशिया के तनाव का घरेलू वाणिज्यिक वाहन (सीवी) उद्योग पर पड़ने वाले असर को भी नजरअंदाज किया। उन्होंने कहा कि पिछले दो-तीन वर्षों से डीजल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं जिससे बेड़े के संचालकों को पूर्वानुमान लगाने में मदद मिली है।
उन्होंने कहा, उद्योग जो चाहता है वह है स्थिर मूल्य निर्धारण। इससे कमर्शियल वाहनों के ऑपरेटरों को कैसे मदद मिलती है? उन्हें पता है कि उनके खर्च क्या होंगे और उसी आधार पर ऑपरेटर अपने ग्राहकों से जुड़ते हैं। कच्चे तेल की कीमतों में लगातार घट-बढ़ का कोई असर नहीं होगा। ये बहुत ही अस्थायी घटनाक्रम हैं।
उन्होंने कहा, तीन साल पहले जब डीजल की कीमतें तय की गई थीं, तब कच्चे तेल की कीमतें उच्च स्तर पर थीं। इसलिए मुझे नहीं लगता कि हम अभी कच्चे तेल के मामले में कुछ भी नकारात्मक होने की उम्मीद कर सकते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि कच्चे तेल की कीमतें लगातार ऊंची रहने से रबर जैसी इनपुट लागत बढ़ सकती है।
कुमार नई दिल्ली में कंपनी के एक कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से बातचीत रहे थे जहां अशोक लीलैंड ने उत्तरी भारत में अपनी उपस्थिति मजबूत करने की योजना की रूपरेखा प्रस्तुत की। कंपनी अगले दो से तीन वर्षों में इस क्षेत्र में अपने एमऐंडएचसीवी की बाजार हिस्सेदारी को वर्तमान 26 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी करने का लक्ष्य बना रही है।